दिल्ली के बुराङी में अलगअलग सरकारी स्कूलों में बङी संख्या में प्रवासी मजदूरों को रखा गया है.ये वही मजदूर हैं जो पिछले दिनों एक अफवाह के बाद दिल्ली के आनंद विहार में अपने गांव लौट जाने की आस लिए बङी संख्या में इकट्ठे हो गए थे तो हड़कंप मच गया था.
यहां बङी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी हैं जिन्हें सरकार भोजन तो करा रही है पर महिलाओं की जरूरी चीज सैनिट्री पैड्स की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा.
बुराङी में ही पहचान संस्था के संयोजक देव कुमार ने बताया,”जब से इन मजदूरों को यहां लाया गया है तब से इन्हें बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है.इस से खासकर महिलाओं को बङी मुश्किलों का सामना करना पङ रहा है.हालांकि मैडिकल स्टोर खुले हैं पर इन के पास न तो पैसा है और न बाहर निकलने की छूट.ऐसे में साथ रह रहीं महिलाएं सैनिट्री पैड्स की जगह कपङे का इस्तेमाल कर रही हैं. इस से दूसरी तरह का संक्रमण फैलने का खतरा है.”
परेशान हैं स्कूल की लङकियां
बिहार के कटिहार जिले के एक गांव की रहने वाली पिंकी 11वीं की छात्रा है. उस के साथ गांव की ही लगभग 17-18 लङकियां भी साथ ही पढ़ती हैं.पहले इन्हें सैनिट्री पैड्स स्कूल से ही मिल जाते थे पर लौकडाउन में स्कूल बंद होने और गांव से 3-4 किलोमीटर दूर मैडिकल स्टोर होने की वजह से ये सैनिट्री पैड्स नहीं खरीद पा रहीं. इन्होंने कोई 3-4 साल में पहली बार सैनिट्री पैड्स की जगह कपड़ों का इस्तेमाल किया है. यों भी जब देश की राजधानी दिल्ली में जब इस तरह की दिक्कतें हैं तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि बिहार, झारखंड, राजस्थान जैसे राज्यों की स्थिति क्या होगी.
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दिल्ली प्रैस के शैलेंद्र सिंह ने लखनऊ से फोन पर बताया,”लखनऊ के आसपास के गांवों की भी यही स्थिति है.लौकडाउन की वजह से दूरदराज के गांवों की रहने वाली लङकियोंमहिलाओं को भारी परेशानियों का सामना करना पङ रहा है.लौकडाउन में आवश्यक चीजों की आपूर्ति के लिए मैडिकल स्टोर्स और किराने की दुकानें जरूर खुली हुई हैं पर दूरदराज के गांवों में यह सुविधा नहीं पहुंच पा रही है.इस से उन के सामने सैनिट्री पैड्स की समस्या पैदा हो गई है. उत्तर प्रदेश में आंगनवाड़ी केंद्रों से भी सैनिट्री पैड्स मिल जाया करता था पर अब ये भी बंद हैं.
विकट स्थिति
बिहार के ही एक गांव की रहने वाली कविता भी इस समस्या से जूझ रही है. पिता मजदूर है और घर में पहले ही खानेपीने की समस्या आ खङी हुई है. मां नयना भी पहले दूसरे के घरों में काम कर कुछ पैसा कमा लेती थी. पर कोरोना वायरस के कहर के बीच घर के लोगों ने बाहरी व्यक्ति को आने से मना कर रखा है.इस से इन के पास जरूरी पैसे भी नहीं हैं कि सैनिट्री पैड्स जैसी जरूरत की चीजें खरीद सकें.
यों बिहार के सरकारी स्कूलों में छठी से 12वीं तक की लङकियों को साल में 300 रूपए सैनिट्री पैड्स के लिए सरकार देती है यानी प्रत्येक महीना सिर्फ 25 रूपए जो बेहद कम हैं.
वैसे भी सैनिट्री पैड्स को ले कर लङकियों में जागरूकता का भी अभाव है और वे इस मुद्दे पर मां अथवा बङी बहन से भी खुल कर बात नहीं करतीं। ऐसे में घर के किसी पुरूष सदस्य से इस के बारे में बताना तो सोच भी नहीं सकतीं.
घरघर पहुंचाए सरकार
आम आदमी पार्टी की दिल्ली प्रदेश महिला उपाध्यक्ष यस भाटिया बताती हैं,”कोरोना वायरस को ले कर हालांकि मोदी सरकार की लौकडाउन के फैसले का हमारी पार्टी ने समर्थन किया है पर मुझे लगता है कि इस कठिन समय में देश की महिलाओं के लिए मोदी सरकार को और राहत देनी चाहिए थी. जनधन खातों में सरकार ने जो 3 महीने 500-500 रूपए देने की घोषणा की है वह अधिक होना चाहिए था. साथ ही बेहतर होता कि सैनिट्री पैड्स घरों तक पहुंचाए जाते.”
काम नहीं आ रही वैंडिंग मशीनें
वहीं देश के कई जगहों के स्कूलों में सैनिट्री पैड्स के लिए वैंडिंग मशीनें तो लगी हैं पर अभी स्कूल बंद होने की वजह से लङकियां पैड्स नहीं ले पा रहीं.आंगनबाड़ी में काम करने वाली शशि ने बताया,”अभी तो आंगनबाड़ी भी बंद हैं.पहले हम पैड्स को जरूरतमंद महिलाओं के बीच बांटते थे पर कुछ दिनों से यह बंद है. कई महिलाओं के फोन आते हैं पर हम कर भी क्या सकते हैं.”
महिलाओं की मदद कर रही है सरकार
बिहार जनता दल यू (जदयू) की प्रदेश महिला अध्यक्ष श्वेता विश्वास बताती हैं,”देखिए यह सही है कि आम लोगों के साथसाथ लङकियोंमहिलाओं को दिक्कतें आ रही हैं पर नीतीश सरकार ने इन जरूरतों को समझते हुए प्रदेश के संबंधित विभागों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी परिस्थिति में इन की हर तरह से मदद करें.”
उन्होंने बताया,”सैनिट्री पैड्स एक जरूरी चीज है पर अभी के हालात में पूरे देश में लौकडाउन है तो जाहिर है कुछ दिक्कतें हमारी बहनों को हो रही होंगी पर हमारी सरकार प्रयासरत है कि राज्य की महिलाओं की जरूरतों का ध्यान रखा जाए.”
सरकार से सवाल
इन जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ महिलाएं स्वयं सेवी संस्थाओं से भी मदद मांग रही हैं पर पहले से ही तंगहाली के दौर से गुजर रही महिलाओं के लिए यह भी एक विकट समस्या है. समस्या यह भी है कि पहले वे पेट की भूख शांत करें, घर में जरूरी राशन जुटाएं या सैनिट्री पैड्स खरीदें?
समस्या वाकई गंभीर है और केंद्र की मोदी सरकार द्वारा 500-500 रूपए देना कतई पर्याप्त नहीं. ऐसे में क्या सरकार को गरीब महिलाओं की सुध नहीं आनी चाहिए?