प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी और अमित शाह ने देखते ही देखते चंद दिनों में कश्मीर का मसला हल कर के राजनीतिक साहस का परिचय दिया है.

लोकसभा और राज्यसभा में आर्टिकल 370 को निर्मूल कर दिया गया है. ऐसे में कांग्रेस  के समक्ष दो रास्ते से एक या तो सरकार का समर्थन किया जाता या फिर विरोध अथवा प्रतिकार .

कांग्रेस ने दूसरा रास्ता अपनाया. आर्टिकल 370 पर भाजपा और राजग सरकार की नीति के खिलाफ अलग स्टैंड अपनाकर जहां तक हो सका कांग्रेस ने विरोध किया. मगर इतने व्यापक मसले पर कांग्रेस को जैसे तेवर दिखाने चाहिए थे वह नहीं दिखाए . परिणाम स्वरूप विपक्ष जब कमजोर पड़ा नरेंद्र मोदी और अमित शाह की बन आई देश में खिलाफत करने वाला कोई नहीं रहा तो कई बड़ी खामियां भी सरकार की ढक छुप गई अब शनै: शनै: यह तथ्य सामने आ रहे हैं जिन पर चर्चा करना और समीक्षा आज की जरूरत है क्योंकि आर्टिकल 370 का मसला राष्ट्र से जुड़ा है और साथ ही दुनिया इस पर नजर रखे हुए हैं .

 राहुल क्यों नहीं गए कश्मीर !

आर्टिकल 370 का मसला देश दुनिया को हिल्लोरने वाला है यह सभी जानते हैं. 5 अगस्त अब वह ऐतिहासिक दिन बन चुका है जब राज्यसभा में गृहमंत्री बतौर अमित शाह ने अपना प्रस्ताव पेश किया . मगर उससे एक सप्ताह पूर्व से ही कश्मीर को लेकर गतिविधियां प्रारंभ हो गई थी और यह कयास आम आदमी भी लगा रहा था की अमरनाथ यात्रा बीच में रोकना सरकार द्वारा एडवाइजरी जारी करना 10हजार सैन्य बल कश्मीर भेजना यह सब अकारण नहीं है.

कश्मीर के हालात धीरे-धीरे गर्म हो रहे थे कश्मीर के बड़े नेता फारूक अब्दुल्ला, अमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती सभी चिंतित थे और उन्हें अहसास हो गया था कि सरकार क्या करने जा रही है .यही कारण है की यह सब नेता प्रधानमंत्री, और जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक से भी मिले और शंका निवारण का आग्रह किया. मगर कश्मीर के नेताओं को कुछ भी नहीं बताया गया .क्या यह उचित था ? सवाल है ऐसे समय में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी कहां थे ?उस दरम्यान कश्मीर क्यों नहीं पहुंचे. आर्टिकल 370 पारित होने के बाद ही गुलाम नबी आजाद को कश्मीर भेजा गया प्रियंका और राहुल कश्मीर क्यों नहीं गए.

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कांग्रेस की रणनीति है यह

अर्थात यह कांग्रेस की रणनीति थी या कमजोर नेतृत्व के कारण चूक ? देश मे छोटी-छोटी बातों में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी तत्काल मौके पर पहुंच जाते हैं पिछले दिनों प्रियंका गांधी सोनभद्र मसले पर उत्तर प्रदेश पहुंच गई जब सरकार ने रोका तो अड़ गई. फिर कश्मीर जैसे मसले पर जिस पर यह फैसला हो चुका था की कांग्रेस इस गंभीर राष्ट्रीय मसले पर सरकार के साथ नहीं है तब इस पर सरकार को घेरा क्यों नहीं गया कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला सांसद सदस्य हैं . संसद में उपस्थित नहीं थे कांग्रेस इस पर अमित शाह की बोलती बंद कर सकती थी. कांग्रेस हल्ला कर सकती थी की पहले फारूक अब्दुल्ला साहब को संसद में बुलाया जाए ! कह सकती थी की उन्हें कैद कर रखा गया है मगर कांग्रेस मौन रही… चूक गई.

कश्मीर बुला रहा है…..

नि:सन्देह भाजपा और मोदी सरकार का कश्मीर को लेकर उठाया कदम राष्ट्रवाद से प्रेरित है देश में आवाम ने खुले ह्रदय से आर्टिकल 370 हटाए जाने का स्वागत किया है. मगर यह भी सत्य है की कश्मीर के हालात अच्छे नहीं हैं.

फारूक अब्दुल्ला, अमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती सहित सैकड़ों कश्मीरी नेताओं की आवाज दबा दी गई है. प्रेस पर प्रतिबंध है. इंटरनेट आदि बंद करा दिया गया है. ऐसे में कांग्रेस अपना दायित्व कहां निभा रही है ?

देश में कहीं भी अत्याचार, दमन होता है राहुल प्रियंका एवं सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष विपक्ष होने के नाते पहुंचते हैं और मीडिया के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करा कर एक संदेश प्रसारित किया जाता है. मगर जम्मू कश्मीर के मसले में ऐसा क्यों नहीं हो रहा?

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