एक शहर में रहते हुए भी एक ही परिवार के लोग अलग अलग रह रहे हैं. शहर बडे़ हो गए हैं, परिवार के लोगों के घर दूरदूर होने लगे हैं. कोई शहर के एक कोने पर रहता है तो कोई दूसरे कोने पर. दीवाली के दिन सभी अपनेअपने घर में त्योहार मनाते हैं. ऐसे में अगर दीवाली के 4 से 5 दिन पहले से परिवार के लोग आपस में रोज एक जगह मिलें तो इस से रिश्तों को मधुर बनाने में मदद मिलेगी. जरूरत यह है कि परिवार के सभी लोग बारीबारी से डिनर पर बुलाएं. जिस में पूरा परिवार शामिल हो. इस से पूरा परिवार अलगअलग रहते हुए भी त्योहार में एकसाथ बैठ कर आनंद ले सकेगा. एक तरह से इसे डिनर डिप्लोमैसी की तरह देखा जा सकता है. डिनर डिप्लोमैसी का प्रयोग राजनीति में बहुत पहले से होता रहा है जिस में अलगअलग विचारधाराओं के लोग एकजुट हो जाते हैं. जबकि परिवार के लोग तो एक विचारधारा के ही होते हैं.

अब परिवार बढ़ने लगे हैं. ऐसे में एक ही शहर में अलगअलग रहना जरूरत और मजबूरी हो गई है. इसे अलगाव या परिवार के विघटन के रूप में नहीं देखना चाहिए. यह प्रयास जरूर किया जाना चाहिए कि परिवार के लोग त्योहार में एकसाथ अपना कुछ वक्त गुजार सकें. इस से आपस में प्यार बढ़ता है. अगर कोई मनमुटाव है तो वह भी आपसी बातचीत से दूर किया जा सकता है. पूरा परिवार एकसाथ बैठता है तो आपसी रिश्ते मधुर होते हैं. जब परिवार सहित लोग एकदूसरे से मिलते हैं तो परिवार में अगली पीढ़ी और पिछली पीढ़ी के बीच तालमेल बनाता है. खासकर, परिवार के बच्चे आपसी संबंधों को सहज करने का माध्यम बन जाते हैं.

खाना हो खास

दीवाली के डिनर के लिए जब खाने का मैन्यू तैयार हो तो इस बात का ध्यान रखें कि सब की पसंद का खाना हो. हर घर में कुछ न कुछ अलग टाइप की डिश जरूर बनती है जो एक तरह से परिवार की पारंपरिक डिश होती है. इस तरह की डिश को कभी मां या दादी बनाती थीं. ऐसी डिश को मैन्यू में जरूर शामिल करें. इस से बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं. इस तरह की डिश के साथ बचपन की कोई न कोई कहानी जरूर जुड़ी होती है. जब यह डिश डिनर में होगी तो आपस

में पुराने दिनों की यादें ताजा होंगी जो पुराने समय के रिश्तों की ताजगी को उजागर करने में सहायक होंगी. अगर आपस में कोई मनमुटाव होगा तो वह भी दूर हो जाएगा.

डिनर में सब के लिए कुछ न कुछ खास होता है तो सब को अच्छा लगता है. मन में यह खयाल आता है कि डिनर का इंतजाम करने वाले ने मेरा कितना खयाल रखा. किस को क्या पसंद है, यह पता करने के लिए उन के करीबी लोगों से बात करें

जिस से खाने वाले को सरप्राइज मिले. जब अचानक डिनर टेबल पर कोई अपनी पसंद की डिश सामने आती है तो मन बेहद खुश हो जाता है. डिनर के लिए बहुत भव्य व्यवस्था न हो. इस को ऐसा रखा जाए कि मन को परिवार के  बीच होने का एहसास हो. खाना घर पर बने और कोशिश हो कि घर के लोग ही इसे बनाएं.

विवादित बातों से बचें

डिनर के समय अच्छी और एकदूसरे की पसंद वाली बातें करें. परिवार के बीच विवादों के विषय चर्चा में न लाएं. इस से मनमुटाव बढ़ सकता है. डिनर में केवल परिवार के लोग शामिल हों. करीबी रिश्तेदारों और मित्रों को भी इस का हिस्सा न बनाएं. अगर रिश्तेदार और मित्र इस में शामिल होंगे तो परिवार के साथ आने का आभास नहीं हो सकेगा. कई बार दूसरे लोगों की मौजूदगी परिवार के बीच तनाव का कारण बनती है. डिनर के समय बच्चों से बात कर सकते हैं. उन को अपने घरपरिवार के बारे में जानकारी दे सकते हैं. किस तरह अपने बचपन में आपस में सब मिल कर दीवाली और दूसरे त्योहार मनाते थे, यह चर्चा में लाएं. बचपन की पुरानी यादें मन को छू जाती हैं और चेहरे पर एक पल के लिए खुशियां बिखेर जाती हैं.

एकदूसरे की सेहत, शौक और कैरियर की बातें कर सकते हैं. परिवार की आय और खर्चों पर बात करने से बचें. कई बार पैसों के बीच में आने से बात बिगड़ जाती है. बिजनैस में क्या अच्छा है और क्या बुरा, इस तरह की सामान्य चर्चा की जा सकती है. बच्चों की पसंद उन की शादी और कैरियर की बातें करते समय यह ध्यान रखें कि आप की बातों से उन की आजादी प्रभावित न हो रही हो. हलकीफुलकी शरारती बातें भी करें जिस से बड़े लोगों को उन के बचपन की याद आ जाए और छोटे बच्चों को यह सुन कर मजा आए कि उन के पेरैंट्स और ग्रैंड पेरैंट्स किस तरह से अपने बचपन में मजा करते थे.

सलाह दें, फैसले न थोपें

अगर यह लग रहा है कि परिवार का कोई सदस्य कुछ गलत कर रहा है तो उस को अलग से समझाएं, डिनर टेबल पर उस की चर्चा न करें. आप के समझाने का तरीका आप की सोच पर निर्भर करता है. उसे यह लगे कि आप एक अच्छी सलाह दे रहे हैं. सलाह जब फैसला लगने लगती है तो विवाद खड़ा हो जाता है. और पिछले वे सारे मसले खडे़ हो जाते हैं जो कभी विवाद का विषय बन चुके होते हैं. ऐसे में सलाह आदेश न लगे, यह खयाल जरूर रखें. अपनी बात कहते समय यह देख लें कि सामने वाला उसे सुनने के लिए कितना तैयार है. अगर यह लगे कि आप की बात का कोई मतलब नहीं है तो विषय बदल दें.

कई बार छोटे बच्चों और घर की बहुओं की बातों को कम सुना जाता है. ऐसे में इन लोगों की बातों को सुना जाए और इन के रचनात्मक गुणों को आगे बढ़ाया जाए. इस से कई फायदे होते हैं. एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी के करीब आती है. एकदूसरे की रुचियों को समझें और उन को बढ़ावा देने का काम भी करें. तारीफ से हरेक मन खुश होता है और दिलों की दूरियां कम होती हैं. अगर छोटे बच्चे या नई बहू ने कुछ खास किया हो तो उसे उपहार दे कर उस का हौसला बढ़ाएं. इस से पुरानी पीढ़ी के प्रति सम्मान बढ़ेगा.

पहनावे की करें तारीफ

त्योहार में फैशन और मेकअप को बढ़ावा दिया जाता है. सुंदर और स्मार्ट दिखने के लिए सभी अच्छी ड्रैस पहनते हैं. खासकर बच्चे, महिलाएं और युवा इस तरह के काम ज्यादा करते हैं. नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच पहनावा कभी आडे़ न आए, ऐसा प्रयास करें. कई बार पुरानी पीढ़ी इस को आलोचना का विषय बना लेती है. ऐसे में संबंध बनने के बजाय खराब होने लगते हैं. दीवाली सब से प्रमुख त्योहार है. वैसे भी अब सभी त्योहार बिजनैस का माध्यम बन गए हैं. ऐसे में जब कोई अपनी पसंद का पहनावा पहने तो उस की तारीफ करें. फैशन के विषय पर बातचीत करें. इस से उन को यह नहीं लगेगा कि पुरानी पीढ़ी को कोई जानकारी नहीं है. ऐसा करने से एकदूसरे के बीच अच्छे संवाद स्थापितहो सकेंगे.

घर से वापस जाने वाले रिश्तेदारों को महंगे नहीं, पर ऐसे उपहार जरूर दें जो रिश्तों की गरमाहट को बनाए रखें. यह बात केवल मेजबान के लिए ही जरूरी नहीं है, मेहमान के लिए भी बेहद जरूरी है. हम देखते हैं कि लोग दोस्ती में तमाम तरह के उपाय करते हैं, ताकि दोस्ती बनी रहे पर जब बात परिवार की आती है तो लोग इसे भूल जाते हैं. परिवार के लोग भी अब हमेशा साथ नहीं रहते. ऐसे में वे भी इस बात के हकदार होने लगे हैं कि उन का भी खयाल रखा जाए. जिस तरह नई पीढ़ी को लगता है कि पुरानी पीढ़ी उस का ध्यान रखे, उसी तरह पुरानी पीढ़ी को भी लगता है कि नई पीढ़ी उस का ध्यान रखे. घरपरिवार के रिश्तों के अलावा एक अन्य रिश्ता जो हमारे जीवन में अपनापन और खुशहाली का संदेश ले कर आता है वह रिश्ता होता है दोस्ती का. इस दीवाली पारिवारिक सदस्यों के साथसाथ यारदोस्तों की दीवाली को भी रोशन करने का संकल्प लें.

दोस्त यार संग दीवाली

दीवाली का त्योहार अपने साथ उत्साह औैर उमंग तो लाता ही है, लोगों में घर जाने की उत्सुकता को बढ़ा भी देता है. हर कोई इस त्योहार को अपने परिवार के साथ मनाना चाहता है. मगर ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो रोजगार या पढ़ाई के मजबूरीवश त्योहार पर घर नहीं जा पाते. ऐसे में परिवार की कमी खलना और अकेलेपन से उबरना आसान नहीं होता. लेकिन अपनी मानसिकता को थोड़ा सा बदल लिया जाए तो परिवार से दूर रह कर भी एक नए परिवार के साथ दीवाली का आनंद उठाया जा सकता है.

यह परिवार कोई और नहीं, बल्कि आप के खुद के द्वारा बनाए गए दोस्त व सिंगल सगेसंबंधी होते हैं, जो आप की ही तरह अपने परिवार से अलग दूसरे शहर में न केवल आप के मित्र बल्कि सुखदुख के साथी भी बन जाते हैं. भले ही इन के साथ त्योहार मनाने के तौरतरीके बदल जाते हों लेकिन खुशियों के माने नहीं बदलते, बल्कि दोस्तों के साथ मनाए गए त्योहार का अनुभव बेहद खास होता है.

दीवाली पर घर न जा पाने वालों में केवल नौकरीपेशा ही नहीं, बल्कि बड़ी तादाद में छात्रछात्राएं भी होते हैं. होस्टल एवं पीजी में रहने वाले छात्र पढ़ाई की वजह से कई बार त्योहार पर अपने घर नहीं जा पाते क्योंकि दीवाली की छुट्टी केवल एक दिन की ही मिलती है और अटैंडैंस शौर्ट होने पर इम्तिहान के नंबरों पर इस का बुरा प्रभाव पड़ता है.

इस बाबत जयपुर के एक निजी विश्वविद्यालय में सेवारत प्रोफैसर रुचि सिंह कहती हैं, ‘‘कालेज के बहुत से छात्रछात्राएं दीवाली पर घर नहीं जा पाते क्योंकि यही वह समय होता है जब वर्कशौप और कौन्फ्रैंस होती हैं. मगर ऐसे वक्त में होम सिकनैस होना स्वाभाविक है. कालेज प्रशासन भी इस बात को अच्छे से समझता है, इसलिए हमारे कालेज में दीवाली पर कुछ फंड एकत्र कर उन बच्चों के लिए पार्टी का आयोजन किया जाता है जो त्योहार पर घर नहीं जा पाते.

‘‘साथ ही, यदि कोई बच्चा अपने दोस्त या लोकल गार्जियन के घर पर त्योहार मनाने जाना चाहता है तो उसे आउटपास दे दिया जाता है. कालेज की पार्टी मात्र 3 घंटे में ओवर तो हो जाती है मगर इस पार्टी का हैंगओवर जल्दी नहीं उतरता क्योंकि यह बहुत खास पार्टी होती है. इस में शामिल हर छात्र एकदूसरे के लिए परिवार से कम नहीं होता. यहां घर वाली दीवाली की फीलिंग भले ही न आए मगर कालेज की धूमधड़ाके वाली दीवाली मनाने की खुशी हर छात्र के चहरे पर साफ दिखती है.’’

छात्रों की ही तरह वे लोग जो दफ्तर के कामकाज में फंस कर घर नहीं जा पाते वे भी इस दिन को अपने साथी सहकर्मियों के साथ या उन के परिवार के साथ दीवाली मना सकते हैं. बात सिर्फ दिल से दिल मिलाने की होती है. और दिल से दिल तब ही मिलते हैं जब मेहमानों की तरह नहीं, परिवार के सदस्य की तरह दीवाली की तैयारियों में कुछ योगदान खुद का भी होता है.

तैयारियों का मजा

दीवाली की तैयारी कोई छोटीमोटी नहीं होती, बल्कि 1-2 महीने पहले से ही इस की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. जाहिर है परिवार की गैरमौजूदगी में मन में यही विचार आता होगा कैसी तैयारी? मगर अकेला व्यक्ति भी दीवाली की तैयारियों में लग कर अपने अकेलेपन को दूर कर सकता है. देखा जाए तो खुद को खुश रखने और त्योहार के उत्साह को कायम रखने के लिए दीवाली का त्योहार मनाने की तैयारियां ही अकेले व्यक्ति का आधा मनोरंजन करा देती हैं, फिर चाहे दीवाली पर कपड़ों, गहनों या सजावट के सामान की शौपिंग हो या कि अपने कमरे की साफसफाई और रंगरोगन कराने की बात. ये तैयारियां तब और भी मजेदार हो जाती हैं जब दोस्तयार भी इस में शामिल हो जाते हैं. हंसीठिठोली के साथ सारा काम कब निबट जाता है, पता ही नहीं चलता. साथ ही, हर काम के साथ अगले काम को करने का उत्साह भी बढ़ जाता है.

कुछ ऐसा ही अनुभव बेंगलुरु की आईटी कंपनी में काम करने वाली चित्रप्रिया गुप्ता का है. वे बताती हैं, मेरा शहर बेंगलुरु से 28 घंटे की दूरी पर है और मेरे संस्थान में दीवाली की एक दिन की ही छुट्टी होती है. ऐसे में घर जाना और जल्दी लौट कर

आना कई बार मुमकिन नहीं हो पाता है. इसलिए मैं अपने नौर्थ इंडियन कलीग्स के साथ यहीं दीवाली मनाती हूं. मेरे अपने शहर के भी कई दोस्त  बेंगलुरु में ही रहते हैं. हम भले ही पूरे साल एकदूसरे का चेहरा न देखें मगर दीवाली एक ऐसा मौका होता है जब हम सभी इकट्ठा हो कर धमाल मचाते हैं. हम किसी एक का घर दीवाली सैलिब्रेशन के लिए चुन लेते हैं और इस दिन को सैलिब्रेट करने के लिए हम हफ्तेभर पहले से शौपिंग करना शुरू कर देते हैं. कई बार हमें वह सारा सामान यहां नहीं मिल पाता, जिन से त्योहार की रौनक बढ़ जाती है. इसलिए इस के लिए हम औनलाइन शौपिंग कर लेते हैं. हम बिलकुल वैसे ही घर की हफ्तेभर पहले से सजावट कर देते हैं जैसे अपने घर को सजा रहे हों. दीवाली पर क्या पहनना है, इस के लिए हम एक महीने पहले से ही सोचने लगते हैं. कई बार तो हम सब साथ में ही दीवाली की शौपिंग करने निकल जाते हैं. इन सब के बीच हमें बिलकुल भी अकेलापन महसूस नहीं होता.

अकेले हैं तो क्या हुआ, रसोई में घुस कर पाककला में आप हाथ आजमा कर तो देखें. हो सकता है कि यह अनुभव एकदम नया हो मगर यह तय है कि यह कभी न भुला पाने वाला अनुभव जरूर बन जाएगा. खासतौर पर यदि रसोई में हाथ बंटाने के लिए आप का दोस्त भी मौजूद हो तो पकवान के स्वाद में मिठास के साथ प्यार का जायका भी घुल जाएगा.

कोशिश करें कि इस मौके पर थोड़ी मात्रा में ही सही, लेकिन दीवाली पर बनने वाले पकवान जरूर बनाएं और अपने साथियों को खिलाएं. ऐसा करने से त्योहार का उत्साह तो बढ़ेगा ही, साथ ही आपसी संबंधों में मिठास भी घुल जाएगी.

त्योहार के अवसरों पर जिस तरह पकवान मुंह का जायका बदल देते हैं उसी तरह संगीत मन का मिजाज बदल देता है. इसलिए थोड़ा भी अकेलापन महसूस हो तो संगीत सुन कर मन बहला सकते हैं. मौंटक्लेयर स्टेट यूनिवर्सिटी में म्यूजिक प्रोफैसर इथन हीन की मानें तो, म्यूजिक हमें अकेले में भी दूसरे व्यक्ति से जोड़ती है. यह हमें कल्पनाओं में ले जाती है जहां हम किसी के साथ भी नाच सकते हैं और किसी के साथ भी गा सकते हैं.

परिवार से दूर रहने वाले लोग प्रोफैसर इथन हीन की इस थ्योरी से दीवाली के दिन अपने अकेलेपन को दूर भगा सकते हैं. वहीं, मन की संतुष्टि के लिए भी संगीत आप की मदद कर सकता है. एक रिसर्च के अनुसार, जब हम संतुष्ट होते हैं तो हमारे ब्रेन से डूपामेन (फील गुड कराने वाला) नामक न्यूरोकैमिकल रिलीज होता है, जो खुशी का अनुभव कराता है. कुछ ऐसा ही होता है जब हम संगीत सुन रहे होते हैं. इसलिए दीवाली पर अकेले हैं तो म्यूजिक आप के अकेलेपन का सच्चा साथी बन सकता है.

उपहार दे कर लाएं करीब

दीवाली का त्योहार सिर्फ 1 दिन का नहीं होता. दीवाली वाले दिन से 1 माह पूर्व ही तरहतरह के दीवाली मेले और दीवाली उत्सव शुरू हो जाते हैं. इन सभी का नहीं, तो कुछ का हिस्सा आप भी बन सकते हैं. इन मेलों में अकेले जाने की जगह अपने दोस्तों के साथ जाएं. दोस्तों की टोली जब साथ होगी तो आप मेले में अकेले नहीं होंगे. दोस्तों के मस्तीमजाक के साथ दीवाली के उत्सव का मजा चौगुना हो जाता है.

मेलों में बहुत सारी वस्तुएं उपलब्ध होती हैं जिन्हें अपने लिए या अपने परिवार के लिए उपहार के तौर पर खरीदा जा सकता है. माना कि आप इस बार अपने घर नहीं जा पा रहे, मगर कुछ समय बाद जब आप को घर जाने का मौका मिलेगा तब आप उन उपहारों को अपने परिवार को दे सकते हैं. दीवाली पर उपहार देने का मतलब सामने वाले व्यक्ति से स्नेह जताना होता है. इसलिए यह उपहार केवल परिवार वालों के लिए ही नहीं, बल्कि अपने दोस्तों के लिए भी आप खरीद सकते हैं. इस से एक बौंडिंग बनती है और यही बौंडिंग एक नए परिवार की मौजूदगी का एहसास कराती है. इसलिए त्योहार पर किसी भी वजह से घर नहीं जा पा रहे तो मायूस न हों क्योंकि एक नया परिवार खुशियां बांटने और पर्व मनाने के लिए खुली बांहों से आप को पुकार रहा है.

हम कामना करते हैं कि दीवाली के अवसर पर रिश्तों में मधुर रस घोलने की आप की यह कोशिश सिर्फ दीवाली के दिन ही नहीं, पूरे साल आप के जीवन में खुशियां और हर्षोल्लास भरती रहे.

 

रिश्तों को करीब ला सकती है दीवाली की मधुरता

दीवाली लोकप्रिय त्योहार है. इसे पूरा देश भरपूर उत्साह से मनाता है. यह परिवार को करीब लाने का सब से अच्छा जरिया हो सकता है. यह सच है कि अब एक परिवार शहर के अलगअलग इलाकों में रहने लगा है. ऐसे में दीवाली से 4 से 5 दिन पहले अगर बारीबारी से एकदूसरे परिवार के साथ उस के घर जा कर डिनर करें तो रिश्ते मधुर हो सकेंगे. परिवार के बीच नई ऊर्जा का संचार हो सकेगा.

–कल्पना शाह, फिल्म अभिनेत्री

डिनर रिश्तों को सब से करीब लाने का बेहतर रास्ता होता है. खाने का स्वाद, परोसने का तरीका और बातचीत करने की कला सब मिल कर डिनर की टेबल को पौजिटिव एनर्जी से भर देते हैं. जब हम खाने में एकदूसरे का इतना खयाल रखते हैं तो दूसरे को बहुत अच्छा लगता है. बस, ध्यान रहे कि खाने का मैन्यू रोज के रूटीन से हट कर हो. खाने में पसंद के अनुसार स्वीट डिश को जरूर शामिल करें.

–अजीता सिंह, मार्केटिंग ऐक्सपर्ट

डिनर साथ करने से परिवार में आपसी तारतम्य मजबूत होता है, साथ ही साथ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी करीब भी आती है. आज के समय में एक शहर में साथ रहते परिवारों के बीच दूरियां बढ़ रही हैं, यह उस को दूर करने का प्रमुख जरिया हो सकता है. अब शहर बडे़ हो गए हैं. परिवार के लोगों का आपस में मिलना कम हो गया है. एकसाथ बैठ कर खाना परिवार की एकता व मजबूती को बढ़ाता है.

–फाल्गुनी रजानी, अभिनेत्री

अपनों को दें सेहत का तोहफा

रोशनी का पर्व यानी खुशियों और उपहारों का लेनदेन. इस अवसर पर उपहारों का लेनदेन न हो तो त्योहार अधूरा सा लगता है. लेकिन समझ नहीं आता कि ऐसा क्या उपहार दें कि गिफ्टपैक खोलते ही सामने वाले की आंखों में चमक और चेहरे पर रौनक आ जाए. दीवाली के अवसर पर उपहार के रूप में अधिकतर मिठाइयों में मिलावट के चलते शुभचिंतकों के सेहत की चिंता होती है. मिठाइयों में प्रयोग होने वाले मिलावटी पनीर, दूध, खोया और आर्टिफिशियल स्वीटनर सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे उपहारों के विकल्प जो आप के अपनों के लिए होंगे सेहतभरे–

–       अपने दोस्तों, नातेरिश्तेदारों को फ्राइड स्नैक्स और मिठाइयों के बजाय हैल्दी असौर्टेड गिफ्ट की बास्केट उपहार में दें.

–       ड्राई फू्रट्स के साथ ब्राउन राइस, रौस्टेड नमकीन और मुरब्बे के बौक्सेज को मिला कर दीवाली गिफ्ट दे सकते हैं. ये सेहतमंद तो होंगे ही, साथ ही इन्हें काफी दिनों तक रखा भी जा सकता है. यानी जल्दी खराब होने का डर भी नहीं रहेगा.

–       बच्चों के लिए चौकलेट्स, ओट्स, जूस पैक व कुकीज से गिफ्ट बास्केट बनवा सकते हैं. इस गिफ्ट पैक को पा कर बच्चों के चेहरे पर रौनक आ जाएगी.

–       फिटनैस फ्रीक महिला दोस्तों और संबंधियों को स्पा व जिम का गिफ्ट वाउचर उपहारस्वरूप दे सकते हैं. ये अनोखे उपहार उन की दीवाली को खास बना देंगे और साथ ही आप के रिश्ते में मधुरता का रस भी घोलेंगे.

–       घर के अन्य सदस्यों के लिए कस्टमाइज फ्रूट बास्केट तैयार करवा कर उपहार स्वरूप दे सकती हैं. इन फ्रूट बास्केट को चौकलेट के साथ कंबाइन कर के बनाया जाता है जो हैल्दी होने के साथसाथ यूनिक गिफ्टिंग आइडिया होगा.

–       किसी भी गिफ्ट आइटम को पैक करवाते समय उस की एक्सपायरी डेट अवश्य जांच लें. साथ ही, उस की पौष्टिक गुणवत्ता जांचना न भूलें.

– शैलेंद्र सिंह और अनुराधा गुप्ता

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