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प्यार किसी का मौत किसी को : बाबा के प्यार में ली पति की जान

7 मई, 2017 को मध्य प्रदेश के जिला झाबुआ की कोतवाली के प्रभारी आर.सी. भास्करे को हाथीपावा पहाड़ी पर चल रहे श्रमदान में जाना था. वहां एसपी महेशचंद जैन तथा जिलाधिकारी भी आ रहे थे, इसलिए वह समय से वहां पहुंच गए थे.

लेकिन आर.सी. भास्करे जैसे ही वहां पहुंचे, उन्हें किसी ने बताया कि नयागांव और डगरा फलिया के बीच सड़क पर एक लाश पड़ी है, जो नयागांव के रहने वाले तूफान थामोर की है. उस की मोटरसाइकिल भी वहीं पड़ी है. शायद रात को शराब पी कर वह मोटरसाइकिल से घर जा रहा था, तभी उस का एक्सीडेंट हो गया है.

आर.सी. भास्करे ने यह बात एसपी महेशचंद जैन को बताई तो उन्होंने दिशानिर्देश दे कर तुरंत उन्हें घटनास्थल पर पहुंचने को कहा. जब वह घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि मोटरसाइकिल गिरी पड़ी है. लाश उसी मोटरसाइकिल के नीचे पड़ी थी. उन्होंने गौर से मोटरसाइकिल और लाश का निरीक्षण किया तो उन्हें यह देख कर हैरानी हुई कि न तो मोटरसाइकिल में किसी तरह की टूटफूट हुई थी और न ही मृतक को कहीं चोट लगी थी.

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वहां मोटरसाइकिल के घिसटने का भी कोई निशान नहीं था. जबकि अगर एक्सीडेंट हुआ होता तो मृतक को तो गंभीर चोट आई ही होती, मोटरसाइकिल भी उस के ऊपर गिरने के बजाय कहीं दूर पड़ी होती, साथ ही उस के घिसटने या गिरने के निशान भी होते.

मृतक और मोटरसाइकिल की स्थिति देख कर आर.सी. भास्करे को समझते देर नहीं लगी कि यह हत्या का मामला है. तूफान की हत्या कर के उस के ऊपर मोटरसाइकिल रख कर उसे एक्सीडेंट का रूप देने की कोशिश की गई है. आर.सी. भास्करे ने मृतक के घर सूचना भिजवा दी थी. सूचना पा कर मृतक की पत्नी रेमुबाई रोती हुई आ पहुंची. वह लाश पर सिर पटकपटक कर रो रही थी. पुलिस ने सांत्वना दे कर उसे अलग किया.

आर.सी. भास्करे लाश और मोटरसाइकिल का निरीक्षण कर रहे थे कि एसपी महेशचंद्र जैन भी आ गए. उन्होंने भी लाश एवं घटनास्थल का निरीक्षण किया. आर.सी. भास्करे ने उन्हें अपने मन की बात बताई तो उन्होंने भी उन की बात का समर्थन किया. एसपी साहब थानाप्रभारी को आवश्यक निर्देश दे कर चले गए.

इस के बाद आर.सी. भास्करे के साथ आए एसआई पी.एस. डामोर, एम.एल. भाटी, एएसआई अनीता तोमर, आरक्षक रामकुमार व गणेश की मदद से घटनास्थल की काररवाई निपटाने लगे. उन्होंने सारी औपचारिकताएं पूरी कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

अब तक मृतक की पत्नी रेमुबाई काफी हद तक शांत हो गई थी. आर.सी. भास्करे ने उस से पूछताछ शुरू की तो उस ने बताया कि उस के पति की मौत एक्सीडेंट से हुई है. पुलिस ने जब उस से कहा कि तूफान की मौत एक्सीडेंट से नहीं हुई, किसी ने उस की हत्या की है तो उस ने हैरानी से कहा, ‘‘साहब, मेरे पति की कोई हत्या क्यों करेगा? उन की तो किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं थी. आप को गलतफहमी हो रही है. रात में वह रोज शराब पी कर लौटते थे. कल भी शराब पी कर आ रहे होंगे, रास्ते में दुर्घटना हो गई होगी.’’

‘‘जब तुम्हारे पति रात में घर नहीं पहुंचे तो तुम ने उन की खोजखबर नहीं ली?’’ आर.सी. भास्करे ने पूछा.

‘‘साहब, खोजखबर क्या लेती, यह कोई एक दिन की बात थोड़े ही थी. अकसर शराब पी कर वह रात को घर से गायब रहते थे. कल वह घर नहीं पहुंचे तो मैं ने यही समझा कि हमेशा की तरह आज भी कहीं रुक गए होंगे.’’ रेमुबाई ने कहा.

रेमुबाई जिस तरह आत्मविश्वास के साथ पुलिस के सवालों का जवाब दे रही थी, वह भी हैरानी की बात थी. जिस औरत का पति मर गया हो, उस का इस तरह जवाब देना पुलिस को शक में डाल रहा था. क्योंकि इस स्थिति में तो औरत को कुछ कहनेसुनने का होश ही नहीं रहता.

बहरहाल, इस पूछताछ में पता चला था कि मृतक तूफान झाबुआ के बसस्टैंड के पास स्थित नीरज राठौर के टेंटहाउस में काम करता था. उस दिन शाम को घर आने के बाद साढ़े 10 बजे के करीब थोड़ी देर में लौट आने को कह कर वह मोटरसाइकिल ले कर घर से निकला तो लौट कर नहीं आया था.

आर.सी. भास्करे ने टेंटहाउस के मालिक नीरज राठौर और उस के यहां काम करने वाले कर्मचारियों से पूछताछ की तो उन सभी ने भी यही बताया कि तूफान बहुत ही मेहनती और सीधासादा आदमी था. ऐसे आदमी की भला किसी से क्या दुश्मनी होगी, जो उस की हत्या कर दी जाए.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, तूफान की मौत मारपीट की वजह से हुई थी. अब पूरी तरह से साफ हो गया था कि यह एक्सीडेंट का मामला नहीं था. इस के बाद कोतवाली पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी.

आर.सी. भास्करे जल्द से जल्द इस मामले का खुलासा करना चाहते थे, लेकिन 3 दिनों की जांच में उन के हाथ कोई सुराग नहीं लगा. अंत में उन्होंने मुखबिरों की मदद ली. किसी मुखबिर से उन्हें पता चला कि तूफान की हत्या के बाद से उस की पत्नी रेमुबाई ने अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया है.

यह सुन कर आर.सी. भास्करे सोच में पड़ गए कि रेमुबाई ने आखिर अपना मोबाइल फोन क्यों बंद कर लिया है? उन्हें कुछ गड़बड़ लगा तो उन्होंने तूफान के बेटे को कोतवाली बुला कर पूछताछ की. एक सवाल के जवाब में बच्चा गड़बड़ाया तो उस का जवाब उन्होंने अपनी मां से पूछ कर बताने को कहा.

इस पर बच्चे ने कहा कि उस की मां का मोबाइल फोन बंद है, इसलिए वह उन से सवाल का जवाब नहीं पूछ सकता. थानाप्रभारी की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसी कौन सी वजह है कि रेमुबाई ने अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया है.

अब उन्हें तूफान की हत्या में रेमुबाई का हाथ होने का शक हुआ. उन्होंने यह बात एसपी महेशचंद्र जैन को बताई तो उन्होंने तुरंत रेमुबाई को थाने बुला कर पूछताछ करने का आदेश दिया.

थाने बुला कर रेमुबाई से पूछताछ शुरू हुई तो वह एक ही जवाब दे रही थी कि उसे नहीं मालूम कि उस रात क्या हुआ था? उसे सिर्फ यही पता है कि वह रात को घर से निकले तो लौट कर नहीं आए. घर आते समय उन का एक्सीडेंट हो गया था.

जब आर.सी. भास्करे ने पूछा कि तूफान की मौत के बाद उस ने अपना मोबाइल फोन क्यों बंद कर लिया तो इस का जवाब देने में रेमुबाई बगलें झांकने लगी. घबराहट उस के चेहरे पर साफ नजर आने लगी.

फिर तो थानाप्रभारी को समझते देर नहीं लगी कि तूफान की हत्या में किसी न किसी रूप में इस का भी हाथ है.  उन्होंने रेमुबाई को एएसआई अनीता तोमर के हवाले कर दिया. उन्होंने सख्ती से उस से पूछताछ शुरू की तो रेमुबाई ने पति की हत्या का अपना अपराध स्वीकार करने में देर नहीं लगाई. इस के बाद उस ने पति की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह कुछ इस तरह थी—

मध्य प्रदेश के जिला झाबुआ की कोतवाली के अंतर्गत रहने वाले तूफान की पत्नी रेमुबाई के पेट में ऐसा दर्द उठा कि कई डाक्टरों के इलाज के बाद भी ठीक नहीं हुआ. तभी उस के एक परिचित ने बताया कि झाबुआ से ही जुड़े गुजरात के जिला दाहोद के थाना कतवारा के गांव खगेला का रहने वाला तांत्रिक मंथूर उस का इलाज कर सकता है.

उसे पूरा विश्वास है कि उस की झाड़फूंक से वह निश्चित रूप से ठीक हो जाएगी. यह करीब 4 साल पहले की बात है. रेमुबाई पति तूफान को ले कर तांत्रिक मंथूर के पास पहुंची. रेमुबाई पर एक गहरी नजर डाल कर तांत्रिक मंथूर ने कहा कि उसे 16 शनिवार बिना नागा लगातार आना पड़ेगा. तूफान नौकरी करता था, इसलिए वह पत्नी को हर शनिवार ले कर तांत्रिक के यहां नहीं जा सकता था. इसलिए रेमुबाई अकेली ही तांत्रिक मंथूर के यहां हर शनिवार झाड़फूंक कराने जाने लगी.

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तांत्रिक मंथूर ने 4 शनिवार तक नीम की पत्तियों से उस की झाड़फूंक की. 5वें शनिवार को उस ने रेमुबाई से अपने कपड़े ढीले कर के फर्श पर लेट जाने को कहा. रेमुबाई को किसी तरह का कोई शकशुबहा तो था नहीं, इसलिए वह कपड़े ढीले कर फर्श पर लेट गई. करीब 2 घंटे तक मंथूर मंत्र पढ़ते हुए उस के शरीर पर हाथ फेरते हुए उस की बीमारी भगाता रहा.

रेमुबाई के अनुसार, मंथूर भले ही अधेड़ था, लेकिन उस के हाथों में ऐसी तपिश थी कि जब वह उस के शरीर पर हाथ फेरता था तो उसे अजीब सा सुख मिलता था.

7वें शनिवार को मंथूर ने उस से सारे कपड़े उतार कर लेटने को कहा तो रेमुबाई मना नहीं कर सकी. वह कपड़े उतार कर लेटने लगी तो तांत्रिक मंथूर ने दवा के नाम पर उसे थोड़ी शराब पीने को दी.

इस के बाद तांत्रिक ने भी शराब पी. झाड़फूंक करतेकरते मंथूर रेमुबाई के ऊपर लेट गया तो तांत्रिक प्रक्रिया समझ कर रेमुबाई ने कोई विरोध नहीं किया. इस तरह तांत्रिक मंथूर ने उस के साथ शारीरिक संबंध बना लिए.

इस के बाद रेमुबाई जब भी उस के यहां इलाज कराने जाती, मंथूर उसे शराब पिला कर उस के साथ शारीरिक संबंध बनाता. मंथूर के प्यार में तूफान से ज्यादा जोश और गरमी थी, इसलिए उसे उस के साथ शारीरिक संबंध बनाने में आनंद आने लगा. दूसरी ओर मंथूर भी रेमुबाई का दीवाना हो चुका था. अब वह इलाज के बहाने उस के घर भी आने लगा था.

16 शनिवार पूरे हो गए तो तूफान ने पत्नी से कहा, ‘‘अब तो तुम्हारा इलाज पूरा हो चुका है, अब तुम तांत्रिक के यहां क्यों जाती हो?’’

तांत्रिक के प्यार में उलझी रेमुबाई ने कहा, ‘‘अभी मैं पूरी तरह स्वस्थ नहीं हुई हूं, इसलिए अभी मुझे इलाज की और जरूरत है.’’

आखिर कब तक रेमुबाई बहाने बना कर तांत्रिक के पास जाती रहती. मंथूर भी उस के घर लगातार आता रहा. इन्हीं बातों से तूफान को पत्नी पर शक हुआ तो वह पत्नी को मंथूर के यहां जाने से रोकने लगा. अब इलाज तो सिर्फ बहाना था, रेमुबाई तो मंथूर से मिलने जाती थी, इसलिए पति के मना करने के बावजूद वह नहीं मानी.

रेमुबाई की जिद से तूफान को चिंता हुई. फिर तो दोनों में झगड़ा होने लगा. रेमुबाई को लगा कि इलाज और बीमारी के नाम पर अब यह खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकता. जबकि वह मंथूर के प्यार में इस कदर कैद हो चुकी थी कि अब उस के बिना नहीं रह सकती थी, इसलिए वह उस के लिए कुछ भी कर सकती थी.

शायद यही वजह थी कि उस ने मंथूर से तूफान को रास्ते से हटाने के लिए कह दिया. मंथूर भी रेमुबाई के लिए कुछ भी करने को तैयार था. इसलिए उस के कहने पर वह भी तूफान की हत्या करने को तैयार हो गया.

योजना बना कर 6 मई, 2017 को मंथूर अपने दोस्त गोरचंद के साथ नयागांव डूंगरा के जंगल में पहुंचा और एक पेड़ की आड़ में छिप कर बैठ गया. रेमुबाई को उस ने यह बात बता दी, इसलिए जैसे ही तूफान घर आया, उस ने बहुत ज्यादा पेट में दर्द होने की बात कह कर कहा, ‘‘मंथूर किसी का इलाज करने झाबुआ आया है, मैं ने उसे फोन किया था, वह आने को तैयार है, इसलिए तुम डूंगरा जा कर उसे ले आओ.’’

तूफान बिना देर किए मोटरसाइकिल ले कर तांत्रिक मंथूर को लेने चला गया. नयागांव और डूंगरा के बीच मंथूर गोरचंद के साथ बैठा तूफान के आने का इंतजार कर रहा था.

जैसे ही तूफान उन के करीब पहुंचा, दोनों ने लाठियों से पीटपीट कर उस की हत्या कर दी. इस के बाद उस की लाश को मोटरसाइकिल के नीचे रख दिया, ताकि देखने से लगे कि इस का एक्सीडेंट हुआ है.

लेकिन उन की यह चाल कामयाब नहीं हुई और थानाप्रभारी आर.सी. भास्करे को सच्चाई का पता चल गया.

रेमुबाई की गिरफ्तारी के बाद आर.सी. भास्करे ने तांत्रिक मंथूर और उस के साथी गोरचंद को भी गिरफ्तार कर लिया था. इस के बाद तीनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. जेल जाने के बाद रेमुबाई के हाथ से वह सब भी निकल गया, जो था. आखिर पति के साथ उसे ऐसी क्या तकलीफ थी, जो अधेड़ तांत्रिक के प्यार में पड़ कर अपना सब लुटा बैठी.

बेहयाई का सागर : भाभी के साथ अवैद्य संबंधों ने ली देवर की जान

रविवार को छुट्टी होने की वजह से फैक्ट्रियों में काम करने वाले अधिकांश कामगार अपने घरों की साफ सफाई और कपड़े आदि धोने का काम करते हैं. 25 साल का सागर और उस का छोटा भाई सरवन भी घर की साफसफाई में लगे थे. दोनों भाई एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करते थे. शाम 5 बजे के करीब सारा काम निपटा कर सरवन कमरे में लेट कर आराम करने लगा तो सागर छत पर हवा खाने चला गया.

7 बजे सागर आया और नीचे सरवन से खाना बनाने को कहा. छोटेमोटे काम करा कर वह फिर छत पर चला गया. सरवन खाना बना रहा था. दोनों भाई लुधियाना के फतेहगढ़ मोहल्ले में पाली की बिल्डिंग में तीसरी मंजिल पर किराए का कमरा ले कर रहते थे.

इस बिल्डिंग में 30 कमरे थे, जिसे मकान मालिक ने प्रवासी कामगारों को किराए पर दे रखे थे. पास ही मकान मालिक की राशन की दुकान थी. सभी किराएदार उसी की दुकान से सामान खरीदते थे. इस तरह उस की अतिरिक्त आमदनी हो जाया करती थी. साढ़े 7 बजे के करीब पड़ोस में रहने वाले संजय ने आ कर सरवन को बताया कि सागर खून से लथपथ ऊपर के जीने में पड़ा है.

संजय का इतना कहना था कि सरवन खाना छोड़ कर छत की ओर भागा. ऊपर जा कर उस ने देखा सागर के शरीर पर कई घाव थे, जिन से खून बह रहा था. हैरानी की बात यह थी कि छत पर दूसरा कोई नहीं था. वह सोच में पड़ गया कि सागर को इस तरह किस ने घायल किया?

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लेकिन यह वक्त ऐसी बातें सोचने का नहीं था. संजय व और अन्य लोगों की मदद से सरवन अपने घायल भाई को पास के राम चैरिटेबल अस्पताल ले गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. इस बीच किसी ने पुलिस को इस मामले की सूचना भी दे दी. यह 9 अप्रैल, 2017 की घटना है.

सूचना मिलते ही थाना डिवीजन-4 के थानाप्रभारी मोहनलाल अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे. उन्होंने वहां रहने वाले किराएदारों से पूछताछ शुरू कर दी. दूसरी ओर अस्पताल द्वारा भी पुलिस को सूचित कर दिया गया था. 2 पुलिसकर्मियों को घटनास्थल पर छोड़ कर थानाप्रभारी राम चैरिटेबल अस्पताल पहुंच गए.

उन्होंने सागर की लाश का मुआयना किया तो पता चला कि किसी नुकीले और धारदार हथियार से उस पर कई वार किए गए थे. जरूरी काररवाई कर के पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. घटना की सूचना उच्चाधिकारियों को भी दे दी गई थी.

अस्पताल से फारिग होने के बाद थाना प्रभारी सरवन को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंचे. अब तक सूचना पा कर एसीपी सचिन गुप्ता व क्राइम टीम भी घटनास्थल पर पहुंच गई थी. घटनास्थल का गौर से निरीक्षण किया गया. बिल्डिंग के बाहर मुख्य दरवाजे के पास गली में खून सने जूतों के हलके से निशान दिखाई दिए थे.

छत और जीने में भी काफी मात्रा में खून फैला था. बिल्डिंग के बाहर गली में करीब 2 दरजन साइकिलें खड़ी थीं, जो वहां रहने वाले किराएदारों की थीं. काफी तलाश करने पर भी वहां से कोई खास सुराग नहीं मिल सका.

लुधियाना में ऐसे कामगार मजदूरों के मामलों में अकसर 2 बातें सामने आती हैं. ऐसी हत्याएं या तो रुपएपैसे के लेनदेन में होती हैं या फिर अवैध संबंधों की वजह से. सब से पहले थानाप्रभारी मोहनलाल ने रुपयों के लेनदेन वाली थ्यौरी पर काम शुरू किया. पता चला कि मृतक सीधासादा इंसान था. उस का किसी से कोई लेनदेन या दुश्मनी नहीं थी.

इस के बाद थानाप्रभारी ने इस मामले की जांच एएसआई जसविंदर सिंह को करने के निर्देश दिए. उन्होंने मामले की जांच शुरू की तो उन्हें पता चला कि मृतक के कई रिश्तेदारों के लड़के यहां रह कर काम करते हैं, जिन में एक अशोक मंडल है, जो मृतक के ताऊ का बेटा है.

अशोक मंडल टिब्बा रोड की किसी सिलाई फैक्ट्री में काम करता था और उस का मृतक के घर काफी आनाजाना था. इसी के साथ यह भी पता चला कि अशोक का किसी बात को ले कर मृतक से 2-3 बार झगड़ा भी हुआ था.

एएसआई जसविंदर सिंह ने हवलदार अमरीक सिंह को अशोक मंडल के बारे में जानकारी जुटाने का काम सौंप दिया. थानाप्रभारी अपने औफिस में बैठ कर जसविंदर सिंह से इसी केस के बारे में चर्चा कर रहे थे, तभी उन्हें चाबी का ध्यान आया.

दरअसल घटनास्थल का निरीक्षण करने के दौरान बिल्डिंग के बाहर खड़ी साइकिलों के पास उन्हें एक चाबी मिली. वह चाबी वहां खड़ी किसी साइकिल के ताले की थी.

थानाप्रभारी ने उस समय उसे फालतू की चीज समझ कर उस पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन अब न जाने क्यों उन्हें वह चाबी कुछ महत्त्वपूर्ण लगने लगी. वह एएसआई जसविंदर सिंह और कुछ पुलिसकर्मियों को साथ ले कर उसी समय पाली की बिल्डिंग पहुंचे. साइकिलें अब भी वहीं खड़ी थीं.

उन्होंने बिल्डिंग में रहने वाले सभी किराएदारों को बुलवा कर कहा कि अपनीअपनी साइकिलों के ताले खोल कर इन्हें एक तरफ हटा लो.

सभी किराएदार अपनीअपनी साइकिलों का ताला खोल कर उन्हें हटाने लगे. सभी ने अपनी साइकिलें हटा लीं, फिर भी एक साइकिल वहां खड़ी रह गई.

‘‘यह किस की साइकिल है?’’ एएसआई जसविंदर सिंह ने पूछा. सभी ने अपनी गरदन इंकार में हिलाते हुए एक स्वर में कहा, ‘‘साहब, यह हमारी साइकिल नहीं है.’’

इस के बाद थानाप्रभारी मोहनलाल ने अपनी जेब से चाबी निकाल कर जसविंदर को देते हुए कहा, ‘‘जरा देखो तो यह चाबी इस साइकिल के ताले में लगती है या नहीं?’’

जसविंदर सिंह ने वह चाबी उस साइकिल के ताले में लगाई तो ताला झट से खुल गया. यह देख कर मोहनलाल की आंखों में चमक आ गई. उन्होंने उस साइकिल के बारे में सब से पूछा. पर उस के बारे में कोई कुछ नहीं बता सका.

इसी पूछताछ के दौरान पुलिस की नजर सामने की दुकान पर लगे सीसीटीवी कैमरे पर पड़ी. पुलिस कैमरे की फुटेज निकलवा कर चैक की तो पता चला कि घटना वाले दिन शाम को करीब पौने 7 बजे एक युवक वहां साइकिल खड़ी कर के पाली की बिल्डिंग में गया था. इस के लगभग 25 मिनट बाद वही युवक घबराया हुआ तेजी से बिल्डिंग के बाहर आया और साइकिलों से टकरा कर नीचे गिर पड़ा. फिर झट से उठ कर अपनी साइकिल लिए बगैर ही चला गया.

पुलिस ने वह फुटेज मृतक के भाई सरवन को दिखाई तो सरवन ने उस युवक को पहचानते हुए कहा, ‘‘यह तो मेरे ताऊ का बेटा अशोक मंडल है.’’

‘‘अशोक मंडल कल शाम तुम्हारे कमरे पर आया था क्या?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘नहीं साहब, जब से भैया (मृतक) से इन का झगड़ा हुआ है, तब से यह हमारे कमरे पर नहीं आते हैं और न ही हम दोनों भाई इन के कमरे पर जाते थे.’’ सरवन ने कहा.

इस के बाद जसविंदर ने मुखबिरों द्वारा अशोक मंडल के बारे में पता कराया तो उन का संदेह विश्वास में बदल गया. उन्होंने सिपाही को भेज कर अशोक मंडल को थाने बुलवा लिया. थाने में उस से पूछताछ की गई तो हर अपराधी की तरह उस ने भी खुद को बेगुनाह बताया. उस ने कहा कि घटना वाले दिन वह शहर में ही नहीं था. लेकिन थानाप्रभारी मोहनलाल ने उसे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज दिखाई तो वह बगलें झांकने लगा.

आखिर उस ने सागर की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस का बयान ले कर पुलिस ने उसे सक्षम न्यायालय में पेश कर 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया. पुलिस रिमांड के दौरान अशोक मंडल से पूछताछ में सागर की हत्या की जो कहानी प्रकाश में आई, वह अवैध संबंधों पर रचीबसी थी—

अशोक मंडल मूलरूप से बिहार के अररिया का रहने वाला था. कई सालों पहले वह काम की तलाश में लुधियाना आया. जल्दी से लुधियाना में उस का काम जम गया था. वह एक्सपोर्ट की फैक्ट्रियों में ठेके ले कर सिलाई का काम करवाता था. उसे कारीगरों की जरूरत पड़ी तो गांव से अपने बेरोजगार चचेरे भाइयों व अन्य को ले आया. सभी सिलाई का काम जानते थे, इसलिए सभी को उस ने काम पर लगा दिया.

अन्य लोगों को रहने के लिए अशोक ने अलगअलग कमरे किराए पर ले कर दे दिए थे, लेकिन सागर को उस ने अपने कमरे पर ही रखा. अशोक शादीशुदा था. कुछ महीने बाद जब रोटीपानी की दिक्कत हुई तो अशोक गांव से अपनी पत्नी राधा को लुधियाना ले आया.

राधा एक बच्चे की मां थी. उस के आने से खाना बनाने की दिक्कत खत्म हो गई. सभी भाई डट कर काम में लग गए थे. इस बीच सागर ने अपने छोटे भाई सरवन को भी लुधियाना बुला लिया था.

देवरभाभी होने के नाते सागर और राधा के बीच हंसीमजाक होती रहती थी, जिस का अशोक ने कभी बुरा नहीं माना. पर देवरभाभी का हंसीमजाक कब सीमाएं लांघ गया, इस की भनक अशोक को नहीं लग सकी, दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए थे.

सागर कभी बीमारी के बहाने तो कभी किसी और बहाने से घर पर रुकने लगा. चूंकि अशोक ठेकेदार था, इसलिए उसे अपने सभी कारीगरों और फैक्ट्रियों को संभालना होता था. इस की वजह से वह कभीकभी रात को भी कमरे पर नहीं आ पाता था. ऐसे में देवरभाभी की मौज थी.

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लेकिन इस तरह के काम ज्यादा दिनों तक छिपे नहीं रहते. अशोक ने एक दिन दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. उस समय उसे गुस्सा तो बहुत आया, पर इज्जत की खातिर वह खामोश रहा. सागर और राधा ने भी उस से माफी मांग ली. अशोक ने उन्हें आगे से मर्यादा में रहने की हिदायत दे कर छोड़ दिया.

अशोक ने पत्नी और चचेरे भाई पर विश्वास कर लिया कि अब वे इस गलती को नहीं दोहराएंगे. पर यह उस की भूल थी. इस घटना के कुछ दिनों बाद ही उस ने दोनों को फिर से रंगेहाथों पकड़ लिया. इस बार भी सागर और राधा ने उस से माफी मांग ली. अशोक ने भी यह सोच कर माफ कर दिया कि गांव तक इस बात के चर्चे होंगे तो उस के परिवार की बदनामी होगी.

लेकिन जब तीसरी बार उस ने दोनों को एकदूजे की बांहों में देखा तो उस के सब्र का बांध टूट गया. इस बार अशोक ने पहले तो दोनों की जम कर पिटाई की, उस के बाद उस ने सागर को घर से निकाल दिया. अगले दिन उस ने पत्नी को गांव पहुंचा दिया. यह अक्तूबर, 2016 की बात है.

अशोक से अलग होने के बाद सागर ने अपने छोटे भाई सरवन के साथ पाली की बिल्डिंग में किराए पर कमरा ले लिया. वह गांधीनगर स्थित एक फैक्ट्री में काम करता था. बाद में उस ने उसी फैक्ट्री में सिलाई का ठेका ले लिया. वहीं पर उस का छोटा भाई सरवन भी काम करने लगा.

सागर को घर से निकाल कर और पत्नी को गांव पहुंचा कर अशोक ने सोचा कि बात खत्म हो गई, पर बात अभी भी वहीं की वहीं थी. शरीर से भले ही देवरभाभी एकदूसरे से दूर हो गए थे, पर मोबाइल से वे संपर्क में थे.

अशोक को जब इस बात का पता चला तो उसे बहुत गुस्सा आया. समझदारी से काम लेते हुए उस ने सागर को समझाया पर वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया.

अब तक गांव में भी उन के संबंधों की खबर फैल गई थी. लोग चटखारे लेले कर उन के संबंधों की बातें करते थे. गांव में अशोक के घर वालों की बदनामी हो रही थी. इस से अशोक बहुत परेशान था. वह सागर को एक बार फिर समझाना चाहता था.

9 अप्रैल, 2017 की शाम को फोन कर के उस ने सागर से पूछा कि वह कहां है? सागर ने उसे बताया कि वह छत पर है. अशोक अपने कमरे से साइकिल ले कर सागर को समझाने के लिए निकल पड़ा. नीचे स्टैंड पर साइकिल खड़ी कर उस में ताला लगा कर वह सीधे छत पर पहुंचा.

इत्तफाक से उस समय सागर फोन से अशोक की बीवी से ही बातें कर रहा था. उस की पीठ अशोक की तरफ थी. सागर राधा से अश्लील बातें करने में इतना लीन था कि उसे अशोक के आने का पता ही नहीं चला.

अशोक गया तो था सागर को समझाने, पर अपनी पत्नी से फोन पर अश्लील बातें करते सुन उस का खून खौल उठा. वह चुपचाप नीचे आया और बाजार से सब्जी काटने वाला चाकू खरीद कर सागर के पास पहुंच गया. कुछ करने से पहले वह एक बार सागर से बात कर लेना चाहता था.

उस ने सागर को समझाने की कोशिश की तो वह उस की बीवी के बारे में उलटासीधा बोलने लगा. फिर तो अशोक की बरदाश्त करने की क्षमता खत्म हो गई. उस ने सारे रिश्तेनाते भुला कर अपने साथ लाए चाकू से सागर पर ताबड़तोड़ वार करने शुरू कर दिए. वार इतने घातक थे कि सागर लहूलुहान हो कर जीने पर गिर पड़ा.

सागर के गिरते ही अशोक घबरा गया, क्योंकि वह कोई पेशेवर अपराधी तो था नहीं. उसी घबराहट में वह अपनी साइकिल उठाए बिना ही भाग गया.

रिमांड अवधि के दौरान पुलिस ने अशोक से वह चाकू बरामद कर लिया था, जिस से उस ने सागर की हत्या की थी. रिमांड अवधि खत्म होने पर अशोक को पुन: अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जिला जेल भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

मकान बेचकर इस तरह पाएं सही दाम

एक मकान किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा निवेश होता है. अगर आप अपना घर बेचने का सोच रहे हैं तो जरूरी है कि आपको बाजार मे चल रहे दाम की पूरी जानकारी हो. इसके अलावा मकान बेचकर सही रिटर्न पाने के लिए उसका सही दाम निर्धारित करना जरूरी है. अगर आप भी मकान बेचने का सोच रहे हैं तो उनका सही दाम पाने के लिए इन बातों का विशेष ध्यान रखें.

मकान को साफ सुथरा रखें

अपने मकान के बारे में कोई विज्ञापन देने और उसे देखने के लिए ग्राहकों को बुलाने से पहले आपको मकान को साफ सुथरा कर लेना चाहिए, उसे अच्छी तरह पेंट कर लेना चाहिए और जरूरी मरम्मत करवा लेने चाहिए. आप अपने मकान को बेचने के लिए तैयार करने के लिए किसी प्रफेशनल की मदद भी ले सकते हैं. अच्छी तरह रखरखाव करके रखी गई संपत्ति को बेचना ज्यादा आसान होता है और धीमी गति से चलने वाले इस बाजार में अन्य प्रतिस्पर्धियों को मात देने में मदद मिलती है.

बेचने में ज्यादा समय न लगाएं

संपत्ति को बेचने का विज्ञापन देने के बाद उसे अक्सर किराए पर नहीं रखा जाता है. इसलिए, उसे बेचने में बहुत ज्यादा समय लगने पर संपत्ति के मालिक को उस दौरान मिल सकने वाले किराए की रकम से हाथ धोना पड़ता है. इस तरह के नुकसान से बचने के लिए संपत्ति को बेचने की एक समय सीमा निर्धारित करनी चाहिए.

उचित दाम रखें

आप जो दाम रखते हैं उससे काफी फर्क पड़ता है. कम दाम रखने पर आपको कम रिटर्न मिलेगा और ज्यादा दाम रखने पर ग्राहक दाम सुनकर भाग जाएंगे. इसलिए, कोई भी दाम रखने से पहले तरह-तरह के औनलाइन ऐसेट पोर्टलों में जाकर और आसपास के लोगों से पूछकर सही दाम का अंदाजा लगाने की कोशिश करें. अन्य संपत्तियों के साथ अपनी संपत्ति की तुलना करें और एक सही दाम रखने की कोशिश करें.

समय-समय पर संपत्ति का दाम बदलें

इसके अलावा, समय-समय पर संपत्ति का दाम बदलते रहना चाहिए. किसी अन्य निवेश साधन की तरह एक संपत्ति को बेचने के लिए भी काफी खोजबीन और प्लानिंग करनी पड़ती है और संबंधित इलाके के आधार पर इसके बारे में खोजबीन करने के लिए अलग-अलग तरीके का इस्तेमाल करना पड़ता है. इसलिए सारी जानकारी लेने के बाद अपने संपत्ती का दाम बदलते रहे.

टैक्स को ध्यान में रखें

यदि आप दो साल के भीतर अपनी संपत्ति बेचते हैं तो ऐसे लेनदेन पर होने वाले लाभ को शौर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (एसटीसीजी) माना जाता है. दूसरी तरफ, किसी संपत्ति को दो साल रखने के बाद बेचने पर उससे होने वाले लाभ को लौन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) माना जाता है.

एक तरफ एसटीसीजी को आपकी टैक्सेबल आमदनी में जोड़ा जाता है और आपकी टैक्स सीमा के आधार पर टैक्स लिया जाता है, तो दूसरी तरफ एलटीसीजी पर इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20% टैक्स लिया जाता है.

आप टैक्स बचाने वाले उचित साधन में निवेश करके या निर्धारित समय सीमा के भीतर एक आवासीय संपत्ति खरीदकर, एलटीसीजी में दिए जाने वाले टैक्स को बचा सकते हैं. इसलिए, अपनी संपत्ति को अल्पकालिक अवधि में बेचने से बचें जब तक कोई इमरजेंसी न हो और एलटीसीजी पर लगने वाले टैक्स को बचाने के लिए आगे से ही पुनः निवेश के विकल्पों का पता लगाकर रखें.

पेटीएम लेकर आया ‘फास्टैग’, अब टोल प्लाजा पर नहीं पड़ेगा रुकना

जब भी आप अपना कार लेकर किसी लम्बे सफर पर जाते हैं तो आपको टोल टैक्स पर रुकना पड़ता है. कुछ लोगों को तो रोजाना औफिस जाते वक्त टोल प्लाजा से गुजरना होता है, ऐसे में उनका काफी समय जाता है. अगर आपके साथ भी ऐसा ही है तो आप टोल प्लाजा पर लगने वाले अपने इस किमती समय को बचा सकते हैं. इसके लिए आप ‘फास्टैग’ डिवाइस ले सकते हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एसबीआई समेत कई बड़े बैंकों के बाद पेटीएम पेमेंट्स बैंक ने भी ‘फास्टैग’ लाने की घोषणा की है. बैंक ने पूरे देश के सभी राजमार्गों पर टोल शुल्क देने को आसान बनाने और उनपर लगने वाले समय को बचाने के लिए पेटीएम फास्टैग को शुरू किया है. अगर आपकी कार पर यह फास्टैग लगा होगा, तो आप टोल प्लाजा पर बिना रुके गुजर सकेंगे.

पेटीएम पेमेंट्स बैंक की सीईओ रेणु सत्ती ने कहा, ” टोल प्लाजा में नकद भुगतान करने के दौरान आम लोगों का काफी समय बरबाद होता है. इसके अलावा लोगों को छुट्टे न होने की दिक्कत का सामना करना पड़ता है. ऐसे में पेटीएम फास्टैग उन्हें इस परेशानी से निजात दिला सकता है. इससे आम आदमी देश के किसी भी टोल प्लाजा पर कैलशलेस भुगतान कर सकेगा.”

क्या है पेटीएम फास्टैग

पेटीएम फास्टैग एक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइ‍डेंटिफिकेशन तकनीक (आरएफआईडी) पर आधारित एक टैग है. दरअसल फास्टैग एक डिवाइसनुमान सेंसर होता है, जिसे आपको अपनी कार के विंडस्क्रीन पर लगाना होता है. यह टैग टोल प्लाजा पर लगे सेंसर से कनेक्ट होता है और अपने आप ही आपका टोल भर देता है.

खरीद सकते हैं औनलाइन

आप पेटीएम ऐप का इस्तेमाल कर फास्टैग को औनलाइन खरीद सकते हैं. पेटीएम फास्टैग का प्रयोग करने वाले ग्राहकों को प्रत्येक टोल लेनदेन में 7.5% का कैशबैक मिलेगा.

मौजूदा समय में पेटीएम पेमेंट्स बैंक नए वाहन खरीदने वाले ग्राहकों के लिए पेटीएम फास्टैग उपलब्ध कराने की खातिर कार कपंनियों और कार डीलर्स के साथ बात कर रहा है. इनमें मारुति, हुंडई, टाटा, मर्सिडीज, रेनौल्ट समेत अन्य कार कंपनियां शामिल हैं.

एसबीआई ग्राहकों के लिये 1 जनवरी से बदलेगा ये नियम, जरूर पढ़ें

स्टेट बैंक औफ इंडिया और एसोसिएटेड बैंकों का विलय हो चुका है. एसबीआई के अलावा, अन्य 5 बैंकों में जिनका भी खाता है वो स्टेट बैंक के पास चला जाएगा. लेकिन, इन एसोसिएटेड बैंकों से मिलने वाली एक सुविधा खत्म हो जाएगी. दरअसल, 31 दिसंबर 2017 के बाद स्टेट बैंक के एसोसिएटेड बैंकों सहित 6 बैंकों की चेक बुक अमान्य हो जाएंगी.

मतलब ये कि 1 जनवरी 2018 से इन बैंकों का कोई भी खाताधारक अपने अकाउंट से पैसा चेक से नहीं निकाल सकेगा. पहले सितंबर अंत में ये व्यवस्था लागू होनी थी, लेकिन आरबीआई ने इसकी डेडलाइन बढ़ा दी थी. एसोसिएटेड बैंकों के SBI में विलय होने से ये नया नियम लागू होगा. SBI के मुताबिक, इन सभी बैंकों के ग्राहकों को 1 जनवरी 2018 से मोबाइल बैंकिंग या ब्रांच में आकर नई चेकबुक के लिए अप्लाई करना होगा. इसके बाद ही चेक बुक के जरिए वो अपने खाते से ट्रांजैक्शन कर सकेंगे.

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कौन-कौन से बैंक हैं शामिल

  • स्टेट बैंक औफ बीकानेर एंड जयपुर
  • स्टेट बैंक औफ मैसूर
  • स्टेट बैंक औफ त्रावणकोर
  • स्टेट बैंक औफ पटियाला
  • स्टेट बैंक औफ हैदराबाद
  • भारतीय महिला बैंक

विलय होने से क्या बदल गया

देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई में 6 बैंकों का विलय हो गया है. इनके विलय के साथ ही 1 अप्रैल 2017 से इन बैंकों के ग्राहक एसबीआई के ग्राहक हो गए हैं. हालांकि, विलय के बाद से ही एसबीआई ने अपनी सेवाएं महंगी कर दी. बैंक ने सर्विस चार्ज में बदलाव कि‍या, जिसका सीधा असर बैंक ग्राहक पर हुआ.

कौन सी सेवाएं की गई महंगी

3 बार के लेनदेन बाद शुल्क

1 अप्रैल से एसबीआई ने अपने ग्राहकों को सिर्फ एक महीने में 3 बार ही बैंक खातों में पैसे जमा कराने की मुफ्त सेवा मुहैया कराई है. 3 बार के बाद नकदी के प्रत्येक लेनदेन पर 50 रुपए का शुल्क और सेवाकर देना होगा. वहीं चालू खातों के मामले में यह शुल्क अधिकतम 20,000 रुपए भी हो सकता है.

मिनिमम बैलेंस के नियम बदले

बैंक ने एटीएम सहित अन्य सेवाओं के शुल्क में भी बदलाव किए हैं. बैंक ने मासिक औसत बकाया (मिनिमम बैलेंस) के नियमों में भी बदलाव किए हैं. मेट्रो सिटी के खातों के लिए न्यूनतम 5000 रुपए, शहरी क्षेत्रों में 3000 रुपए, सेमी अर्बन में 2000 तथा ग्रामीण या रूरल इलाकों में 1000 रुपए न्यूनतम बैलेंस रखना जरूरी होगा. न्यूनतम राशि ना रखने वाले ग्राहकों से बैंक चार्ज वसूलेगा.

एटीएम निकासी पर शुल्क

एक महीने में अन्य बैंक के एटीएम से 3 बार से ज्यादा निकासी पर 20 रुपए और एसबीआई के एटीएम से 5 से ज्यादा निकासी पर 10 रुपए का शुल्क लिया जाएगा.

क्यों हुआ विलय

SBI के सहयोगी बैंकों की ओर से जारी किए जाने वाले डेबिट और क्रेडिट कार्ड पहले से ही SBI के नेटवर्क के तहत ही काम करते थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सहयोगी बैंकों के विलय से SBI और मजबूत होगा और उसकी वित्तीय स्थिति भी बेहतर होगी. कुछ दिनों पहले SBI की पूर्व चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा था कि विलय के साथ ही बैंक को 5,000 करोड़ रुपए की निश्चित पूंजी हासिल होगी. रिपोर्ट्स की मानें तो विलय से SBI के पास 21 लाख करोड़ रुपए से ज्‍यादा के डिपौजिट्स होंगे. इसके अलावा लोन बुक भी 17.5 लाख करोड़ रुपए के करीब पहुंच जाएगी. स्टेट बैंक के 5 एसोसिएट बैंकों का कुल डिपौजिट 5 लाख 9 हजार करोड़ रुपए है. पांचों बैंक का कुल एडवांस 3 लाख 97 हजार करोड़ रुपए है. पांचों बैंकों का कुल नेटवर्थ 90 लाख 6 हजार करोड़ रुपए है.

क्या है मकसद

एसबीआई के अधिकारियों का मानना है कि इस विलय का मकसद एक बेहद मजबूत बैंक तैयार करना है और अलग-अलग बैंकों की बजाए एक बड़े मजबूत बैंक में सभी को लाने से ग्राहकों को भी आसानी होगी. केंद्र सरकार भी चाहती थी कि एसबीआई मर्जर की प्रक्रिया को पूरी कर ले क्योंकि एसबीआई और इसके सभी सहयोगी बैंक एक ही तकनीक और प्लेटफौर्म पर काम कर रहे हैं. इससे पहले एसबीआई में 2008 में स्टेट बेंक औफ सौराष्‍ट्र और 2010 में स्टेट बैंक औफ इंदौर का पहले ही मर्जर किया जा चुका है.

फिल्मी हस्तियां इन जगहों पर मनाएंगी नए साल का जश्न

क्रिसमस के साथ ही बौलीवुड में छुट्टी का माहौल आ गया है. हर फिल्मी हस्ती नए साल का जश्न मनाने के लिए अपने अपने तयशुदा स्थान की ओर रवाना हो गए हैं. आइए देखते हैं कि कौन कहां नए साल का जश्न मनाने वाला है.

अनुष्का शर्मा और विराट कोहली

नव विवाहित जोड़ी अनुष्का शर्मा व विराट कोहली दिल्ली और मुंबई में अपनी शादी का रिसेप्शन आयोजित करने के बाद अब नए साल का जश्न मनाने के लिए दक्षिण अफ्रीका रवाना हो चुके हैं.

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आलिया भट्ट

आलिया भट्ट नए साल का जश्न मनाने के लिए इंडोनेशिया रवाना हो चुकी हैं.

सिद्धार्थ मल्होत्रा

आलिया भट्ट के पूर्व प्रेमी व अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा अपने कालेज के दोस्तों के साथ श्रीलंका में नए साल का जश्न मनाने गए हैं.

रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण

रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण के बनते बिगड़ते रिश्ते की काफी चर्चाएं होती रहती है. कुछ दिन पहले रणवीर सिंह ने दीपिका पादुकोण के पिता प्रकाश पादुकोण के संग मुलाकात की थी. अब खबर है कि रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण एक साथ नए साल का जश्न मनाने के लिए मुंबई से दूर मालदीव रवाना हो गए हैं.

रणबीर कपूर

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रणबीर कपूर अपने जिगरी दोस्त और फिल्म ‘‘ये जवानी है दीवानी’’ तथा ‘‘वेक अप सिड’’ के निर्देशक अयान मुखर्जी के साथ इजराइल जा रहे हैं. मगर रणबीर कपूर के नजदीकी सूत्र दावा कर रहे हैं कि रणबीर कपूर इजराइल में नए साल के दिन फिल्म ‘‘ब्रम्हास्त्र’’ के इजराइल के सेट पर काम करने वाले हैं. सूत्रों के अनुसार फिल्म की शूटिंग शुरू होने से पहले वह खुद को तैयार करना चाहते हैं.

पूजा हेगड़े

फिल्म ‘‘मोहन जो दारो’’ फेम अदाकारा पूजा हेगड़े नए साल का जश्न मनाने के लिए लंदन रवाना हुई हैं.

प्रेमिका से शादी करने बुलेट से बारात लेकर पहुंचे क्रुणाल पांड्या

भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली के बाद एक और क्रिकेटर ने शादी रचा ली है. टीम इंडिया के औलराउंडर हार्दिक पांड्या के बड़े भाई और IPL टीम मुंबई इंडियन्स और बड़ौदा की तरफ से खेलने वाले क्रुणाल पांड्या ने 27 दिसंबर को मुंबई में अपनी प्रेमिका पंखुड़ी शर्मा के साथ सात फेरे लिये. क्रुणाल की शादी मुंबई के फाइव स्टार होटल जेडब्ल्यू मैरियट होटल में हुई. क्रुणाल की शादी में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के साथ ही बौलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी शिरकत की.

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क्रुणाल बेहद ही अलग अंदाज में बारात लेकर पहुंचे. क्रुणाल अपने भाई हार्दिक के साथ बुलेट से शादी करने पहुंचे. हार्दिक बुलेट चला रहे थे और क्रुणाल बुलेट से जुड़ी बग्गी में बैठे थे. क्रुणाल पांड्या और पंखुड़ी की रिंग सेरेमनी बुधवार सुबह हुई. इसके बाद धूमधाम से शादी का फंक्शन हुआ. बड़े भाई की शादी में हार्दिक पांड्या ने जमकर मस्ती की. दोनों भाइयों ने अलग-अलग गानों पर खूब डांस किया.

क्रुणाल पांड्या और पंखुड़ी की शादी की तस्वीरें और वीडियोज सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहे हैं.

बता दें कि इस शादी का रिसेप्शन बुधवार रात को मैरियट होटल में होगा. जिसमें टीम इंडिया के कई क्रिकेटर्स के पहुंचने की संभावना है.

बता दें कि मुंबई की रहने वाली पंखुडी शर्मा फिल्म मार्केटिंग की फील्ड से जुड़ी हैं. पंखुड़ी और क्रुणाल की पहली मुलाकात करीब 2 साल पहले एक पार्टी में हुई थी. इसके बाद दोनों की दोस्ती हुई और फिर प्यार हो गया.

क्रुणाल मुंबई इंडियंस टीम के प्लेयर हैं जिसने आईपीएल का पिछला सीजन जीता था. आईपीएल फाइनल में उन्हें मैन औफ द मैच का खिताब मिला था. इस मैच में उन्होंने 38 बौल पर 47 रन जड़े थे. मुंबई इंडियंस ने उन्हें 2 करोड़ रुपये में खरीदा था. उन्होंने अभीतक 25 आईपीएल मैच खेले हैं.

छक्का लगने पर गुस्साए प्रज्ञान ओझा ने लात मारकर बिखेर दिए स्टंप्स

क्रिकेट को जेंटलमैन गेम कहा जाता है, लेकिन क्रिकेट की छवि इन दिनों काफी खराब होती जा रही है. पहले जहां यह मैच के दौरान दर्शकों के उत्पात की वजह से खबरों में रहता था, वहीं अब तो खिलाड़ियों के कारनामों की वजह से सुर्खियों में रहता है. चाहे मैच फिक्सिंग हो या मैदान पर खिलाड़ियों के बीच कहा सुनी. इसके साथ ही इन दिनों मैदान पर स्लेजिंग का चलन भी काफी बढ़ गया है, लेकिन क्रिकेट के लिए सबसे चिंता की बात यह है कि अब यह छोटी-मोटी कहासुनी, मारपीट तक पहुंचने लगी है. खिलाड़ियों की इन हरकतों की वजह से न केवल क्रिकेटर बल्कि, क्रिकेट का खेल भी शर्मसार हो रहा है. अब ऐसा ही एक नया मामला भारतीय क्रिकेटर का सामने आया है.

आमतौर पर क्रिकेट के मैदान पर शांत रहने वाले भारतीय खिलाड़ी प्रज्ञान ओझा एक एक वीडियो इन दिनों वायरल हो रहा है. हालांकि, यह वीडियो कब का और किस मैच का है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन इस वीडियो में ओझा जिस तरह की हरकत कर रहे हैं वह वाकई शर्मसार करने वाली है.

इन दिनों प्रज्ञान ओझा का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें ओझा की प्रतिक्रिया इसके वायरल होने की वजह बनी. अपनी गेंद पर छक्का लगता देख कोई भी गेंदबाज खुद को सहज नहीं पा सकता. 31 साल के ओझा के साथ भी यह हुआ. लेकिन वह खुद पर काबू नहीं पा सके और स्टंप्स को लात मारकर बिखेर दिए.

वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि ओझा की फुलटौस गेंद पर बल्लेबाज ने छक्का जड़ा है. इसके बाद नौन स्ट्राइकिंग एंड मौजूद बल्लेबाज आगे बढ़ते हुए उस बल्लेबाज को गले लगा लेता है. यहां तक तो सब ठीक था, लेकिन तभी गुस्साए ओझा ने पैर मारकर स्टंप्स बिखेर दिए. यह वाकई शर्मसार करने वाली घटना है.

बता दें कि शुरुआती दौर में हैदराबाद की ओर से खेल प्रज्ञान ओझा बंगाल की रणजी टीम मे चले गए थे. लेकिन मौजूदा सीजन में वह दोबारा हैदराबाद टीम में लौट आए. मौजूदा रणजी सत्र में हैदराबाद की ओर से खेले. टीम इंडिया की ओर से 24 टेस्ट मैचों में ओझा ने 113 विकेट लेने में कामयाब रहे.

प्रज्ञान 18 वनडे मैचों में 4.47 की इकोनौमी के साथ 21 विकेट झटक चुके हैं. 24 टेस्ट मुकाबलों में ओझा ने 7 बार पारी में 5 विकेट चटकाने के साथ कुल 113 विकेट झटके हैं. प्रज्ञान ओझा ने 6 अंतरराष्ट्रीय -टी20 मैचों में 10, जबकि 92 आईपीएल में 89 खिलाड़ियों को आउट किया है.

प्रज्ञान ने 28 जून 2008 को बांग्लादेश के खिलाफ अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मुकाबला खेला था. इसके बाद 2009 में उन्हें टी20 और फिर टेस्ट में मौका दिया गया. ओझा ने अपना आखिरी अंतर्राष्ट्रीय मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ 2013 को खेला था.

तो क्या अब फेसबुक आईडी के लिये भी देना होगा आधार कार्ड

अगर आप फेसबुक पर बहुत एक्टिव रहते हैं, तो यह खबर आपके काम की है. दुनिया के सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लैटफौर्म पर जल्द आधार कार्ड की जानकारी देनी पड़ सकती है. यूजर्स जब भी लौगइन करेंगे तो उनसे आधार संख्या और बाकी डिटेल पूछी जाएगी. अगर वे सही जानकारी देंगे, तभी वे अपने अकाउंट को खोल पाएंगे.

कंपनी सोशल मीडिया प्लैटफौर्म पर नकली अकाउंट्स की समस्या से निपटने को लेकर कर काम कर रही है. कंपनी ने इसके लिए एक नया फीचर भी तैयार किया है, जिसकी टेस्टिंग इन दिनों की जा रही है. अगर यह नया फीचर लागू किया जाएगा तो आने वाले दिनों में भारत में फेसबुक यूजर्स को अपने आधार कार्ड संबंधी जानकारी अकाउंट खोलने के लिए देनी पड़ेगी.

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कंपनी का कहना है कि वह ऐसा नकली अकाउंट्स की समस्या से निपटने के लिए कर रहा है. नया फीचर खासकर उन लोगों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, जो फेसबुक पर नकली नाम से अकाउंट बनाते हैं और उनका इस्तेमाल कई चीजों के लिए करते हैं. मगर कंपनी ने अभी तक इसे लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है.

फेसबुक के इस फीचर से सबसे पहले एक शख्स तब दो-चार हुआ, जब वह नया अकाउंट बना रहा था. बाद में उसने अपने अनुभव को एक वेबसाईट पर शेयर किया. उसके मुताबिक, टेस्टिंग के दौरान कुछ यूजर्स से नए अकाउंट बनाते वक्त आधार कार्ड संबंधी जानकारी मांगी गई. उसने फेसबुक की मोबाइल साइट से अकाउंट बनाने की कोशिश की, तो आधार कार्ड के अनुसार नाम बताने के लिए कहा गया था.

आधार से जुड़ी जानकारी तब मांगी जाती है, जब कोई मोबाइल ब्राउजर से फेसबुक लौगइन करता है. पेज पर यूजर का नाम पूछा जाता है, जिसके बाद सबसे ऊपर लिखा आता है- आधार कार्ड पर लिखे अपने नाम का इस्तेमाल कर अपने दोस्तों को आसानी से पहचानें. (“Using the name on your Aadhaar card makes it easier for friends to recognise you”)। हालांकि, कंपनी की ओर से अभी तक इस फीचर को लागू करने को लेकर कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है.

फिलहाल आधार कार्ड की जानकारी सिर्फ फेसबुक की मोबाइल साइट (m.facebook.com) पर अकाउंट बनाते वक्त ही मांगी जा रही है. लेकिन जो लोग मोबाइल ऐप्लीकेशन पर फेसबुक चलाते हैं, उनके सामने इस किस्म का कोई प्रौम्ट नहीं आ रहा है.

मेरी उम्र 26 वर्ष है. पिछले कुछ दिनों से कोई मेरे लैंडलाइन पर फोन कर अश्लील बातें करता है. मैं क्या करूं.

सवाल
मेरी उम्र 26 वर्ष है और मैं एक आईटी कंपनी में जौब करती हूं. पिछले कुछ दिनों से कोई मेरे घर के लैंडलाइन पर फोन कर के मुझ से अश्लील बातें करता है और जब मैं उसे फोन करने के लिए मना करती हूं तो वह मुझे गालियां देता है. घरवालों के डर से अब जब भी लैंडलाइन पर फोन आता है तो मैं ही उठती हूं, इस से मेरे मातापिता मुझ पर शक करने लगे हैं. मैं काफी परेशान हूं. मेरी किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं है. आप ही बताएं कि मैं कैसे इस समस्या से बाहर निकलूं?

जवाब
देखिए जरूरी नहीं कि आप की किसी से दुश्मनी हो, तभी कोई आप को फोन कर अश्लील बातें करेगा. अकसर देखा जाता है कि ऐसे लोग कहीं से भी नंबर ले लेते हैं और अगर एक बार लड़की फोन उठा लेती है तो फिर तो ये तंग करने का सिलसिला शुरू कर देते हैं. ऐसे में आप को चाहिए कि आप बिलकुल भी फोन न उठाएं.

रही बात पेरैंट्स के शक करने की तो उन्हें समझाएं कि इस में आप की कोई गलती नहीं है और आप उन से पुलिस में शिकायत करने के लिए कहें. इस से उन्हें लगेगा कि आप सही कह रही हैं. साथ ही, आप भी ऐसा कर के खुद को सुरक्षित महसूस कर पाएंगी.

जब भी आप किसी फ्रैंड वगैरा के साथ नंबर शेयर करें तो बहुत ही ध्यान रख कर करें. क्योंकि कई बार आप की लापरवाही का खमियाजा आप को ही भुगतना पड़ता है.

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