उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ियों के लिए शानदार इंतजाम करती है. इसमे कांवड़ियों के लिए मुफ्त का खाना, म्यूजिक, पुलिस बंदोबस्त सब शामिल होता है. एक माह के लिए तमाम प्रमुख सड़क मार्ग बंद कर दिए जाते है. कांवड़ियों के लिए हैलिकॉप्टर से फूल तक बरसने की व्यवस्था की गई थी. भक्तों की भीड़ के लिए सरकार जिस तरह की सुविधाएं मुहैया कराती है वैसा घर लौटते मजदूरों के साथ क्यों नहीं किया गया?

केवल उत्तर प्रदेश ही नही, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली और बिहार की सभी सरकार कांवड़ यात्रा की शानदार व्यवस्था करती है. अब जब इन मजदूरों के लिए घर वापस लौटने की व्यवस्था करने की जरूरत आई तो सभी ने हाथ खड़े कर दिए. देखा जाए तो कांवड़ियों से अधिक मजदूरों की संख्या नही थी. अगर सभी सरकारों में कांवड़ यात्रा के शानदार प्रबंध की तरह ही मजदूरों को घर लाने का प्रबंध करती तो यह दिक्कते नही आती.

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मजदूरों के पलायन पर राजनीति :
दिल्ली से बडी संख्या में यूपी बिहार के मजदूरों का पलायन देख कर पूरा देश आश्चर्य चकित रह गया कि यह कैसा प्रबंध था जिंसमे हजारों के सं ख्या में लोग सड़कों पर आ गए. ऐसे में लोगो के निशाने पर दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सरकारें आ गई.

भाजपा और आम आदमी पार्टी के समर्थक एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे. पूर्व पत्रकार आशुतोष ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते कहा “क्या आपने आनंद विहार पर दिल्ली सरकार के किसी नुमाइंदे को देखा ? कँहा है दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री ? यह सारे लोग वही है जिन्होंने एक महीने पहले केजरीवाल को वोट दिया था. आज यह अपने को अनाथ महसूस कर रहे है. ये पार्टी कहती है कि ये आम आदमी की बात करती है.”

भाजपा के समर्थक आरोप लगाते है कि “केजरीवाल सरकार” ने दिल्ली में रह रहे लोगो को अपने घर जाने की बात कही और यह भी कहा कि बस स्टेशन पर बसे खड़ी है जिनसे बैठ कर लोग अपने अपने घर वापस जा सकते है. इसके बाद बड़ी संख्या में भीड़ बस स्टेशन आ गई.

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अव्यवस्था से बेकाबू हुए हालात :
“जनता कर्फ्यू” के दिन यानी 22 मार्च तक दिल्ली के इन लोगो ने यह तय नही किया था कि इनको दिल्ली से बाहर जाना है. इसके बाद जब पूरा देश लोक डाउन हुआ तब इन लोगो को पता चला कि शायद यह लोक डाउन 14 अप्रैल से आगे बढेगा और 3 माह का हो सकता है. बेरोजगारी का बढ़ता संकट देखकर इन लोगो को लगा कि दिल्ली में रहने से बेहतर है कि यह लोग अपने गांव वापस लौट जाए.

इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 26 मार्च को अपने अधिकारियों से कहा कि प्रदेश के बॉर्डर पर पैदल जाने वाले मजदुरो को उनके जगहों तक पहुचने के लिये सुरक्षित व्यवस्था की जाए.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बिहार में उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह को भी कहा कि यँहा के रहने वालों को पूरी व्यवस्था के साथ भेजा जाएगा.
योगी आदित्यनाथ के इस आश्वासन से लोगो को लगा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके सुरक्षित घर जाने पूरी व्यवस्था की होगी.

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और गृहमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी जानकारी दी कि दिल्ली सरकार की 100 बसे और उत्तर प्रदेश सरकार की 200 बसे इन लोगो की व्यवस्था में लगी है. आम आदमी पार्टी के दोनो नेताओ ने यह भी कहा कि इन लोगो को दिल्ली छोड़ कर जाने की जरूरत नही है. इनके दिल्ली से इस तरह जाने से लोक डाउन का उद्देश्य फेल हो जाएगा. इसके बाद भी घर जाने की जल्दी की वजह से यह लोग सड़कों पर उतर आए.

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महज कागजी साबित हुई व्यवस्था :
जब 20 से 25 हजार लोग दिल्ली और आसपास के जगहों से दिल्ली बस स्टेशन पर जमा हो गए तो चारो तरफ अफरातफरी मच गई. सोशल मीडिया पर इनके फोटो वायरल होने के बाद दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकार में तनातनी फैलने लगी.

उत्तर प्रदेश सरकार ने भीड़ को हटाने के लिए बसों का इंतजाम किया और उनको गाजियाबाद से लेकर लखनऊ रोका गया. राजधानी लखनऊ में हजारों की संख्या में लोग आ गए. इनके रहने खाने का कोई इंतजाम नही था. उत्तर प्रदेश सरकार ने जो व्यवस्था की थी वो पूरी तरह से कागजी थी.

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मजदूरों के पलायन से बढ़ेगी बीमारी :

कॅरोना को लेकर केंद्र सरकार ने शहरों को लॉक डाउन करने का फैसला तो किया पर वँहा रह रहे बाहरी लोगों के पलायन की परेशानियों का आकलन नहीं कर सका. यही वजह है कि दिल्ली उत्तर प्रदेश बॉर्डर के बस अड्डे भीड़ से भर गए. हजारों की संख्या में उमड़ी भीड़ को उत्तर प्रदेश सरकार को बसों और पुलिस के ट्रकों के द्वरा छोड़ने का प्रबंध किया गया. अब सवाल यह उठता है कि बिना किसी सोशल डिस्टनसिंग का पालन किये लाये गए यह मजदूर करोना फैलाने का कारण तो नही बन जयेगे.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि “ऐसे मानसिक एवं शारीरिक दबाव के समय भोजन और काम के बिना बेघर लोगो का घर की ओर गमन स्वाभविक है. सरकार द्वारा व्यवस्था की निरंतरता एवं दूरी बनाये रखते हुए लोगो को उनके घर तक पहुचना जरूरी है. ऐसे बीच मे फंसे लोगों के भोजन, जांच, और आवश्यकता के अनुसार इलाज की व्यवस्था भी होनी चाहिए”.

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