सवाल

मैं अपने 2 बेटों, बहुओं और उन के बच्चों के साथ रहता हूं. पत्नी की मृत्यु 3 साल पहले हो गई थी. दोनों बेटे औफिस में रहते हैं और बहुएं अपने घरबाहर के काम में. मैं 4 महीने पहले ही रिटायर हुआ हूं. पत्नी की मृत्यु के बाद वक्त औफिस में कट जाता था पर अब वक्त जैसे कटता ही नहीं है. कुछ पढ़ते पढ़ाते समय गुजारने की कोशिश करो तो आंखों पर जोर पड़ने लगता है. पोतेपोती अपनी पढ़ाई, कोचिंग में तो कभी फोन में घुसे रहते हैं. मन हर समय बेचैन रहता है. क्या करूं, समझ नहीं आता.

ये भी पढ़ें- मेरा रिश्ता टूट गया है, लगता है डिप्रैशन में जा रही हूं. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए आप का अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना बेहद जरूरी है. आप घर में दिनभर बोर होते रहते हैं और ऐसा कोई कार्य नहीं करते जिस से आप में ऊर्जा का प्रवाह हो, मनोरंजन हो या अच्छा महसूस हो. इस व्यस्त जीवन में यदि आप अपने परिवार से उम्मीद लगाएंगे कि वे आप को समय दें तो यह आप का उन से अत्यधिक अपेक्षा रखना होगा.

आप किसी वृद्ध ग्रुप को जौइन करने के बारे में क्यों नहीं सोचते. आजकल वृद्धों के ऐसे कई ग्रुप्स हैं जो विभिन्न ऐक्टिविटीज द्वारा अपना मनोरंजन भी करते हैं और सेहत का भी ध्यान रखते हैं. आप वहां अपने हमउम्र लोगों से मिलेंगे तो आप को अच्छा भी लगेगा.

आप को यदि अपनी मनपसंद किताबें या पत्रिकाएं पढ़ने में तकलीफ होती है तो आप उन की औडियो क्लिप्स सुन लिया कीजिए. हर समय तटस्थ होने के बजाय आप भी स्मार्टफोन का थोड़ाबहुत उपयोग करना शुरू कर दीजिए.

ये भी पढ़ें- दो महीने से मेरी बेटी का बर्ताव बदल गया है, मैं क्या करूं?

सोशल मीडिया से न केवल आप का थोड़ाबहुत मन लग जाएगा बल्कि आप के पास अपने पोतेपोतियों से बातें करने के लिए कुछ नया भी होगा.

आप के अकेलेपन का उपाय आप का अपटूडेट न होना ही है. दुख और चिंता में डूबे रहने से आप खुश कैसे रहेंगे. अब तो औफिस भी नहीं है, तो इस खाली समय का भरपूर आनंद लीजिए.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...