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शाल पर न और चुंबन पर हां

कर्नाटक के चामराजनगर जिले का कस्बा कोल्लेगल काले जादू के लिए इतना कुख्यात है कि वहां अभी तक कोई मुख्यमंत्री मारे डर के गया ही नहीं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि काले जादूगर कुर्सी भी खिसका सकते हैं और मूठ मारनी नाम की तांत्रिक क्रिया भी कर सकते हैं, जो हो जाए तो आदमी जिंदा नहीं बचता. पहली दफा कोई सीएम यानि सिद्धारमैया वहां गए तो, पर काले जादू का भूत उनके सर उस वक्त सवार हो गया, जब चामराजनगर के एक किसान ने उन्हे भेंट मे लाल रंग की शाल देनी चाही. सिद्धारमैया लाल रंग की शाल देख भड़के तो नहीं, पर उन्होंने किसान की यह भेंट लेने से इस अंदाज मे इंकार किया कि मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उसे बाहर कर दिया. यह किसान भी सीएम को शाल देने की अपनी जिद पर अड़ गया था, इसलिए भी स्थिति असहज हो गई थी.

बहरहाल बला तो टल गई, पर सवाल यह छोड़ गई कि क्या सिद्धारमैया भी इतने अंधविश्वासी हो चले हैं कि एक लाल शाल से डर गए. जबाब हां में ही निकलता है, क्योंकि कुछ दिन पहले ही उनकी कार पर काला कौआ बैठ गया था, तो उन्होंने तुरंत नई कार का ऑर्डर दे दिया था और उस कार में सवार नहीं हुये थे, जिसका लिहाज कौए ने नहीं किया था कि यह सीएम की कार है, इस पर नहीं बैठना चाहिए.

दरअसल कर्नाटक में सब कुछ ठीक ठाक नहीं है. सिद्धारमैया को हटाये जाने की मांग कांग्रेस के अंदर ज़ोर पकड़ रही है. इसलिए कोई जोखिम ना उठाते हुए वे कौओं और लाल शालों से बिदकने लगे हैं, तो उन पर तरस ही खाया जा सकता है. इससे तो बेहतर होगा कि वे पद पर बने रहने के लिए काले जादूगरों का सहारा लेते और काग शांति के लिए कोई यज्ञ हवन करवा डालते.

असल मे भयभीत आदमी की मनोस्थिति क्या होती है यह सिद्धारमैया की हालत देख समझा जा सकता है. ज्यादा नहीं इससे 3 दिन पहले एक पंचायत कर्मी ने सार्वजनिक रूप से उनका चुंबन ले लिया था, तब वे कुछ नहीं बोले थे, उल्टे चुंबन देने वाली महिला को आशीर्वाद दे दिया था, क्योंकि उसने उन्हें पितातुल्य बताया था. मुमकिन है किसान भी उन्हे अग्रज मानता हो, पर बेचारा कह नहीं पाया होगा. अब कौओं और शाल से डरा एक सीएम कब तक इन कथित टोने टोटकों और अपशगुनों से खुद को बचाए रख पाता है, यह देखना कम दिलचस्पी की बात नहीं होगी. 

VIDEO: देखिए क्या हुआ जब वाघा बॉर्डर पर भिड़ गये भारत और पाकिस्तान के जवान

हर रोज़ सूर्यास्त के दौरान भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट दोनों देशों के बीच भाईचारे और सहयोग की भावना को बनाए रखने के लिए रिट्रीट समारोह का शांतिपूर्ण आयोजन किया जाता है.

आमतौर पर भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर रिट्रीटिंग सेरेमनी के दौरान दोनों देशों के रेंजर्स अपनी बॉडी लैंग्वेज से तो आक्रामकता दिखाते ही हैं, लेकिन इस बार बात मार-पीट तक भी जा पहुंची है. दरअसल, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें रिट्रीट सेरेमनी के दौरान भारत-पाकिस्तान रेंजर्स को आपस में मार-पीट करते हुए देखा जा सकता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पांच साल पहले ये आपस में बुरी तरह से झगड़ पड़े थे. घटना के दिन फिरोजपुर बॉर्डर पर जब रोज़ की तरह सेरेमनी पूरी हो रही थी. तभी भारतीय जवान की कोहनी पाकिस्तानी जवान को लगी. बस इस जरा सी बात पर उसे ऐसा गुस्सा आया कि अफरा-तफरी मच गई.

9 जून को Me Video द्वारा एक वीडियो अपलोड किया गया है. कुछ लोग ये दावा कर रहे हैं कि ये लड़ाई इस महीने की शुरुआत की है, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि यह वीडियो पांच साल पुराना है. हालांकि, इस बारे में सरकार की ओर से कोई बयान नहीं आया है.

आप भी देखें नीचे दिया गया ये वीडियो:

जून में रांची में हुई हर रोज एक हत्या

जून महीने के रांची में हुई हत्याओं का औसत देखें तो हर रोज एक हत्या हुई है. जी हां, चौंकाने वाला तथ्य है पर रांची जिले में 28 दिनों में 28 हत्या हो चुकी है. पिछले नौ दिनों के भीतर 22 लोग मारे जा चुके हैं. ज्यादातर मामलों में खुलासा नहीं हुआ है और जांच परिणाम शून्य पर अटका पड़ा है. आलम यह है कि हत्या दर हत्या से जहां आम लोग दहशत में हैं, वहीं अपराधी पुलिस को खुली चुनौती दे रहे हैं.

तारीख दर तारीख जून में हुई हत्याएं

2 जून – रातू थाना क्षेत्र में सुखदेव नगर निवासी गोवर्धन साहू की गोली मार कर हत्या.

7 जून – तुपुदाना के मंगल बाजार में दो लोगों की हत्या

9 जून – कांके में एक निजी कंपनी के एजेंट अभिषेक की गोली मार कर हत्या. सिकिदिरी थाना क्षेत्र में नवविवाहिता जयंति देवी की हत्या.

14 जून – चान्हों में मुनिया देवी की हत्या.

20 जून- मेसरा आपी क्षेत्र में नसीम अंसारी की हत्या.

21 जून- खलारी थाना क्षेत्र में दुखन गंझू और आफताब की हत्या.

21 जून- रातू में डायन बिसाही के आरोप में दंपत्ति की हत्या.

21 जून-नगरी में अज्ञात का शव मिला जिसकी हत्या की आशंका जाहिर की गई.

21 जून-सदर थाना क्षेत्र के एक अपार्टमेंट में छठी मंजिल से फेंक कर नवजात की हत्या.

22 जून- लापुंग थाना क्षेत्र में सगे भाइयों अमित लोहरा और किसुन लोहरा की गोली मार कर हत्या.

23 जून- लापुंग थाना क्षेत्र में दो नाबालिगों की गोली मार कर हत्या.

25 जून – सोनाहातू थाना क्षेत्र में प्रेमी मुकेश महतो ने की प्रेमिका की चाकू मार कर हत्या.

26 जून – ठाकुरगांव के इटेहे में डायन बिसाही के आरोप में भुखली देवी की भरी पंचायत में हत्या.

27 जून – नामकुम के हुवांगहातु पंचायत के ककड़ा जंगल में तीन युवकों की टांगी से मार कर हत्या.

28 जून – तुपुदाना ओपी क्षेत्र में छह युवकों की गोली मार कर हत्या.

जो दिखता है, वह बिकता है

‘जो दिखता है वह बिकता है’ का कॉन्सेप्ट मॉल कल्चर के लिए बहुत मायने रखता है. दुकानों के सामने सिर्फ डिस्प्ले लगाने का दौर अब नहीं रहा. शोरूम्स में हर चीज इतनी सलीके से रखी हुई मिलती हैं कि कस्टमर कोई वस्तु खरीदने जाता है, तो अन्य चीजें भी आकर्षित करने लगती हैं. सेल्समैन से कुछ भी पूछने की जरूरत नहीं पड़ती. दरअसल, यह सब विजुअल मर्चेंडाइजिंग का कमाल है, जो अपने आप में पूरी एक साइंस है यानी स्टोर में प्रोडक्ट को कैसे डिस्प्ले करना है? वॉल पर क्या कलर अच्छा लगेगा? कैसे टारगेट कस्टमर को दुकान या स्टोर के अंदर लाया जाए? … इत्यादि. इसीलिए विजुअल मर्चेंडाइजर को ‘साइलेंट सेलर’ भी कहा जाता है. रिटेल स्टोर और मल्टी स्टोर का चलन बढ़ने से इस प्रोफेशन की डिमांड बहुत बढ़ गई है.

प्रोफेशनल थीम का जमाना

विजुअल मर्चेंडाइजिंग प्रजेंटेशन का एक आर्ट है, जिससे किसी चीज की छवि बनाई जाती है. दरअसल, यह मार्केटिंग का ही दूसरा रूप है. एक विजुअल मर्चेंडाइजर का मुख्य ध्येय कस्टमर को प्रोडक्ट के प्रजेंटेशन के जरिये लुभाना और उन्हें खरीदारी के लिए प्रोत्साहित करना है, ताकि सेल्स में बढ़ोत्तरी हो.

ऐसा करने के लिए स्टोर में चीजों को क्रिएटिव ढंग से लगाना, विंडो डिस्प्ले, विजुअल डिस्प्ले, कलर ब्लॉकिंग, काउंटर तथा इन-काउंटर डिस्प्ले जैसे तमाम तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं. मॉल या स्टोर के लिए पिक्चर, ब्रॉसर और पोस्टर भी यही लोग तैयार करते हैं ताकि कस्टमर से बिना कुछ बोले कम्युनिकेट किया जा सके. ऐसे प्रोफेशनल थीम के अनुसार अपनी स्ट्रेटेजी बदलते रहते हैं. मसलन, किस मौसम में क्या विंडो थीम रखना है? होली, दीपावली जैसे त्योहारों पर या वैलेंटाइन जैसे मौकों पर स्टोर की विंडो थीम क्या होनी चाहिए?

करियर स्कोप

विजुअल मर्चेंडाइजर के लिए करियर स्कोप सिर्फ रिटेल सेक्टर में ही नहीं है. ऐसे प्रोफेशनल्स की वैल्यू ई-कामर्स कंपनियों में भी बहुत है, जहां ये स्नैपडील, अमेजन जैसी कंपनियों की वेबसाइट का लुक तैयार करते हैं. प्रोडक्ट डिस्प्ले पर काम करते हैं. इसी तरह, रेस्टोरेंट और कैफे में आजकल सीजनल थीम तय करने का काम यही प्रोफेशनल्स कर रहे हैं. इनके हिसाब से ही खाने-पीने की चीजें कस्टमर को परोसे जाते हैं. स्टोर्स में भी प्रोडक्ट डिस्प्ले के लिए इनकी सेवाएं ली जा रही हैं. अच्छी डिजाइनिंग और फैशन सेंस रखने की वजह से टेक्सटाइल इंडस्ट्री में भी इनके लिए स्कोप लगातार बढ़ रहे हैं.

जॉब अपॉच्र्युनिटी

देश में रिटेल सेक्टर तेजी से विकास कर रहा है. ऑनलाइन शॉपिंग कल्चर भी बढ़ रहा है. वॉलमार्ट, आइटीसी, शॉपर्स स्टॉप, पैंटालून, तनिष्क तथा टाइटन जैसे ग्रुप छोटे से लेकर बड़े शहरों में दिनोंदिन मल्टीस्टोर खोल रहे हैं. इसलिए विजुअल मर्चेंडाइजर्स के लिए यहां जॉब की संभावनाएं भी बहुत हैं. मॉल्स, फैशन बूटीक्स, फाइव स्टार होटल्स और रेस्टोरेंट में भी ऐसे प्रोफेशनल्स की भारी डिमांड है. विजुअल मर्चेंडाइजिंग के जानकारों के लिए एम्पोरिया, डिजाइन कंपनी, आर्किटेक्चर फर्म तथा थीम पार्टी ऑर्गेनाइजिंग कंपनीज में भी जॉब के तमाम अवसर हैं. युवा चाहें, तो पार्टटाइम के रूप में फ्रीलांसिंग भी कर सकते हैं.

जॉब ग्रोथ

इस फील्ड में ग्रोथ बहुत है. अपने काम के आधार पर आप असिस्टेंट लेवल से लेकर क्लस्टर मैनेजर और ब्रांच मैनेजर तक बन सकते हैं. कई बड़ी कंपनियों की डिस्प्ले टीम में ऐसे प्रोफेशनल शॉप फ्लोर मैनेजर, स्टोर विजुअल मर्चेंडाइजर, विजुअल मर्चेंडाइजिंग मैनेजर, विजुअल मर्चेंडाइजिंग को-आर्डिनेटर, फ्रीलांस विजुअल डिस्प्ले पर्सन, रिटेल विजुअल मर्चेंडाइजर तथा असिस्टेंट के तौर पर अपनी सेवाएं देते हैं.

क्वालिफिकेशन

विजुअल मर्चेंडाइजिंग फील्ड में प्रवेश के लिए रिटेल या फैशन मर्चेंडाइजिंग का बैकग्राउंड होना जरूरी है. ग्रॉफिक डिजाइनिंग के जानकार भी यहां करियर बना सकते हैं. वर्तमान में कई इंस्टीट्यूट विजुअल मर्चेंडाइजिंग या फैशन कम्युनिकेशन में डिग्री, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स ऑफर कर रहे हैं. डिप्लोमा कोर्स युवा ग्रेजुएशन के बाद कर सकते हैं. वहीं, डिग्री प्रोग्राम के लिए किसी भी स्ट्रीम से 10+2 उत्तीर्ण होना अनिवार्य है. विजुअल मर्चेंडाइजिंग कोर्स के अंतर्गत स्टूडेंट को रिटेल स्टोर के लेआउट, डिजाइन स्टोर डिस्प्ले, प्रोडक्ट प्रजेंटेशन, इंटीरियर डेकोरेशन आदि की जानकारी दी जाती है.

स्मार्ट सेंस से बढ़ेंगे आगे

गुड़गांव स्थित एबीजी रिटेल में विजुअल मर्चेंडाइजर राहुल कुमार वर्मा कहते हैं कि इंडिया में रिटेल सेक्टर बूम पर है. इसकी मार्केट वैल्यू बढ़ रही है. इसलिए हर स्टोर में विजुअल मर्चेंडाइजर की जरूरत है, क्योंकि स्टोर का लुक ऐंड फील मेंटेन रखना इन्हीं के जिम्मे होता है. ये प्रोफेशनल स्टोर के लिए विंडो थीम तथा प्रमोशनल थीम भी तैयार करने में माहिर होते हैं. वॉलमार्ट जैसे बड़े ग्रुप इस फील्ड में आ रहे हैं, इसलिए स्कोप और बढ़ रहा है. ऐसे में जिन युवाओं का फैशन और प्रजेंटेबल सेंस अच्छा है, जो क्रिएटिव हैं, उनके लिए रिटेल या ई-कॉमर्स फील्ड में करियर बहुत है.

प्रजेंटेशन पर बढ़ता जोर

नई दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी में एसोसिएट प्रोफेसर-डिजाइन विजय कुमार दुआ का मानना है कि देश की जीडीपी बढ़ रही है. खाने- पीने की सुविधा अब बहुत हो गई है. लोगों की स्पेंडिंग कैपिसिटी भी बढ़ गई है. वीकेंड पर घूमने-फिरने का चलन बढ़ रहा है. स्टैंडर्ड लाइफस्टाइल मेंटेन किया जा रहा है. यही वजह है कि देश और विदेश के बड़े ग्रुप के रिटेल स्टोर तेजी से खुल रहे हैं और उनका विस्तार भी हो रहा है. इनमें प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही है. इसलिए बेहतरीन प्रजेंटेशन के जरिये प्रोडक्ट बेचने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. विजुअल मर्चेंडाइजर के लिए स्कोप रेस्टोरेंट और ब्रांडेड नाम वाले खाने-पीने के स्टोर्स में भी बढ़ रहा है. इसलिए युवाओं के लिए यहां बहुत अच्छा करियर है.

शक्ति मर्दों की बपौती नहीं

मई के विधान सभा चुनावों में जयललिता ने तमिलनाडु और ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल जीत कर दिखा दिया कि यदि मेहनत करने और सब कुछ बलिदान कर देने का जज्बा हो तो कोई भी जंग जीती जा सकती है और बारबार जीती जा सकती है वह भी अकेले, बिना पति, बेटों, रिश्तेदारों के. आमतौर पर औरतें इस बात से परेशान रहती हैं कि यदि पिता, पति या बेटा न रहा तो उन का क्या होगा. इन नेताओं ने साबित किया है कि अपनी जगह अपने बलबूते बनाई जा सकती है. राजनीति में ये 2 ही नहीं हैं, मायावती भी हैं, उमा भारती भी हैं, जिन के आगेपीछे कोई खास नहीं पर इन्होंने अपनी एक जगह बना रखी है, लाखों की चहेती हैं. जब ये अपना स्थान बना सकती हैं तो आम औरतें घर में हर समय मुहताज क्यों रहें?

असल में इस जाल को बुनने के लिए समाज ने सदियां लगाई हैं. हर मां को शिक्षा दी गई कि वह अपनी लड़की को संभाल कर रखे. उसे बिना परों की चिडि़या बना कर पिंजरे में रहने की आदत डाले. धर्म ने इस काम में बहुत योगदान दिया, क्योंकि पुरुषों की मनमानी धर्मभीरु औरतों पर ज्यादा चलती है. हर धर्म को ऐसे पुरुष चाहिए, जो आंख मूंद कर धर्मगुरु के आदेश पर जेब भी खाली कर दें और जान भी कुरबान कर दें. धर्मों ने औरतों को गऊ बना कर धर्म के गुलाम पुरुषों को दान में दे दीं पर ममता, मायावती और जयललिता ने इन परंपराओं को

पूरी तरह तोड़ा है. ये औरतें आत्मविश्वास की प्रतीक हैं और अगर आज की औरत को किसी को अपना आदर्श मानना चाहिए तो वे सीता, पार्वती, राधा, लक्ष्मी, वैष्णो या काली नहीं, बल्कि माया, ममता और जयललिता होनी चाहिए. यह जरूरी नहीं कि ये नेता जो कर रही हैं, उस का समर्थन करा जा रहा है. इन की नीतियां गलत भी हो सकती हैं, ये भ्रष्टाचार को पनपने देने वालों में भी हो सकती हैं, ये दलबदलू भी हो सकती हैं. ये जिद्दी भी हो सकती हैं पर जब भी जो भी करती हैं, इन्हें पिता, पति या बेटे से नहीं पूछना पड़ता. उन की इजाजत नहीं लेनी होती. ये अपने समर्थक खुद पैदा करती हैं, वे खुद पैसा जमा करती हैं, खुद अपने सहायकों को चुनती हैं और अकेले दम पर जोखिम लेती हैं. यदि 10 फीसदी औरतें भी इस तरह जुझारू हो जाएं तो समाज का स्वरूप बदल जाए. मंदिरों, चर्चों, मसजिदों के आगे लाइनें लगनी बंद हो जाएं. सड़कों पर लड़कियों को देखते ही सीटियां बजनी बंद हो जाएं. इन नेताओं ने बताया है कि शक्ति मर्दों की बपौती नहीं है. यह अपनेअपने व्यक्तित्व की देन है. इस पर अंकुश समाज, धर्म और परिवार लगाता है, प्रकृति नहीं.

मैं 19 वर्षीय युवती हूं. मेरी ठोड़ी पर बहुत बाल हैं. इन्हें हटाने का कोई उपाय बताएं.

सवाल

मैं 19 वर्षीय युवती हूं. मेरी ठोड़ी पर बहुत बाल हैं. इन्हें हटाने का कोई उपाय बताएं? मैं वैक्सिंग और लेजर ट्रीटमैंट नहीं करना चाहती. कोई घरेलू उपाय बताएं?

जवाब

कई बार हारमोनल बदलाव की वजह से भी ठोड़ी पर बाल उगने लगते हैं. अगर आप वैक्सिंग या लेजर ट्रीटमैंट नहीं करवाना चाहतीं तो घरेलू उपाय के तौर पर हलदी का गाढ़ा पेस्ट बनाएं और उसे चिन पर लगाएं. जब पेस्ट सूख जाए तो रगड़ कर धो लें. ऐसा 4-5 हफ्तों तक नियमित करें. धीरेधीरे बालों की ग्रोथ कम हो जाएगी. इस के अतिरिक्त नीबू व चीनी के घोल को भी आप चिन पर लगा सकती हैं. इस से भी चिन के बाल हटने में मदद मिलेगी. नीबू व चीनी के घोल को चिन पर लगाएं और फिर सूखने पर धो लें.

 

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मेरा बौयफ्रैंड मेरे साथ सोना चाहता है, पर मुझे पेट से होने का डर लगता है. क्या करूं.

सवाल

मेरा बौयफ्रैंड मेरे साथ सोना चाहता है, पर मुझे पेट से होने का डर लगता है. मुझे उसे मना करना अच्छा नहीं लगता. ऐसे में क्या ठीक है?

जवाब

बौयफ्रैंड को सोने का मौका कतई न दें. आप पेट से हो गईं, तो वह किनारा कर लेगा. सिर्फ बातचीत तक ही सीमित रहें. हमबिस्तरी शादी के बाद ही करें.

 

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मैं एक लड़की से प्यार करता हूं, पर लड़की के घर वाले नहीं मान रहे हैं. मुझे क्या करना चाहिए.

सवाल

मेरे ताऊजी ने मुझे गोद लिया है. मैं उन के दूर के साले की बेटी से प्यार करता हूं, पर लड़की के घर वाले शादी के लिए नहीं मान रहे हैं. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

इस मामले में आप को ताऊजी से खुल कर बात करनी चाहिए और उन्हीं की मदद से आप का काम हो सकता है. आप का प्यार का इरादा गलत नहीं है. ताऊजी साथ देंगे, तो काम आसान हो जाएगा, वरना कोर्टमैरिज ही की जा सकती है. अलबत्ता, आप की उम्र 21 व लड़की की 18 साल से कम नहीं होनी चाहिए.

 

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क्या अखिलेश में है आत्मविश्वास की कमी

लोकतंत्र में नेता सर्वोच्च माना जाता है. नौकरशाही उसके फैसलों का क्रियान्वयन करती है. जब नेता जरूरत से अधिक नौकरशाही पर निर्भर हो जाता है, तो जनता की नजरों में उसकी छवि प्रभावित होती है. यह संकट तब और बढ़ जाता है जब एक अफसर सरकार के लिये हर काम की कुंजी बन जाता है. उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन को रिटायर होने के बाद 3 माह का सेवा विस्तार दिया गया. इसके बाद 30 जून को वह रिटायर हो रहे है.

पहले यह कहा गया कि आलोक रंजन को 3 माह का दूसरा सेवा विस्तार दिया जा सकता है. अंदरखाने इस बात का पार्टी, सरकार और नौकरशाही में विरोध बढ़ गया तो इस फैसले को टाल दिया गया. मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी कि अब मुख्य सचिव आलोक रंजन को दूसरा सेवा विस्तार नहीं दिया जायेगा.आलोक रंजन ने खुद भी इस बात से इंकार किया. उत्तर प्रदेश की सरकार ने आलोक रंजन को दूसरा सेवा विस्तार देने की जगह पर उनको सरकार में सलाहकार जैसी अहम भूमिका देने का फैसला किया है.

मुख्य सचिव आलोक रंजन सरकार के सबसे भरोसेमंद अफसरो में हैं. उत्तर प्रदेश सरकार के कई प्रोजेक्ट उनकी अगुवाई में चल रहे हैं. यह सही है कि नये अफसर के लिये इन कामों को संभालना मुश्किल काम होगा. इसके बाद भी किसी अफसर पर इतना निर्भर हो जाना प्रदेश सरकार के मुखिया में आत्मविश्वास की कमी को दिखाता है. नेता हमेशा जनता के नजदीक होता है जबकि अफसर जनता के लिये दूर की कौडी होता है. जनता हमेशा नेता को सबसे उपर देखना पंसद करती है.

इसके पहले समाजवादी पार्टी कई नौकरशाहों पर मेहरबान रही है. इनमें नवीन चन्द्र वाजपेई, नीरा यादव जैसे कई नाम उल्लेखनीय हैं. मुख्य सचिव के पद से रिटायर होने के बाद नवीन चन्द्र द्विवेदी को समाजवादी सरकार ने योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया. नवीन वाजपेई को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है. आलोक रंजन को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने की तैयारी है.

केवल समाजवादी सरकार की बात नहीं है. बसपा की नेता मायावती जब मुख्यमंत्री थी तो शशांक शेखर सिंह को बहुत सारे अधिकार दे दिये थे. बसपा सरकार के कामकाज पर शशांक शेखर सिंह का प्रभाव होता था. ऐसे असफरों की कमी नही है. नौकरशाही में तमाम लोग ऐसे है जो सरकार के चहेते बनने की फिराक में रहते हैं. ऐसे अफसरों की काबिलियत पर किसी को शंका नहीं हो सकती पर एक अफसर पर निर्भरता से दूसरे अफसर का रास्ता रूकता है.

जनता को यह लगता है कि सरकार के मुखिया में आत्मविश्वास की कमी है, जिसकी वजह से वह अफसर को किसी भी तरह से कुर्सी पर बनाये रखना चाहता है. रिटायरमेंट के बाद भी अच्छी जगह और रूतबे की जुगाड में अफसर सरकार के हर काम को सही ठहराने की कोशिश में रहता है. यह संविधान की मूल मंशा के अनुरूप नहीं है. यह रिटायरमेट के नैसर्गिक सिद्वांत के भी खिलाफ है.

दिशा से टाइगर प्यार करते हैं, मगर…

जैकी श्राफ के बेटे और ‘हीरोपंती’ तथा ‘बागी’में अभिनय कर शोहरत बटोर चुके अभिनेता टाइगर श्राफ हमेशा दिशा पटनी को लेकर चर्चा में बने रहते हैं. टाइगर श्राफ और दिशा पटनी के रिश्ते जग जाहिर हैं. देश हो या विदेश हर जगह यह दोनो एक साथ घूमते हुए मिल जाते हैं. इतना ही नही टाइगर श्राफ और दिशा पटनी एक साथ टीसीरीज  के सिंगल गाने ‘‘बेफिक्रा’’ के वीडियो में भी नजर आए हैं. इस वीडियो में टाइगर श्राफ और दिशा पटनी की अंतरंग केमिस्ट्री की सभी तारीफ कर रहे हैं.

दिशा को लेकर टाइगर श्राफ कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फिल्म निर्माता गौरंग दोषी ने जब फिल्म ‘‘आंखे’’ का सिक्वअल बनाने का निर्णय लिया, तो इसमें दिशा पटनी के साथ टाइगर श्राफ को भी साइन किया. उस वक्त टाइगर श्राफ दावा कर रहे थे कि उन्हे फिल्म की पटकथा और किरदार बहुत पसंद आया. मगर अचानक निर्माताओं ने इस फिल्म से दिशा पटनी को बाहर का रास्ता दिखा दिया. फिर क्या था, टाइगर श्राफ ने भी फिल्म ‘‘आंखे’’ का सिक्वअल करने से मना कर दिया.

तो क्या टाइगर श्राफ ने अपनी प्रेमिका दिशा पटनी की वजह से ‘आंखे’ का सिक्वअल करने के लिए हामी भरी थी. पता नहीं..मगर अब टाइगर श्राफ का दावा है कि उन्हे फिल्म ‘‘आंखे’’ के सिक्वअल में अभिनय करने का कभी आफर ही नहीं मिला. इतना ही नही टाइगर श्राफ यह मानते है कि वह दिशा से प्यार करते हैं और दिशा के साथ घूमते हैं, पर वह यह यह नहीं मानते कि उनके बीच कोई रिश्ता है.

टाइगर श्राफ कहते हैं-‘‘दिशा पटनी के साथ सिनेमा के परदे पर और उसके बाहर निजी जिंदगी में बहुत सहज हूं. मैं दिशा से प्यार करता हूं, मगर एक दोस्त के रूप में. हम केवल अच्छे मित्र हैं. हमें एक साथ समय बिताना पसंद है. हम एक साथ नृत्य की रिहर्सल करने जाते हैं. हम दोनो को खाने का भी शौक है. मैं और दिशा दोस्तों के साथ फिल्म देखने भी जाते हैं.’’

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