केन्द्र सरकार ने लालबत्ती को खत्म कर वीवीआईपी कल्चर खत्म करने की बात कही है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31वीं बार लोगों से अपनी ‘मन की बात’ में कहा कि ‘अब वीआईपी नहीं ईपीआई यानि एवरी पर्सन इज इंपॉर्टेंट का जोर होगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में वीआईपी संस्कृति के खिलाफ लोगों में नफरत है. प्रधानमंत्री की बात अपनी जगह सही है. देखने वाली बात यह है कि वीआईपी कल्चर केवल लाल और नीली बत्ती में ही नहीं है. हर सरकार के समय में उसके कार्यकर्ताओं में भी वीआईपी कल्चर आ जाता है. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के समय में ‘लाल गमछा’ संस्कृति वीवीआईपी कल्चर बन गया है.
इसका सबसे बड़ा प्रभाव दो पहिया वाहनों से लेकर लक्जरी गाडियों तक में देखा जाता है. मोटर बाइक की सवारी करने वाला तो धूप से बचने के लिये हेलमेट की जगह पर लाल गमछे का प्रयोग करने लगा है. लक्जरी एसी गाडियों में बैठे लोग इसका प्रयोग क्यों करते हैं यह बात समझ से परे नहीं है. पुलिस ही नहीं सरकारी विभागों में बिचैलियों का काम करने वाले यह लोग सत्ता के पसंद के रंग को अपने से जोड लेते हैं. बसपा और सपा सरकार के समय भी यह चलन खूब चल रहा था. योगी सरकार के आने के बाद लाल गमछा वीआईपी कल्चर को दिखाने का एक जरीया बन गया है.
यह बात अपनी जगह पूरी तरह से सही है कि ऐसे लोग किसी पार्टी के नहीं होते. यह सरकार बदलते ही अपनी पार्टी बदल लेते हैं. ऐसे में अब योगी सरकार में लाल गमछे और केसरियां रंग के कपड़ो का चलन बढ गया है. लाल गमछा तो दुकानों पर आते ही बिक जाता है. इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि पुलिस चेकिंग के दौरान इनको रोकने से पुलिस परहेज करने लगी है. ऐसे कपडों को देखकर सरकारी विभागों में उसकी बात को सुना जाने लगा है. ऐसे कपड़े पहन कर लोग दंबगई करने लगते हैं.