एस बैंक के खतरे में आते ही सोशल मीडिया में एक बार फिर आम लोगों के बीच बैंक खातों में जमा अपने पैसों के डूब जाने की चिंता पर जबरदस्त चर्चा है.ऐसा हो भी क्यों न? जब महज छह महीने के भीतर देश का चौथा सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक डूबने की कगार पर पहुंच गया हो तो न तो इस तरह के डर को महज लोगों के साहस के बल पर रोका जा सकता है और न ही बिना किसी विश्वसनीय ठोस आश्वसन के इस तरह के डर को पैनिक होने से बचाया जा सकता है. करीब 6 महीने पहले जब रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक (पीएमसी) पर प्रतिबंध लगाकर खाताधारकों की विदड्रोल लिमिट 10,000 रुपये तय कर दी थी, तभी से मीडिया में एक और बैंक पर मंडराते खतरे की खबरें आ रही थीं. यह बैंक कोई और नहीं यही यस बैंक था, जिस पर अंततः 5 मार्च 2020 को रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने 3 अप्रैल 2020 तक के लिए  खाताधारकों की अधिकतम विदड्रोल राशि 50,000 रुपये तय कर दी.

कहने की जरूरत नहीं है कि इस खबर के आते ही लोगों में अफरा-तफरी मच गई है. चूंकि यस बैंक की देश के 28 राज्यों और 9 केंद्र शासित प्रदेशों में करीब 1000 शाखाएं और देशभर में 1800 के आसपास इसके एटीएम हैं. इसलिए इसके ग्राहक भी पूरे भारत में हैं और यह अफरा-तफरी भी पूरे भारत में है.

इसी दौरान सोशल मीडिया में लोगों के बीच यह डर और चर्चा भी स्वभाविक है कि क्या बैंक में जमा उनकी रकम डूब जायेगी? करीब करीब हर घबराया हुआ आम आदमी एक दूसरे से यही सवाल पूछ रहा है. ऐसे में कुछ आम सवाल और उनके विश्वसनीय जवाब जरूरी हैं.

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सवाल- अगर बैंक डिफाल्ट कर जाये क्या तब भी किसी खातेदार के बैंक में जमा पूरे पैसे उसे वापस मिलते हैं?

जवाब- अगर किसी बैंक में किसी खातेदार के पांच लाख रुपये तक जमा हैं तो वे वापस मिलेंगे। वास्तव में पांच लाख की यह धनराशि अभी अभी बढ़ी है. इस आम बजट के पहले तक यह धनराशि सिर्फ एक लाख रूपये थी.किसी भी खाताधारक को अपने कुल जमा पर यह अधिकतम राशि इसलिए मिल जायेगी; क्योंकि बैंक में जो भी पैसा जमा होता है, वह डिपोजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिड गारंटी कारपोरेशन (डीआईसीजीसी) द्वारा बीमित होता है.पिछले आम बजट के पहले तक यह अधिकत राशि एक लाख रुपये तक हुआ करती थी.लेकिन बैंकों के डिफाल्ट होने पर मिलने वाली इस अधिकतम राशि के बारे में कुछ बातें और जान लीजिए.

  • अगर आपका किसी डिफाल्ट बैंक की चार अलग अलग शाखाओं में एकाउंट है और उन सब एकाउंट्स में जमा पैसा पांच लाख से ऊपर है तो भी आपको कुल पांच लाख रुपये ही मिलेंगे.
  • ये पांच लाख रुपये की गारंटी भी अभी तक केंद्रीय बजट में दी गई गारंटी ही है.इन पंक्तियों के लिखे जाने तक यह स्पष्ट नहीं है कि बजट में दी गई यह गारंटी चलन में आ चुकी है या अभी तक नहीं. लेकिन डीआईसीजीसी की वेबसाइट में यह रकम दर्ज है. इसलिए कहा जा सकता है कि बदला हुआ नियम चलन में आ चुका है.
  • डिफाल्ट हुए बैंक में जमा राशि पर मिलने वाली अधिकतम राशि में मूल धन और ब्याज सब शामिल होता है.अगर आपका मूल धन 4 लाख है और ब्याज 2 लाख है तो भी आपको कुल 5 लाख रुपये ही मिलेंगे.यह नहीं है कि मूल धन के अलावा ब्याज भी अलग से मिल जायेगा.
  • इस बात को भी ध्यान में रखें कि डिफाल्ट होने वाले बैंक में अगर आपके एक से ज्यादा अलग अलग तरह के एकाउंट हैं मसलन आपकी उसी बैंक में चार लाख की एफडी है, उसी बैंक की किसी दूसरी शाखा में आपका सावधि खाता है (रैकरिंग एकाउंट) और उसी बैंक में आपका करेंट एकाउंट भी है.इन सभी खातों में जमा धनराशि तथा उस पर मिलने वाली ब्याज की राशि मिलकर, अगर 5 लाख से काफी ज्यादा हैं तो भी आपको सिर्फ और सिर्फ 5 लाख ही मिलेंगे.

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सवाल- ऐसी स्थिति को ध्यान में रखकर आम लोग आखिर ऐसा क्या करें जिससे कि बैंकों में उनकी जमा राशि पूरी तरह से सुरक्षित हो?

जवाब- इस सवाल के कई जवाब हैं.पहला तो यह कि हर खाताधारक सुनिश्चित करे कि किसी भी एक बैंक में उसकी अधिकतम जमा धनराशि, मूल और ब्याज के साथ मिलकर पांच लाख से कम हो. जिससे कि बैंक के डिफाल्ट होने पर उसे उसकी पूरी राशि मिल जाए.

  • इस सवाल का एक जवाब यह भी है कि अगर बैंकों में आपके पास जमा करने के लिए या उनकी योजनाओं में हिस्सेदारी करने के लिए पांच लाख रुपये से ज्यादा की व्यवस्था हो तो एक बैंक की बजाय आप उसे कई अलग अलग बैंकों में रखें.इससे दो फायदे होते हैं, एक तो यह कि एक बैंक डिफाल्ट कर जाता है तो दूसरे बैंक में जमा पैसा आपके तुरंत काम में आ सकता है.साथ ही अगर दोनो बैंक एक साथ डिफाल्ट कर जाता है तो भी आपका पूरा पैसा सुरक्षित हैं. तब दोनो ही बैंक आपके पांच लाख रुपये से कम होंगे.
  • जहां तक अच्छा बैंक चुनने का सवाल है तो फिलहाल तो हर बैंक इस तरह की चालाकी बरतता है कि आम आदमी बहुत आसानी से स्पष्ट रूप से नहीं जान पाता कि कौन बैंक वाकई कमजोर है और कौन बैंक वाकई मजबूत है. फिर भी जब भी अच्छा बैंक चुनने की बात हो तो बैंक की क्रेडिट रेटिंग के आधार पर चुनना चाहिए. साथ ही उसके शेयर भाव और मार्केट कैपिटलाइजेशन को भी देखना चाहिए। किसी बैंक के मजबूत होने के यही बुनियादी आधार हैं.
  • अपनी पूरी सेविंग कभी भी एक ही बैंक में या एक ही बैंक की अलग अलग शाखाओं में न रखें। आपके कम से कम दो बैंक में एकाउंट तो होने ही चाहिए. इससे ज्यादा के एकाउंट भी नुकसानदायक है.क्योंकि आज की तारीख में हर बैंक एकाउंट आपरेशन की लागत अपने ग्राहक से ही वसूलता है. इसलिए ज्यादा बैंकों में एकाउंट होने का मतलब बैंकों को बेमतलब चार्ज देना है.

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