जब कोई इनसान बाजार से किसी भी चीज को खरीदता है, तब वह उपभोक्ता यानी खरीदार कहलाता है. हम सभी उपभोक्ता हैं, क्योंकि रोज ही हम अपने इस्तेमाल की कोई न कोई चीज खरीदते रहते हैं. इन चीजों में दूध, सब्जी, कापी, पैंसिल, कपड़े, फर्नीचर व बिजली का सामान जैसी बहुत सी चीजें आती हैं. उपभोक्ता इन चीजों को खरीदने के लिए पैसा, समय, ताकत व दिमाग आदि का इस्तेमाल करता है. रोजाना इस्तेमाल में आने वाली चीजें हम बाजार में कई जगहों से खरीद सकते हैं जैसे कि दुकान, फुटपाथ, बाजार, थोक की दुकान या केंद्रीय भंडार.

उपभोक्ता आमतौर पर बाजार की सही जानकारी नहीं रखते, जैसे कि कौन सी नईनई चीजें बाजार में बिक रही हैं, कौन सी चीज कहां अच्छी व सस्ती मिल सकती है. बेचने वाला खरीदने वाले की इस नादानी का फायदा उठाता है और गलत तरीके इस्तेमाल करता है जैसे कि कम तोलना, सही चीज न देना, मिलावट करना आदि. इस तरह से बेचने वाला तो ज्यादा फायदा कमाता है, लेकिन उपभोक्ता अपना पैसा खर्च कर के भी पूरी तसल्ली नहीं पाता. इसलिए बाजार से किसी चीज को खरीदते समय उपभोक्ता को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जैसे किसी एक चीज की अलगअलग कीमतें होना, चीजों का बाजार में न मिलना, मिलावट होना, गलत मापतोल होना, घटिया किस्म होना आदि.

ऐसे में जरूरत है कि खरीदारों को उन के अधिकारों  प्रति जागरूक किया जाए और चीजों के बारे में पूरी जानकारी दी जाए ताकि वे धोखाधड़ी का शिकार न हो सकें. उन को अपने अधिकारों व कर्तव्यों की सही जानकारी होनी चाहिए.

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