इस महिला को हल्के में मत लेना क्योंकि ये कोई साधारण महिला नहीं, ये हैं इंडिया की रिवौल्वर दादी. शूटिंग में उस्तादों की उस्ताद रिवौल्वर दादी का हर निशाना होता है बिल्कुल सटीक. शूटर रेंज पर अच्छे अच्छों की खाट खड़ी कर देती हैं ये शूटर दादी. इनका नाम है चंद्रो तोमर. उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के जोहड़ी गांव में रहने वाली 86 साल की ये महिला न सिर्फ खुद एक बेहतरीन शूटर हैं, बल्कि वे दूसरों को शूटिंग की ट्रेनिंग भी देती हैं. पच्चीस राष्ट्रीय शूटिंग चैम्पियनशिप के खिताब चंद्रो तोमर के नाम दर्ज हैं.
रिवौल्वर दादी की जिन्दगी पर बन रही फिल्म ‘सांड की आंख’ की चर्चा आजकल जोरों पर है. इस फिल्म में चंद्रो और उनकी शूटर ननद प्रकाशी तोमर की कहानी दिखायी जाएगी. फिल्म की शूटिंग जोरों पर है, जिसमें दोनों महिलाओं का किरदार निभा रही हैं तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर. फिल्म का निर्देशन लेखक से डायरेक्टर बनने जा रहे तुषार हीरानंदानी कर रहे हैं.

फिल्म में तापसी और भूमि के साथ-साथ विनीत सिंह, शाद रंधावा भी नजर आएंगे. ग्रामीण बैकड्रौप पर बन रही इस फिल्म के लिए राज शेखर ने लिरिक्स तैयार किये हैं. विशाल मिश्रा फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर होंगे. वहीं अनुराग कश्यप, निधि परमार और रिलायंस एंटरटेनमेंट फिल्म प्रोड्यूस कर रहे है. बागपत में 10 फरवरी 2019 को इस फ़िल्म का फिल्मांकन शुरू हुआ. फ़िल्म के कुछ हिस्सों को हस्तिनापुर और मवाना में फिल्माया जाएगा. इसे 25 अक्टूबर 2019 को रिलीज़ किया जाना तय है.

यह फिल्म उन महिलाओं की कहानी सामने ला रही हे, जिन्होंने भाग्य बदलने हर लड़ाई लड़ी!

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पोती के चक्कर में बन गईं निशानचीं

‘रिवौल्वर दादी’ के नाम से मशहूर चंद्रो तोमर निशानेबाजी से लेकर गाय का दूध दुहने और रसोई के काम निपटाने में माहिर हैं. उनके छह बच्चे और पंद्रह नाती-पोते हैं. दिलचस्प बात यह है कि चंद्रो तोमर ने निशानेबाजी शुरुआत 65 साल की उम्र में की. वह भी अचानक. दरअसल वह तो अपनी पोती शैफाली को लेकर भारतीय निशानेबाज डौक्टर राजपाल सिंह की शूटिंग रेंज पर गई थीं. दो दिन की ट्रेनिंग में उन्होंने देखा कि शैफाली को गन लोड करना ही नहीं आया. तीसरे दिन दादी ने उसके हाथ से गन लेकर लोड की और निशाना लगा दिया. निशाना सटीक लगा. निशाना सही देख कर राजपाल तो आश्चर्यचकित रह गए, बोले, ‘दादी तू भी शूटिंग शुरू कर दे.’ बच्चों ने भी उन्हें थोड़ा उकसाया, बोले कि दादी प्रेक्टिस शुरू कर, हम गांव में किसी से न कहेंगे और बस दादी शुरू हो गईं. निशानेबाजी का सिलसिल चल पड़ा. रात को जब परिवार में सब सो जाते थे तब दादी भूसा वाले कमरे में जाकर पानी से भरा जग घंटों हाथ में लेकर खड़ी रहती थीं. जिससे गन से निशाना लगाते समय हाथ सधा रहे. एक बार जो निशानेबाजी शुरू हुई तो फिर दादी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने 25 नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और सारे टूनार्मेंट जीते.

अखबार में छपी फोटो तो दादी की सूखी जान

जब चंद्रो तोमर राजपाल की एकेडमी में शूटिंग की कोचिंग ले रही थीं, तब किसी पत्रकार ने अपने समाचार पत्र में शूटिंग करता उनका फोटो प्रकाशित कर दिया. अगले दिन घर में अखबार आया तो अपना फोटो देखकर दादी डर गईं. चटपट अखबार फाड़ कर चूल्हें में झोंक दिया कि कहीं किसी को पता न चल जाए. दादी कहती हैं, ‘पढ़ना तो जानती नहीं थी, मगर अखबार में अपनी फोटो देखकर सारा मामला समझ में आ गया था, सो तुरंत फाड़ के फेंका कि कहीं पति देख न लें.’

लेकिन चंदन की खुश्बू जैसा रिवौल्वर दादी का यह गुण गांव भर में फैल गया. जल्दी ही दूर-दूर से लोग दादी से शूटिंग की ट्रेनिंग लेने आने लगे.

सैकड़ों को किया प्रशिक्षित

उत्तर प्रदेश में सैकड़ों युवाओं को शूटिंग में प्रशिक्षित करने के साथ-साथ चंद्रो तोमर ने अपने भतीजी सीमा सहित अपने परिवार के नौ सदस्यों को पढ़ाया-लिखाया और अपनी पोती शैफाली के निशानेबाजी के कौशल में सुधार किया. उनकी भतीजी सीमा 2010 की शाटगन चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं और शैफाली ने हंगरी और जर्मनी में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया.
चंद्रो की ट्रेनिंग के बाद कई महिला छात्रों ने सेना में नौकरियां भी प्राप्त की हैं.

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चंद्रो कहती हैं, ‘महिलाओं को भी पुरुषों के समान खेलों में बराबर की भागेदारी मिलनी चाहिए.’ एक पुरानी घटना को याद करते हुए वो कहती हैं कि एक बार उन्होंने एक पुलिस औफिसर को शूटिंग में हरा दिया था, तो तस्वीर खिंचवाते हुए उसने मेरे साथ खड़े होने से इंकार कर दिया और ऐसा उसने मेरे महिला होने की वजह से खेल में हारने के बाद किया. चंद्रो कहती हैं कि हाल ही में उनके पास राजस्थान से एक खिलाड़ी का कौल आया, जिसमें उसने शूटिंग सीखने का अनुरोध किया. मगर चंद्रो वहां जाकर उस बच्चे को नहीं सिखा सकती थी, इसलिए मना कर दिया. चंद्रो की इच्छा है कि वो बागपत में अपने गांव के निकट एक हौस्टल का निर्माण कर सकें, ताकि अलग-अलग राज्यों से खिलाड़ी सीखने के लिए वहां आ सकें.
10 मीटर की पिस्तौल शूटिंग में 30 से अधिक चैंपियनशिप जीतने के बाद, उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चंद्रो तोमर की उपलब्धियों का जश्न भी मनाया. ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की मुहीम में आज चंद्रो तोमर एक अनूठा उदाहरण हैं, जिन्होंने लोगों को ये सोचने पर मजबूर किया है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती और इंसान अगर ठान ले तो कुछ भी कर सकता है. आज चंद्रो नियमित रूप से टीवी शोज में दिखाई देती हैं. रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़कर उड़ चलने सीख देने वाली यह रिवौल्वर दादी आज भारत की हर महिला के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत हैं.

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