‘एक दिन में कोई टौपर नहीं बनता. इस के पीछे छिपी होती है मेहनत, आत्मविश्वास और अपनों का सपोर्ट,‘ ऐसा कहना है दिल्ली की सुकृति गुप्ता का, जिस ने दिल्ली में ही नहीं भारत में 12वीं में टौप किया है. सीबीएसई 2016 की टौपर सुकृति को 500 में से 497 अंक मिले. सफलता की पूरी कहानी सिर्फ किताबी कीड़े से होते हुए नहीं गुजरी. इस में शामिल है सालभर की मेहनत, टाइम मैनेजमैंट, अपनों का सपोर्ट और थोड़ी मौजमस्ती. आइए, जानते हैं उस की सफलता का राज उन्हीं की जबानी.

किसी भी परीक्षा में टौप करना आसान नहीं होता. आप ने यह कर दिखाया है. क्या आप ने ऐग्जाम में टौप करने के लिए कोई खास तैयारी की थी?

मैं ने कोई प्लानिंग नहीं की थी, लेकिन अपना सर्वश्रेष्ठ देने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी और इसी के बल पर मैं ने 12वीं में टौप किया.

जब यह खबर मिली कि आप ने टौप किया है, तो आप को कैसा महसूस हुआ?

मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि मुझे टौप करने की बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी. सच कहूं तो मैं आप से शब्दों में बयां नहीं कर सकती कि मुझे कितनी खुशी महसूस हुई. स्कूल में स्वस्थ प्रतियोगी माहौल मिला, जिस का खूब फायदा हुआ.

अब आगे का गोल क्या है यानी भविष्य की प्लानिंग क्या है?

मैं ने पहले ही तय कर रखा था कि 12वीं के बाद मैं इंजीनियर बनूंगी. अपनी सोच पर कायम हूं. अच्छे संस्थान में ऐडमिशन पाने के लिए ऐंट्रैंस ऐग्जाम की तैयारी कर रही हूं.

हर सफलता के पीछे किसी न किसी का हाथ होता है. आप को पेरैंट्स का कितना सपोर्ट मिला?

मेरे पिता राकेश गुप्ता और मां रेणुका जैन गुप्ता दोनों ने मुझे बहुत सपोर्ट किया. हमारे घर में हमेशा हैल्दी ऐन्वायरमैंट रहा है. जब कभी भी मैं टैंशन में होती तो मुझे उस से मांपापा ही बाहर निकालते. सब से बड़ी बात कि उन्होंने मुझ पर अच्छे नंबर लाने के लिए कभी दबाव नहीं डाला. यही वजह है कि मैं ने पौजिटिव तरीके से सारे पेपर्स दिए.

अपनी सफलता का श्रेय किसे देना चाहती हैं?

मेरी सफलता के पीछे सब से बड़ा हाथ मेरे टीचर्स का है, क्योंकि मुझे स्कूल व कोचिंग दोनों ही जगह टीचर्स का पूरा सहयोग मिला.

हर साल बोर्ड की परीक्षा में लाखों छात्र बैठते हैं. उन से आप क्या कहेंगी?

मैं छात्रों से यही कहूंगी कि दिमाग ठंडा रखें, अपनी तरफ से मेहनत में कसर न छोड़ें. रिजल्ट अपनेआप अच्छा आएगा.

क्या पढ़ाई के दौरान आप को कभी तनाव महसूस हुआ?

नहीं, मैं ने कभी भी तनाव महसूस नहीं किया, क्योंकि मैं कभी 100 अंक लाने के बारे में नहीं सोचती थी. मैं केवल अपनी तरफ से सब से अच्छा करने के बारे में सोचती थी.

आप ने रोजाना कितनी देर पढ़ाई की? आप लड़कियों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के लिए क्या संदेश देना चाहेंगी?

कड़ी मेहनत करें और खुद को किसी से कम न समझें.

पढ़ाई के साथ आप की दूसरी हौबी क्या है?

मुझे घूमना पसंद है. मैं पूरी दुनिया घूमना चाहती हूं.

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