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एक स्मार्टफोन में करें एक से ज्यादा फेसबुक अकाउंट का इस्तेमाल

क्या है फ्रैंडली फॉर फेसबुक ऐप?

आपको बता दें कि इस ऐप को Friendly App Studio ने डेवलप किया है. इसने अब तक फेसबुक के लिए तीन ऐप बनाए हैं. ऐप को एंड्रायड के वर्जन 4.4 किटकैट और उससे ऊपर के सारे वर्जन्स पर इन्स्टॉल किया जा सकता है. इसमें इंटरनेट डाटा सेविंग, बैटरी सेविंग के साथ स्टोरेज सेविंग के फीचर्स भी दिए गए हैं. इस ऐप पर कई कलर्स थीम दी गई हैं. इस ऐप को यूजर गूगल प्ले स्टोर से फ्री में डाउनलोड कर सकते हैं.

क्या आपके फोन में आपके खास व्हाट्सऐप, फेसबुक, मेसेंजर जैसे एप्स ज्यादा स्पेस लेती हैं, जिससे आपके फोन की स्टोरेज कम हो जाती है? इससे आपका फोन हैंग भी करने लगता होगा, तो हम आज आपके लिए इस समस्या का समाधान लेकर आए हैं.

गूगल प्ले स्टोर पर ‘Friendly for Facebook’ नाम से एक ऐसी ऐप है, जो खासतौर पर फेसबुक यूजर्स के लिए बनाई गई है. आपको बता दें कि यह फेसबुक ऐप से कई गुना कम स्पेस लेती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस ऐप पर यूजर एक साथ कई फेसबुक अकाउंट खोल सकते हैं. तो आइये जानते है इसके बारे में…

इस ऐप में क्या है खास?

इस ऐप में खास बात यह है कि आप इस पर एक से ज्यादा फेसबुक अकाउंट बना सकता है. साथ ही, यूजर को इसके लिए अलग से मेसेंजर ऐप को इन्स्टॉल करने की भी जरूरत नहीं है. फ्रेंडली फॉर फेसबुक ऐप से यूजर डायरेक्ट चैट कर सकता है. इस ऐप में वे सभी फीचर्स मौजूद हैं जो फेसबुक ऐप पर दिए हैं.

वहीं, कुछ फीचर्स इससे ज्यादा एडवांस हैं. फेसबुक ऐप स्मार्टफोन और ऑपरेटिंग सिस्टम के वर्जन के हिसाब से स्पेस लेता है. यानि कि इस ऐप की साइज हर फोन में अलग-अलग हो सकती है. वहीं इस ऐप की साइज सिर्फ 45MB का है. जो कि Facebook App के मुकाबले काफी कम है.

Friendly for Facebook ऐप को ऐसे करें ऑपरेट :

1- सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर में जाकर इस ऐप को डाउनलोड करें. यह एक फ्री ऐप है. इसके बाद इस ऐप में लॉग इन करें जिसके बाद इसका इंटरफेस कुछ इस तरह नजर आएगा.

2- लॉग इन करने के बाद ऐप में दिए गए लोगो पर टैप करें, जिसके बाद यूजर को स्विच अकाउंट का ऑप्शन आएगा. जिससे यूजर एक से ज्यादा FB अकाउंट इस ऐप के जरिये बना सकता है –

3- अब सेटिंग में जाकर यूजर अपने मैसेज और नोटिफिकेशन को ऑफ कर सकता है.

4- इसके अलावा इस ऐप में पासवर्ड की भी सुविधा दी गई है जिससे यूजर अपने अकाउंट को पासवर्ड से सुरक्षित रख सकता है.

5- इसकी सेटिंग में ही नेविगेशन एडजेस्टमेंट फीचर दिया गया है.

स्नैपचैट से भी ज्यादा मजेदार हैं ये ऐप

हाल ही में स्नैपचैट के सीईओ द्वारा कथित तौर पर भारत को गरीब देश कहने के बाद काफी बवाल हुआ था. कई लोगों ने स्नैपचैट के साथ-साथ स्नैपडील को भी खराब रेटिंग दी और अनइंस्टॉल कर दिया. यदि आपको लगता है कि स्नैपचैट मजेदार नहीं है या इसे यूज करने में दिक्कत हो रही है प्ले-स्टोर पर कुछ खास ऐप हैं जिन्हें आप यूज कर सकते हैं.

MSQRD

यह सोशल ऐप भी स्नैपचैट की तरह ही है. यह काफी पुराना और लोकप्रिय भी है लेकिन भारत में इसके यूजर ना के बराबर हैं. इसमें कई सारे मजेदार एनिमेटेड फ्रेम दिए गए हैं. इस ऐफ के जरिए आप फोटो और वीडियो दोनों बना सकते हैं. इसके अलावा इस ऐप से आप फेसबुक पर लाइव भी कर सकते हैं. इस ऐप को भी फेसबुक ने 2016 में खरीद लिया है.

BOO!

MSQRD और स्नैपचैट के अलावा “बू” भी एक ऐप है जिसे आप ट्राई कर सकते हैं. इसके जरिए आप म्यूजिक के साथ वीडियो बना सकते हैं और ऐप पर लाइव भी कर सकते हैं. यह ऐप वीडियो और फोटो पर गूगल डूडल की तरह कैप्शन लिखने की भी सुविधा देता है.

Camera360

कैमरा 360 भी एक बहुत ही मजेदार ऐप है. इसमें 100 से ज्यादा शानदार फिल्टर दिए गए हैं. इस ऐप में कई सारे सेल्फी एडिटिंग फिल्टर दिए गए हैं. इस ऐप की मदद से आप कोलाज भी बना सकते हैं.

Face Swap Live

यह ऐप स्नैपचैट से पहले लॉन्च हुआ था. इस ऐप में रियल टाइम में चेहरा बदलने वाला फीचर है. चेहरा बदलते हुए आप वीडियो भी बना सकते हैं और लाइव भी कर सकते हैं. इसके अलावा आप मोबाइल की गैलरी से भी फोटो लेकर फेस स्वैप कर सकते हैं.

बदल रहा लखनऊ

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ बदल रहा है. अच्छी बात यह है कि शहर के इस बदलाव में भी अवध का पुराना अतीत, नवाबी वास्तुशिल्प, रहन सहन, बातचीत और खानपान का लहजा पुराना ही है. लखनऊ शहर पर्यटन का बहुत बड़ा केन्द्र नहीं है. इसके बाद भी यहां बिजनेस करने वाले लोगों का आवागमन बढ़ रहा है. होटल उद्योग यहां पर तेजी से विस्तार लेता जा रहा है. होटल नोवाटेल इस क्रम में नई आमद है.

मेहराब लाजिस्टिक्स एंड एविएशन के डायरेक्टर अब्दुल हाइ खान ने बताया कि नोवाटेल विदेशी ब्रांड का होटल है. भारत में यह 14वां होटल है जो विदेशी ब्रांड का है. लखनऊ की कला और संस्कृति को ध्यान में रखकर इसे बनाया गया है. लखनऊ खाने में मशहूर कबाब, मुगलई डिश, कुल्फी सभी कुछ यहां नये अंदाज में दी जायेगी.

होटल के मैनेजर जय सिंह ने बताया कि होटल के अंदर आते ही आपको एक अलग तरह के लखनऊ से रूबरू होने का मौका मिलेगा. यहां आकर लगेगा कि हम फाइव स्टार कल्चर में होते हुये भी लखनऊ की नजाकत और नफासत के साथ हैं. होटल के कमरों से लेकर फर्नीचर और इंटीरियर को तैयार करते समय लखनवी अंदाज को सामने रखा गया है.

देखा जाये तो पर्यटकों के लिये लखनऊ का अपना अलग महत्व है. उत्तर प्रदेश घूमने आने वाले लोग लखनऊ आये बिना अपनी यात्रा को पूरा नहीं मानते. ऐसे में वह यहां जरूर आते हैं. लखनऊ भी विकास के नये दौर में सबके साथ चलते हुये अपने मेहमानों के स्वागत के लिये बदल रहा है. अब यहां पर चौड़ी सड़कें, अचछे होटल, परिवहन के अचछे साधन हैं. यहां के लोगों में स्वाभाविक रूप से मेहमान नवाजी है. जिसे पर्यटक बहुत पंसद करते हैं.

‘लालबत्ती’ नहीं तो ‘लाल गमछा’ सही

केन्द्र सरकार ने लालबत्ती को खत्म कर वीवीआईपी कल्चर खत्म करने की बात कही है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31वीं बार लोगों से अपनी मन की बातमें कहा कि अब वीआईपी नहीं ईपीआई यानि एवरी पर्सन इज इंपॉर्टेंट का जोर होगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में वीआईपी संस्कृति के खिलाफ लोगों में नफरत है. प्रधानमंत्री की बात अपनी जगह सही है. देखने वाली बात यह है कि वीआईपी कल्चर केवल लाल और नीली बत्ती में ही नहीं है. हर सरकार के समय में उसके कार्यकर्ताओं में भी वीआईपी कल्चर आ जाता है. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के समय में लाल गमछासंस्कृति वीवीआईपी कल्चर बन गया है.

इसका सबसे बड़ा प्रभाव दो पहिया वाहनों से लेकर लक्जरी गाडियों तक में देखा जाता है. मोटर बाइक की सवारी करने वाला तो धूप से बचने के लिये हेलमेट की जगह पर लाल गमछे का प्रयोग करने लगा है. लक्जरी एसी गाडियों में बैठे लोग इसका प्रयोग क्यों करते हैं यह बात समझ से परे नहीं है. पुलिस ही नहीं सरकारी विभागों में बिचैलियों का काम करने वाले यह लोग सत्ता के पसंद के रंग को अपने से जोड लेते हैं. बसपा और सपा सरकार के समय भी यह चलन खूब चल रहा था. योगी सरकार के आने के बाद लाल गमछा वीआईपी कल्चर को दिखाने का एक जरीया बन गया है.

यह बात अपनी जगह पूरी तरह से सही है कि ऐसे लोग किसी पार्टी के नहीं होते. यह सरकार बदलते ही अपनी पार्टी बदल लेते हैं. ऐसे में अब योगी सरकार में लाल गमछे और केसरियां रंग के कपड़ो का चलन बढ गया है. लाल गमछा तो दुकानों पर आते ही बिक जाता है. इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि पुलिस चेकिंग के दौरान इनको रोकने से पुलिस परहेज करने लगी है. ऐसे कपडों को देखकर सरकारी विभागों में उसकी बात को सुना जाने लगा है. ऐसे कपड़े पहन कर लोग दंबगई करने लगते हैं.

लखनऊ में प्रदेश की विधानसभा से मात्र 1 किलोमीटर दूर वर्लिगटन चौराहे पर लडकियां का मसाज पार्लर चल रहा था. जो सेक्स की गतिविधियों में लिप्त था. इसका संचालन एक ऐसा ही नेता था तो हिन्दूवादी संगठन से विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुका था. पुलिस ने सूचना के आधार पर छापा मारकर पार्लर बंद कराया. आरोपियों को जेल भेज दिया. अगले ही दिन वह जमानत पर बाहर आ गये. टोल टैक्स न देना पड़े इसलिये सत्ता के मद में रंगे लोग दंबगई करते हैं.

लाल और नीली बत्ती तो केवल ऐसे लोगों के ही पास थी जिनको सरकार देती थी. सत्ता के रंग की दबगई तो वह लोग करते हैं जिनका सरकार से कोई लेना देना नहीं होता. इसके बाद भी वह वीआईपी कल्चर को पूरी तरह से मजा लेते हैं. प्रधानमंत्री को अगर सच में वीआईपी कल्चर खत्म करना है तो लाल नीली बत्ती के साथ लाल गमछा संस्कृति को भी रोकना होगा. यह लाल नीली बत्ती से अधिक घातक है. दो पहिया चलाने वाले जिस तरह से सड़को पर बाइक चलाते हैं उससे दुर्घटना का खतरा बढ़ रहा है. पुलिस को हेलमेट की जगह लाल गमछा पहन कर गाडी चलाने वालों को रोकना चाहिये.

एक नए अंदाज में नजर आईं मनीषा कोइराला

90 के दशक में मनीषा कोइराला का खूब बोलबाला था. उस वक्त के टॉप स्टार्स के साथ मनीषा कोइराला ने खूब काम किया और कई हिट फिल्में भी दीं, लेकिन अचानक ही कुछ सालों बाद वो फिल्मों से गायब हो गईं थीं. इसका धक्का उनके फैंस को भी लगा था.

लेकिन अब मनीषा कोइराला फिल्मों में फिर से वापसी कर रही हैं. जल्द ही वो संजय दत्त पर बन रही बायोपिक में नजर आएंगी, लेकिन उससे पहले ही उनकी एक फिल्म 'डियर माया' का टीजर आया है.

इस फिल्म में मनीषा कोइराला का एक उम्रदराज महिला के किरदार में नजर आएंगी. टीजर में मनीषा कोइराला का हुलिया देख उन्हें पहचान पाना काफी मुश्किल है. काले रंग की चुनरी ओढ़े वो एकटक खिड़की से झांक रही हैं मानो वो किसी का इंतजार कर रही हों.

चेहरे पर झुर्रियां और चिंता की लकीरें साफ दिख रही हैं. ऐसे रूप में मनीषा कोइराला को उनके फैंस ने आज तक नहीं देखा होगा.

बता दें कि एक समय के बाद मनीषा कोइराला को फिल्मों में काम मिलना बंद हो गया था जिसकी वजह से मनीषा कोइराला और फिल्म इंडस्ट्री के बीच दूरियां आ गईं. धीरे-धीरे मनीषा ने खुद को शराब की तरफ झुका लिया जिसका उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा.

निजी जिंदगी भी कुछ ठीक नहीं चल रही थी. उनकी शादी भी टूट गई. नतीजा ये हुआ मनीषा कोइराला काफी परेशान रहने लगीं.

कहा जाता है कि ज्यादा शराब पीने की वजह से ही मनीषा कोइराला को कैंसर हुआ था. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कैंसर से जंग जीतने के बाद वापसी की. हालांकि उन्हें बॉलीवुड में पहले जैसा काम नहीं मिला और अब वो अपनी कमबैक फिल्म में उम्रदराज किरदारों में ही नजर आएंगी.

जहां संजय दत्त की बायोपिक में वो नर्गिस दत्त का किरदार निभाएंगी वहीं 'डियर माया' में भी उनका किरदार एक अधेड़ उम्र की महिला का है.

IPL 10 : अपने डुप्लीकेट को देख चौंक गएं मलिंगा

बात दरअसल गुजरात लायंस और मुंबई इंडियंस के बीच खेले गए आईपाएल के 35वें मैच की है. राजकोट में गुजरात लायंस के खिलाफ मुंबई इंडियंस के गेंदबाज लसिथ मलिंगा पारी का 15वां ओवर डाल रहे थे. तभी स्क्रीन पर कैमरामैन ने एक शख्स को दर्शकों के बीच बैठा दिखाया.

इस शख्स की शक्ल मलिंगा से हू-ब-हू मिल रही थी. मलिंगा अपना रनर-अप ले रहे थें लेकिन स्क्रीन पर अपने हमशक्ल को देख ठहर गए. पहले तो वह हैरत में पड़ गए, फिर मुस्कुरा दिए.

मलिंगा के इस फैन ने ठीक मलिंगा की ही तरह अपने बालों को कलर तक कर रखा था. इस फैंन की ये मलिंगा के प्रति दीवानगी ही थी. हालांकि इससे पहले भी सचिन, वीरेंद्र सहवाग, ईशांत शर्मा समेत शिखर धवन के भी हमशक्ल देखे जा चुके हैं. यहां तक कि बात अगर विराट कोहली की करें तो पाकिस्तान के बल्लेबाज अहमद शहजाद उनसे काफी हद तक मिलते-जुलते हैं.

इससे पहले भी स्टेडियम में कोहली के एक हमशक्‍ल को देखा जा चुका है, जिसका नाम प्रिंस है. हालांकि प्रिंस का कहना है कि पहले तो उन्हें इस बात का एहसास तक नहीं था कि उनकी शक्ल विराट कोहली से मिलती है लेकिन जब उन्होंने दाढ़ी बढ़ानी शुरू की तो दोस्‍तों ने बताया कि उनकी शक्ल कोहली से काफी मिल रही है.

रोचक बात तो ये हुई कि 2016 में भारत और न्यूजीलैंड के बीच इंदौर टेस्‍ट के दौरान लोगों ने प्रिंस को कोहली समझ कर घेर लिया था. इस पर पुलिस ने उन्‍हें मैदान से ही बाहर निकाल दिया था.

यह मैच बेहद रोमांचक मोड़ पर खत्म हुआ और इसका फैसला सुपरओवर से हुआ, जिसमें मुंबई ने जसप्रीत बुमराह की करिश्माई गेंदबाजी से बाजी मार ली. इससे पहले मुंबई की टीम गुजरात के 154 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 20 ओवर में 153 रन पर ही आउट हो गई, जिससे मैच सुपर ओवर तक पहुंच गया.

गुजरात के कप्तान सुरेश रैना ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग करते हुए 20 ओवर में 9 विकेट पर 153 रन बनाए थे. सुपर ओवर में मुंबई ने पहले बैटिंग करते हुए 11 रन बनाए, जिसके जवाब में गुजरात की टीम 6 रन ही बना पाई और पांच रन से मैच हार गई.

भविष्य सुरक्षित करने के लिए जरूरी हैं ये काम

कहते हैं जवानी में अक्‍सर भूल हो जाती हैं. ज्‍यादातर लोग यंग एज में गलतियां करते हैं. ये गलतियां उस वक्‍त तो छोटी लगती हैं और अक्सर उन्‍हें अनदेखा भी कर दिया जाता है. उम्र बीतने के साथ समझ में आता है कि वे छोटी सी नादानियां आखिर हमारी जेब के लिए कितनी भारी साबित हो रही हैं. कई बार हम परेशान भी होते हैं, लेकिन तब तक हाथ से सबकुछ निकल चुका होता है. कुछ ऐसी ही 6 गलतियां, जो समय बीतने के साथ आपकी जेब पर भारी पड़ती हैं. अगर आप यंग एज में इनसे बच गए तो बाद में आपको पछताना नहीं पड़ेगा. 

देर से न कराएं टर्म इंश्‍योरेंस

टर्म इंश्‍योरेंस, ऐसा जीवन बीमा है, जिसकी किश्‍त कम होती है, लेकिन रिटर्न नहीं मिलता. पिछले कुछ सालों में इसका ट्रेंड बढ़ा है, लेकिन जवानी के दिनों में टर्म इंश्‍योरेंस कराने से चूकने पर यह आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है. जैसे कि यदि आप एक करोड़ रुपए का टर्म इंश्‍योरेंस 25 से 30 साल की उम्र में कराते हैं तो आपको 4 से 6 हजार रुपए सालाना किश्‍त देनी होती है, लेकिन यदि 30 से 35 साल की उम्र में आप टर्म इंश्‍योरेंस कराते हैं तो यह आपको 10 से 12 हजार रुपए सालाना किश्त देनी पड़ सकती है.

एजुकेशन लोन का डिफॉल्‍ट न करें

यंग-एज में आप अपनी एजुकेशन के लिए लोन लेते हैं, लेकिन बाद में उसकी ईएमआई नहीं भर पाते हैं. चूंकि एजुकेशन के वक्‍त आपका एड्रेस कुछ और होता है और जॉब के दौरान आप किसी ओर एड्रेस पर रहने लगते हैं. इससे बैंक आपसे कम्‍युनिकेशन नहीं कर पाता, ऐसे में आप लापरवाही बरतते हुए आगे ईएमआई भरने से बचते हैं. लेकिन कुछ साल बाद जब आपको होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन की जरूरत होती है तो आपको पता चलता है कि एजुकेशन लोन का डिफॉल्‍ट होने के कारण उनका क्रेडिट स्‍कोर खराब हो चुका है, इसलिए आप अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते.

कम उम्र में करें सेविंग्‍स

एजुकेशन पूरी होने के बाद जब आपको जॉब मिल जाती है तो जेब खर्च की बजाय सैलरी मिलने पर आप का खर्च बढ़ जाता है. आप फालतू खर्च भी करने लगते हैं और सेविंग्‍स की ओर ध्‍यान नहीं देते. बाद में, जब आपकी शादी हो जाती है, बच्‍चे हो जाते हैं तो आपके खर्च बढ़ जाते हैं और आपके लिए बचत करना बहुत मुश्किल हो जाता है, जो बाद में आपकी परेशानी का कारण बन जाता है. बच्‍चों की पढ़ाई और शादी के वक्‍त आपको पैसे की सख्‍त जरूरत होती है, ऐसे में आपके पास लोन लेने के अलावा कोई ऑप्‍शन नहीं बचता.

आज से लागू हुआ रियल एस्टेट कानून ‘तय समय पर मिलेगा फ्लैट’

अगर आप घर खरीदने का मन बना रहे हैं, लेकिन बिल्डरों द्वारा प्रोजेक्ट लेट किए जाने की आशंका से डरे हुए हैं तो आपके लिए राहत की खबर है. एक मई से बहुप्रतीक्षित रियल एस्टेट एक्ट (RERA) यानी रेरा लागू हो रहा है. बिल्डरों की मनमानी से निजात दिलाने और बॉयर्स को शोषण से बचाने का ये क्रांतिकारी कानून पिछले साल मार्च में संसद में पास हुआ था और सोमवार यानी एक मई से ये लागू हो गया है. कानून लागू होने के बाद बिल्डर किसी भी हालत में खरीददार से धोखाधड़ी नहीं कर सकेगा. नियम तोड़ने पर बिल्डर को तीन साल तक की जेल हो सकती है.

नए प्रावधानों के अनुसार सभी बिल्डरों को जुलाई आखिर तक पहले से चल रहे और नए आवासीय प्रोजेक्ट को रीयल एस्टेट अथॉरिटी में पंजीकरण कराना होगा. वहीं, हर प्रोजेक्ट का अथॉरिटी से सेक्शन प्लान और लेआउट प्लान अपनी वेबसाइट के साथ सभी कार्यालयों की साइट्स पर छह वर्ग फीट के बोर्ड पर लगाना होगा.

खरीदारों को होगा ये फायदा

रेरा से डेवलेपरों को बहुत फायदा होगा जैसे-डेवलेपरों के वो सभी प्रोजेक्ट जो अभी अंडर कंस्ट्रक्शन हैं या जिन्हें कंपलीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है या फिर जो नए प्रोजेक्ट लांच होने वाले हैं उन सबको तीन महीने के अंदर नियामक प्राधिकरण में रजिस्टर्ड कराना होगा. राज्यों के लिए ये जरूरी है कि वे इसके तहत प्राधिकरण गठित करें. सभी रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट का पूर्ण विवरण प्राधिकरण के पास होगा, जिसमें प्रमोटर, परियोजना, ले-आउट, योजना, भूमि की स्थिति, समझौते, रियल एस्‍टेट एजेंट, ठेकेदार, इंजीनियरों आदि के बारे में विस्‍तृत जानकारी होगी. प्रोजेक्ट कब पूरा होगा इसकी तारीख भी देनी होगी.

धांधली करने पर हो सकती है जेल

घर खरीदारों की सबसे बड़ी शिकायत यही रहती है कि उनसे जिन सुविधाओं की बात बिल्डर ने की थी वह नहीं मिली. प्रोजेक्ट का लेआउट व अन्य चीजें बीच में बिना उनकी सहमति से बदल दी जाती हैं लेकिन रेरा के तहत अगर बिल्‍डर प्रोजेक्‍ट के ब्रौशर और विज्ञापन में किए गए वादे पूरा नहीं करता तो उसे 3 से 5 साल तक की जेल हो सकती है. बिल्‍डर अगर कोई अन्य धांधली करता है जिससे पांच साल के भीतर उसपर कोई जुर्माना लगाया जाता है तो उसका वहन बिल्डर को ही करना होगा न कि खरीदारों को.

13 राज्यों में रेरा को हरी झंडी

रेरा की सभी 92 धाराएं एक मई से प्रभावी हो जाएंगी. हालांकि केवल 13 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने ही अबतक इसके नियम अधिसूचित किए हैं. इनमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, चंडीगढ़, दादर और नागर हवेली, दमनदीव, लक्षद्वीप आदि ने नियम अधिसूचित किए हैं.

भारत का रियल एस्टेट मार्केट

भारत में रियल एस्टेट कारोबार की बात करें तो देश में 76 हजार रियल एस्टेट कंपनियां हैं. हर साल 10 लाख लोग मकान खरीदते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, 2011-15 में हर साल 2,349 से 4,488 प्रॉजेक्ट लॉन्च हुए और 2011-15 में 13.70 लाख करोड़ का निवेश हुआ. वहीं, 2011-15 में 27 शहरों में 17,526 प्रॉजेक्ट लॉन्च किए गए.

ये हैं इस एक्ट की खास बातें :

– तीन महीने के भीतर नए और पुराने का अथारिटी में पंजीकरण होगा.

– तयशुदा नियमों के अनुसार प्रोजेक्ट पर होगा काम, खरीददार और बिल्डर के बीच गलतफहमी नहीं होगी.

– नया प्रोजेक्ट शुरू करते वक्त खरीददारों से इकट्ठा की गई राशि का 70 फीसदी अलग बैंक अकाउंट में रखना होगा. वहीं, पुराने प्रोजेक्ट की बची राशि के 70 फीसदी का कोष बनेगा.

– पांच साल तक फ्लैट के रख-रखाव का जिम्मा डेवलपर के पास होगा.

– रेगुलरिटी अथॉरिटी या अपीलीय प्राधिकरण को आदेश का उल्लंघन करने पर डेवलपर को तीन साल और एजेंट या खरीददार को एक साल जेल की सजा हो सकती है.

– बिल्डर व खरीददार की ब्याज दर पर किसी भी हालत में देरी होने पर 2 फीसदी अतिरिक्त देना होगा.

‘खेल गांव’, जहां हर घर में बसता है खिलाड़ी

आज खेल का प्रभुत्व बढता जा रहा है और इसका उदहारण है छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक ऐसा गांव है, जहां हर घर में एक खिलाड़ी रहता है. डिस्‍ट्रिक्‍ट हेडक्‍वॉर्टर से महज 12 किलोमीटर दूर पुरई नाम का यह गांव ‘खेल गांव’ के रूप में मशहूर है.

इस गांव के खिलाड़ियों ने जिला,  प्रदेश और देश में गांव का नाम रोशन किया है. गांव का एक खिलाड़ी तो इंटरनेशनल खो-खो मैच में भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुका है.

'हमर छत्तीसगढ़' योजना के तहत रायपुर आए सरपंच सुखित यादव बताते हैं कि गांव के हर घर में अमूमन एक खिलाड़ी है. खेलों की बदौलत यहां के करीब 40 युवा पुलिस, सेना और व्यायाम शिक्षक की नौकरियों में हैं. खिलाड़ियों को बेहतर सुविधा मुहैया कराने और उनका हुनर निखारने यहां ग्राम समग्र विकास योजना के तहत 31 लाख रुपए की लागत से मिनी स्टेडियम बनाया गया है.

आगे उन्होंने कहा कि गांव में खुला मैदान तो था, लेकिन अभ्यास के दौरान वहां आने-जाने वालों की वजह से असुविधा होती थी और खेल में व्यवधान भी पड़ता था. मिनी स्टेडियम बन जाने से खिलाड़ी अब अपना पूरा ध्यान खेल पर लगा सकेंगे.

इसके बन जाने से गांव के बच्चों और युवाओं की एक बहुप्रतीक्षित मांग पूरी हो गई है. करीब चार एकड़ क्षेत्र में फैले इस स्टेडियम में अब अनेक खेल आयोजनों के साथ ही गांव के खिलाड़ी बिना किसी व्यवधान के अभ्यास कर सकेंगे.

पुरई के सरपंच यादव बताते हैं कि खेलों के कारण गांव में लोग स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर बहुत जागरूक हैं. यहां स्वच्छ भारत मिशन को भी खासी सफलता मिली है. जबकि खेलों के प्रति एक अलग ही लगाव यहां देखा जाता है.

आपके स्मार्टफोन की ‘लाइफलाइन’

आजकल पावर बैंक स्मार्टफोन की सबसे बड़ी जरुरत है. स्मार्टफोन के समय में बैटरी यूजर्स के बीच सबसे बड़ी समस्या है. मल्टी टास्टिंग होने के कारण स्मार्टफोन्स की बैटरी जल्दी खत्म होती है. ज्यादातर स्मार्टफोन यूजर्स जब घर से बाहर निकलते हैं तो उनके लिए सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि फोन की बैटरी कितनी देर तक उनका साथ देगी.

इस परेशानी का समाधान पोर्टेबल पावरबैंक ही दे सकता है. आज हम आपको ऐसे पावरबैंक के बारे में बता रहे हैं जो कम कीमत में आपके स्मार्टफोन की ‘लाइफलाइन’ बन सकते हैं.

शाओमी Mi पावर बैंक : शाओमी के कई रेंज में बाजार में पावर बैंक उपलब्ध है. शाओमी Mi 10400mAh पावरबैंक 999 रुपये में उपलब्ध है वहीं शाओमी का 5000mAh वाला पावरबैंक 699 रुपये में उपलब्ध है.

वनप्लस 10,000mAh पावर बैंक : वनप्लस का ये पावर बैंक हल्का और सबसे बेहतर डिजाइन वाला पावर बैंक है. 10,000 mAh की लीथियम पॉलिमर बैटरी वाला ये पावर बैंक 5.5 घंटे में फुल चार्ज होता है. इसकी कीमत 1,799 रुपये है.

आसुस जेनपावर 10,050 mAh : सिंगल यूएसबी पोर्ट के साथ ये पावर बैंक 5V का इनपुट लेता है और 5.1V का आउटपुट देता है. इसकी कीमत 1679 रुपये है.

हुआवे ऑनर 13,000 mAh : इसमें दो यूएसबी पोर्ट दिया गया है. एल्यूमिनियम बॉडी वाले इस पावर बैंक को काफी कॉम्पैक्ट डिजाइन दिया गया है. इसकी कीमत 1699 रुपये है.

इंटेक्स 11000mAh पावर बैंक : इस पावर बैंक में तीन यूएसबी स्लॉट दिए गए हैं. साथ ही पावर इंडिकेटर के लिए एलईडी लाइट दी गई है. पावर बैंक की कीमत 929 रुपये है.

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