गाड़ी प्लेटफौर्म छोड़ चुकी थी. मैत्री अपने मोबाइल पर इंटरनैट की दुनिया में बिजी हो गई. फेसबुक और उस पर फैले मित्रता के संसार. विचारमग्न हो गई मैत्री. मित्र जिन्हें कभी देखा नहीं, जिन से कभी मिले नहीं, वे सोशल मीडिया के जरिए जीवन में कितने गहरे तक प्रवेश कर गए हैं. फेसबुक पर बने मित्रों में एक हैं उमंग कुमार. सकारात्मक, रचनात्मक, उमंग, उत्साह और जोश से सराबोर. जैसा नाम वैसा गुण. अंगरेजी में कह लीजिए मिस्टर यू के.

मैत्री के फेसबुकिया मित्रों में सब से घनिष्ठ मित्र हैं यू के. मैत्री अपना मोबाइल ले कर विचारों में खो जाती है. कितनी प्यारी, कितनी अलग दुनिया है वह, जहां आप ने जिस को कभी नहीं देखा हो, उस से कभी न मिले हों, वह भी आप का घनिष्ठ मित्र हो सकता है.

मैत्री मोबाइल पर उंगलियां थिरकाती हुई याद करती है अतीत को, जब गाड़ी की सीट पर बैठा व्यक्ति यात्रा के दौरान कोई अखबार या पत्रिका पढ़ता नजर आता था. लेकिन आज मोबाइल और इंटरनैट ने कई चीजों को एकसाथ अप्रासंगिक कर दिया, मसलन घड़ी, अखबार, पत्रपत्रिकाएं, यहां तक कि अपने आसपास बैठे या रहने वाले लोगों से भी दूर किसी नई दुनिया में प्रवेश करा दिया. मोबाइल की दुनिया में खोए रहने वाले लोगों के करीबी इस यंत्र से जलने लगे हैं.

अपनी आज की यात्रा की तैयारी करते हुए जब सवेरे मैत्री को उस का पति नकुल समझा रहा था कि जयपुर जा कर वह किस से संपर्क करे, कहां रुकेगी आदि, तब मैत्री ने पति को बताया कि वे कतई चिंता न करें. फेसबुकिया मित्र उमंग का मैसेज आ गया है कि बेफिक्र हो कर जयपुर चली आएं, आगे वे सब संभाल लेंगे.

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