तेरे माथे की बिंदिया से
कुछ याद नहीं आता
चमकती चूंडि़यों की खनक
माथे में सुर्ख सिंदूर
सुहागन का सा सौंदर्य
देख कर भी
कुछ याद नहीं आता
वो हसीन पल
जो हमारे अपने थे
दफन हैं किसी तहखाने के भीतर
इसीलिए शायद
कुछ याद नहीं आता
न करो कोशिश अब
कुछ याद दिलाने की मुझे
कुछ याद नहीं आता
बंद कमरे में चीख लूंगा
जी भर कर रो लूंगा
स्मृतियों को आंसुओं से ढक लूंगा
तब भी यही कहूंगा
कुछ याद नहीं आता.
- सम्राट विद्रोही
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
(1 साल)
USD48USD10

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
(1 साल)
USD100USD79

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...
सरिता से और