मैं जिस महल्ले में रहती हूं वहां से थोड़ा हट कर एक बहुत बड़ा क्लीनिक है. यह क्लीनिक डा. डेविड जान बास्की नामक सर्जन का है जो ईसाई हैं. वे हिंदुओं के त्योहार से कोई मतलब नहीं रखते हैं मगर उन के कई सहयोगी हिंदू हैं. आज से 2 साल पहले दीवाली के दिन क्लीनिक के सभी कर्मी छुट्टी पर चले गए जिस वजह से क्लीनिक बंद रखना पड़ा. चूंकि महल्ले में पटाखों की धूमधड़ाम मच रही थी, इसलिए डेविड साहब ने अपने क्लीनिक के गेट में ताला लगवा दिया और खुद क्लीनिक के ऊपरी तल्ले पर आराम करने के लिए चले गए.
रात्रि के 9 बजे चीखपुकार मच गई क्योंकि पड़ोस में रहने वाले प्रकाश सिन्हा के 5 वर्षीय बेटे ने पटाखे से अपना हाथ जला लिया और अंगूठा अलग हो गया. इस से प्रकाश सिन्हा बदहवास हो गए और बच्चे को ले कर डाक्टर की तलाश में जाने लगे. तभी डाक्टर डेविड जान ने अपने क्लीनिक का गेट खोल दिया और बच्चे को भीतर ले गए. उन्होंने बड़ी कुशलता से अंगूठे को जोड़ दिया.
प्रेमशीला गुप्ता, देवघर (झा.)
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एक बार मैं अपने परिवार सहित फिल्म देख कर सिनेमाहाल से बाहर निकल रही थी, इतने में ही एक बच्चा, जो पानी के बुलबुले बनाने वाला खिलौना बेच रहा था, मेरे पास आया और बोला, ‘आंटी, सिर्फ 10 रुपए का है, ले लो.’ इस पर मैं ने उसे 10 रुपए देते हुए कहा, ‘बेटा, ये पैसे आप रखो और यह खिलौना भी आप ही रखो क्योंकि इस से खेलने वाला मेरे घर में कोई छोटा बच्चा नहीं है.’ इस पर पैसे लेने से इनकार करते हुए उस ने कहा, ‘आंटी, मेरे पापा कहते हैं कि कभी भी किसी से कुछ मुफ्त में नहीं लेना चाहिए, मेहनत कर के खाना चाहिए.’ उस की यह बात मेरे दिल को छू गई.
चंद्रा गुप्ता, रोहिणी (न.दि.)
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हमारे घर के लौन में एक विचित्र मगर खूबसूरत पक्षी जमीन पर बैठा था. शायद वह अपने झुंड से बिछड़ गया था. हम उसे एक हवादार डलिया में रख कर कानपुर प्राणी उद्यान ले गए जो हमारे घर के पास ही है. वहां इन के संरक्षक देखते ही समझ गए कि यह दुर्लभ प्रजाति का उल्लू है. वहां के संरक्षक बेजबान जीवों व पक्षियों का दर्द पढ़ना जानते हैं. उसे कुछ दवाएं वगैरा देने के लिए ले गए. उजड़ते वनों के कारण इन के प्राकृतिक आवास घट रहे हैं. इस के कारण इन की अनेक प्रजातियां नष्ट हो रही हैं. इस के लिए हर व्यक्ति को सजग रहना होगा ताकि प्रकृति की अनमोल विरासत बची रह सके.
सिद्धांत कटियार, कानपुर (उ.प्र.)