जिंदगी में अगर ठान लिया कि हमें यह मुकाम हासिल करना है, तो ऐसा कोई कारण नहीं कि सफलता न मिले. लेकिन इस के लिए हमें कड़ी मेहनत, फोकस व संयम की जरूरत पड़ती है. इन्हीं सब के बूते टीना डाबी ने पहली बार में ही यूपीएससी में टौप कर सब को चौंका दिया. महज 22 वर्ष की उम्र में अपने पहले ही प्रयास में देश की सब से प्रतिष्ठित यूपीएससी की परीक्षा में टौप करना गौरव की बात होती है. दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा रही टीना डाबी अपनी मां को प्रेरणा बताते हुए कहती हैं कि वे अपनी मां के मार्गदर्शन के कारण ही इस मुकाम तक पहुंची हैं. बता दें कि टीना की मां हेमाली ने बेटी की पढ़ाई के लिए सरकारी नौकरी छोड़ दी. पिता जसवंत डाबी दूरसंचार विभाग में अधिकारी हैं.

टीना की इस सफलता पर उन की मां का कहना है कि उन की बेटी उन की हीरो है. टीना के पिता इस रिजल्ट से काफी गौरवान्वित हैं. उन का कहना है कि महज 22 साल की उम्र में टीना ने पहली कोशिश में ही जो मुकाम हासिल किया है वह उन के लिए गर्व और आश्चर्य की बात है. आइए जानते हैं, टीना की सफलता की कहानी उन्हीं की जबानी :

जब आप को यूपीएससी में टौप करने की सूचना मिली, तब कैसा महसूस हुआ?

मुझे बेहद खुशी हुई. यह मेरे जीवन का सर्वश्रेष्ठ दिन रहा. सब से अधिक खुशी इस बात की रही कि मैं ने अपने मातापिता के सपने को पूरा किया.

हर सफलता के पीछे जहां आप की मेहनत सब से बड़ा रोल निभाती है, वहीं आप का कोई न कोई रोल मौडल भी होता है. आप अपना रोल मौडल किसे मानती हैं?

इस सफलता का श्रेय मैं खुद को देने के साथसाथ अपनी मां को देती हूं. मेरी मां मेरी आदर्श हैं. वे चाहती थीं कि मैं राजनीति विज्ञान की पढ़ाई करूं. मैं ने इस का चुनाव किया और परीक्षा पास की. यह मेरा मुख्य विषय था. मां ने शुरू से ही मुझे आगे बढ़ाया और कहा कि मैं सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करूं, आईएएस बनूं.

परिवार से कितना सपोर्ट मिला?

परिवार के सपोर्ट के बिना मेरे लिए यह सफलता प्राप्त करना मुश्किल था. मेरी सफलता के पीछे परिवार के साथसाथ धैर्य, फोकस और अनुशासन का भी बहुत बड़ा हाथ है.

आखिर आप ने हरियाणा को ही क्यों चुना?

मैं हमेशा से चुनौतीपूर्ण राज्य में काम करना चाहती थी इसलिए मैं ने हरियाणा को चुना. हम जानते हैं कि वहां युवक और युवतियों का अनुपात काफी कम है, इसलिए मैं वहां महिला सशक्तिकरण के लिए अपना योगदान देना चाहती हूं.

आप की सफलता की बात सोशल साइट्स पर खूब वायरल हुई. साथ ही यह भी कि तैयारी के दौरान आप ने करीब एक साल तक अपना फेसबुक अकाउंट डिऐक्टिवेट रखा? इस बात में कितनी सचाई है?

हां, यह सच है. मुझे अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना था, इसलिए मैं सोशल मीडिया से भी दूर हो गई थी, लेकिन रिजल्ट आने के बाद मैं ने अपना फेसबुक अकाउंट फिर से ऐक्टिवेट कर दिया. लेकिन ऐसा नहीं था कि इस दौरान मैं ने अपनेआप को एक कमरे में बंद कर लिया हो.

दोस्तों से मिलनाजुलना होता रहा या वह भी बंद था?

मैं 15-20 दिन में अपने दोस्तों से मिलने जाती थी व शौपिंग भी करती थी.

अपनी तैयारी के बारे में भी कुछ बताइए?

कामयाबी के लिए धैर्य रखना बहुत जरूरी है. साथ ही परीक्षा में सफलता के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति का होना भी जरूरी है. जैसा कि आप को पता ही होगा कि मैं ने श्रीराम कालेज औफ कौमर्स, दिल्ली से राजनीति विज्ञान में ग्रैजुएशन की. मैं ने 20 साल की आयु में ही ग्रैजुएशन कर ली थी, लेकिन 21 साल का न होने के कारण मैं यूपीएससी की परीक्षा में नहीं बैठ सकती थी. इसी वजह से एक साल तक कोचिंग ली और 2015 में सिविल सेवा की परीक्षा के लिए आवेदन किया. अगर हम कठिन परिश्रम करें और पूरी लगन से लक्ष्य पर टिके रहें, तो सफलता अवश्य मिलती है.

आप की सफलता में आप के कालेज का कितना योगदान है?

कोई किसी भी कालेज से पढ़े, वह हमेशा अपने कालेज को बैस्ट ही बताता है. हम जो अपनी कालेज लाइफ में पढ़ते हैं, वह हमारे साथ जीवनभर रहता है. पर मैं कहूंगी कि लेडी श्रीराम कालेज के छात्रों की नींव काफी मजबूत होती है.

जो युवकयुवतियां सिविल सेवा की तैयारी कर रहे हैं, उन के लिए क्या संदेश देना चाहेंगी?

सिविल सेवा में सफलता के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत होती है. आप को धैर्य रखना पड़ता है. पूरे साल परीक्षा चलती रहती है, इस दौरान आप को मानसिक रूप से हमेशा तैयार रहना पड़ता है.

इस परीक्षा की तैयारी कर रहे युवकयुवतियों को एक दिन भी गंवाना नहीं चाहिए. मेहनत करें क्योंकि मेहनत का कोई शौर्टकट नहीं होता.               

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