करीब 50-60 वर्षों पहले तक हम फिटनैस को ले कर इतने फिक्रमंद नहीं थे, जितने कि आज हैं. उस समय लोग खुद को फिट रखने और हैल्दी रखने के लिए वर्कआउट का सहारा नहीं लेते थे. उन का लाइफस्टाइल और काम ही ऐसा होता था जो उन के शरीर को फिट बनाए रखने के लिए काफी था. इमारत बनाने वाले मजदूर, जहाजों पर काम करने वाले, किसान आदि दिनरात मेहनत कर के पसीना बहाते थे, जिस से उन की मसल्स मजबूत बनी रहती थीं. जो लोग घरों में रहते थे, उन की दिनचर्या उन्हें फिट बनाने में मदद करती थी, जैसे साफसफाई, कपड़ों की धुलाई, खाना बनाना और घर व जानवरों की देखरेख के तमाम काम.
उन दिनों तनाव से मुक्त जीवन था और लोग आज की तरह आरामपरस्त नहीं थे. वे अपने काम खुद करते थे. उस जमाने में लोगों को खुद शेपअप करने के लिए जिम आदि का सहारा नहीं लेना पड़ता था. उस समय फिटनैस कोई समस्या नहीं थी और न ही कोई मुद्दा. उन दिनों मीलों चलने की कवायद थी. ट्रेडमिल के बारे में उन दिनों कोई जानता भी नहीं था.
आज समाज और लोगों के लाइफस्टाइल में काफी फर्क आ चुका है. दुनिया की सब से बड़ी समस्या फिटनैस बन चुकी है. वर्कआउट और ऐसी कई शारीरिक गतिविधियां हैं, जिन के जरिए आप अपनी बौडी फिटनैस बनाए रख सकते हैं.
फिटनैस को ले कर क्रेजी हुए यूथ
आजकल फिटनैस को ले कर युवाओं में जागरूकता स्वाभाविक तौर पर आ गई है. इस की एक खास वजह टीवी और फिल्में भी हैं. फिल्मी हीरो और मौडल्स की परफैक्ट बौडी और माचो लुक युवाओं को खूब पसंद आ रहा है. अपने स्टाइल आइकौन की तरह सिक्स पैक ऐब्स और गठीला बदन पाने की चाहत में आज युवा खासी मशक्कत कर रहे हैं.
युवतियां भी हैं फिटनैस की दीवानी
सिर्फ युवक ही नहीं, बल्कि अब युवतियां भी अपनी फिगर को ले कर काफी कौंशस रहती हैं. वे हीरोइनों की फिटनैस और फिगर की देखादेखी खुद भी तरहतरह के फिटनैस फंडे अपना रही हैं.
टीनएज से ही लग रहा यह चस्का
आजकल युवक और युवतियां टीनएज में ही अपने बौडी स्ट्रक्चर पर ध्यान देना शुरू कर देते हैं. जहां युवकों में फिटनैस का लेवल बढ़ाने और मसल्स बनाने का चस्का लग जाता है तो वहीं युवतियां अपने साइज को जीरो करने की कवायद में जुट जाती हैं.
फिटनैस ट्रेनर राजकिशोर का कहना है, ‘‘फिटनैस वर्कआउट किसी अच्छे टे्रनर की निगरानी में ही करें. कोई भी व्यायाम जब जरूरत से ज्यादा कर लिया जाए या फिर अपने बौडी टाइप को पहचाने बिना किया जाए तो वह आप के लिए नुकसानदायक बन सकता है.
फिट रहने के लिए डांस करें
डांस हमारी सभ्यता का अभिन्न अंग है. भारत के हर क्षेत्र में अपने तरीके के नृत्य प्रसिद्ध हैं. ये केवल मनोरंजन के ही नहीं, बल्कि भावनाओं की अभिव्यक्ति भी माने जाते हैं. फिट रहने के लिए आज बहुत से लोग नृत्य का सहारा ले रहे हैं. फिट रहने के ये साधन आप को शरीर के साथ मानसिक तौर पर भी फिट रखते हैं. यदि आप रोजमर्रा के कामों और रोज के वर्कआउट से ऊब चुके हैं तो अपने मनपसंद संगीत को सुन कर थोड़ी देर थिरक लें.
दौड़ना भी है जरूरी
अगर आप को जिम जा कर वर्कआउट करना पसंद नहीं है, तो आप अपने घर के पास ही सुबहशाम दौड़ लगा सकते हैं. दौड़ने से आप के शरीर की अतिरिक्त कैलोरी बर्न होती ही है, साथ ही, आप चुस्त रहते हैं.
तैराकी और अन्य व्यायाम
तैराकी से भी आप की बौडी को शेप मिलती है और आप फिट रहते हैं. अगर आप बौडी फिटनैस चाहते हैं तो स्विमिंग को अपना शौक बनाइए. बौडी फिटनैस के लिए
आप ऐरोबिक्स ऐक्सरसाइज कीजिए. ऐरोबिक्स ऐक्सरसाइज कैलोरी घटाने और बौडी शेपअप करने में आप की मदद करती हैं.
संगीत के साथ ऐरोबिक्स कर के आप तनाव से भी मुक्ति पाते हैं. हमारे हृदय की रक्त नलिकाओं में चरबी का जमाव होता है. जब यह चरबी नसों में जमा हो जाती है तो हृदय के लिए जाने वाले रक्त का बहाव कम हो जाता है व रक्तचाप और तेजी से बढ़ने लगता है. इसलिए खुद को फिट रखने के लिए रोजाना व्यायाम अवश्य करना चाहिए.
जोगिंग और साइक्लिंग
दिन में कम से कम 30 मिनट तक रोज पैदल चलें. इस से ब्लडप्रैशर नियंत्रित रहता है. रोज पैदल चलने से हृदय में खून का संचार सुचारु रूप से होता है एवं शरीर चुस्तदुरुस्त रहता है. इस के अलावा जौगिंग और साइक्लिंग से आप के पैरों को मजबूती मिलती है. इन दोनों ही कार्यों में आप के पूरे शरीर की मूवमैंट होती है, जो किसी व्यायाम से कम नहीं है.
वर्कआउट
वर्कआउट और पावर बेस्ड ऐक्सरसाइज
से पसीना ज्यादा निकलता है. इस से तन और मन दोनों हलके होते हैं. मन की कुंठा भी निकल जाती है. वर्कआउट करने से पहले जरूरी होता है वार्मअप. इस के बाद कुछ स्ट्रैचिंग ऐक्सरसाइज करें. हर ऐक्सरसाइज के 20-20 सैट करें. इस के बाद 20 मिनट की कार्डियो करें. कार्डियो में किसी एक बौडी पार्ट, जैसे बाइसैप्स को ले कर उस की ऐक्सरसाइज करें. उस के बाद ऐब्स पर काम करें. फिर कूल डाउन के लिए स्ट्रैचिंग ऐक्सरसाइज करें. इस बार हर स्ट्रैचिंग ऐक्सरसाइज को 10 सैकंड के लिए
होल्ड करें.
अपने बौडी टाइप के अनुसार ही कार्डियो करें, जैसे आप मोटे हैं तो वेट ट्रेनिंग करें. कार्डियो में पूरी बौडी की एकसाथ ऐक्सरसाइज करें. अगर आप की बौडी टाइप लीन यानी पतली है तो एकएक बौडी पार्ट का कार्डियो करें और एक सैट से दूसरे सैट में जाने के लिए कम से कम 1 मिनट का आराम लें.
आराम और मनोरंजन
शरीर को रिलैक्स करने का टाइम अवश्य निकालें. स्वस्थ जीवन के लिए तन और मन दोनों का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है. अपने औफिस की थकान और भागदौड़ के काम से खुद को कुछ देर अवश्य रिलैक्स करें. इस के लिए आप संगीत या फिर अपनी किसी मनपसंद हौबी को अपनाएं. कोशिश करें कि आप की हौबी ऐसी हो जो आप के शरीर के लिए फायदेमंद हो, जैसे आप कोई खेल, डांस आदि को खाली वक्त में रिलैक्स करने के लिए इस्तेमाल करें.
संतुलित आहार
फिट रहने के लिए न्यूट्रिशियस डाइट लें. वर्कआउट करने वाले लोगों को खासतौर पर प्रोटीन कौंप्लैक्स कार्बोहाइड्रैट युक्त लेना चाहिए.
आजकल के खाने से प्रोटीन पूरी मात्रा में हमारे शरीर में नहीं जा पाता. प्रोटीन की पूर्ति के लिए आप प्रोटीन पाउडर भी ले सकते हैं, लेकिन इस के सेवन के साथ आप को ऐक्स्ट्रा वर्कआउट करने की जरूरत होती है. दरअसल, प्रोटीन वाली चीजें पचाने के लिए शरीर को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिस से अधिक कैलोरी खर्च होती है.
हैल्दी लाइफस्टाइल और फिटनैस को ले कर आज हर कोई क्रेजी है, लेकिन गरमी में पसीने और थकान के कारण लोग ऐक्सरसाइज आदि पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते. ऐसे में फिट रहने के लिए वसामुक्त संतुलित आहार स्वास्थ्य के लिए बेहतर रहता है.
हरी पत्तेदार सब्जियां
गरमी में पालक, ब्रोकली आसानी से मिल जाता है. इन में फाइबर के साथ विटामिन सी, के और फौलिक एसिड होता है. ये शरीर में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और पोटैशियम की जरूरत को भी पूरा करते हैं.
साबुत अनाज
साबुत अनाजों में अधिकतर फाइबर, विटामिन और जरूरी पोषकतत्त्व होते हैं. गेहूं की रोटी, साबुत अनाज का पास्ता और ब्राउन राइस खाने से वजन भी नहीं बढ़ता है और इन में पोषकतत्त्व भी अधिक होते हैं.
सूखे मेवे
सूखे मेवों को अपने आहार में शामिल करें. सूखे मेवों में प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है. हालांकि इन में फैट भी उच्च मात्रा में होता है, लेकिन ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होते. एक सप्ताह में लगभग 15-20 बादाम, काजू, अखरोट आदि का सेवन अवश्य करें.
दही
कम वसायुक्त सादा दही विटामिन, प्रोटीन और कैल्शियम का बहुत अच्छा स्रोत होता है. दही के बैक्टीरिया आप के जिस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं. नतीजतन, आप तमाम रोगों से दूर रहते हैं.
डाइटिंग से रहें दूर
अब युवतियां भी फिटनैस की दौड़ में युवकों के कदम से कदम मिला रही हैं. आम युवतियां भी खुद को स्लिमट्रिम बनाना चाहती हैं, लेकिन सही गाइडैंस न मिल पाने के कारण वे ऐक्सट्रा वर्कआउट और डाइटिंग का सहारा लेती हैं. अल्ट्रा स्लिम बनने के लिए युवतियां खुद को पागलपन की हद तक भूखा रखने और हद से ज्यादा डाइटिंग का सहारा ले कर अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ करने से भी नहीं चूकतीं.
फिटनैस के नाम पर सेहत से न करें खिलवाड़
अगर आप बौडी फिटनैस के लिए वेट लिफ्टिंग को जरिया बनाने की सोच रहे हैं, तो इस से जुड़े बुनियादी नियमों और प्रशिक्षणों को नजरअंदाज करने की भूल न करें.
वेट लिफ्ंिटग को सही तकनीक से न करने पर मांसपेशियों, नसों, तंतु (लिगामैंट) और रीढ़ की हड्डी में भी चोट आने का खतरा हो सकता है. इस वर्कआउट में छोटी से छोटी गलती भी बड़ी भूल में बदल सकती है.
वेट लिफ्ंिटग एक ऐसा व्यायाम है, जिसे किसी ट्रेनर की देखरेख में करना चाहिए या इस की तकनीक का सही ज्ञान होने पर ही इसे करना चाहिए. वेट लिफ्ंिटग करते वक्त गलत तकनीक पर चलना जोड़ों पर असामान्य दबाव और मुलायम हड्डियों के लिए मुसीबत बन सकता है. ज्यादातर पीठ के निचले हिस्से में चोट लगने का खतरा सब से अधिक होता है.
वजन उठाने से जुड़ी ट्रेनिंग में यदि चूक होती है, तो आप सर्वाइकल या लुंबर डिस्क हर्निएशन (स्लिप्ड डिस्क) का शिकार हो सकते हैं.
इस बारे में डाक्टरों का मानना है कि वेट लिफ्ंिटग में यह जरूरी नहीं कि व्यायाम ज्यादा किया जाए, जरूरी यह है कि उसे ठीक तरह से किया जाए. भारी व्यायाम के दौरान कम से कम 3 दिनों का आराम अवश्य करना चाहिए. वेट लिफ्ंिटग करने से पहले यह बहुत जरूरी है कि वार्मअप और स्ट्रैचिंग की जाए.