देश के लिए नासूर बन चुके आतंकवाद के नापाक हाथ अब बोधगया स्थित शांतिस्थल महाबोधि मंदिर तक पहुंच गए हैं. बिहार के इस विश्वविख्यात पर्यटन स्थल पर सिलसिलेवार हुए बम धमाकों ने सुरक्षा व्यवस्था की पोल तो खोली ही साथ ही भविष्य में इस पर्यटन स्थल से जुड़े कई मसलों पर गंभीर प्रश्न भी खडे़ कर दिए हैं. पढि़ए बीरेंद्र बरियार ज्योति की रिपोर्ट.

‘‘समूची दुनिया को शांति का नारा देने वाला महाबोधि टैंपल ‘धड़ाम’ की आवाज के साथ थर्रा उठा. जब तक लोग कुछ समझ  पाते तब तक दूसरा धमाका हो गया. उस के बाद तो हमें पूरी तरह से यकीन हो गया कि कुछ बड़ी गड़बड़ है. लोग अपनी जान बचाने के लिए इधरउधर भागने लगे कि तभी तीसरा धमाका हो गया और फिर एकएक कर धमाकों की झड़ी ही लग गई.’’ बोधगया के विधायक रह चुके कुमार सर्वजीत यह कहतेकहते बेचैन हो उठते हैं. वे बताते हैं कि वे रोज महाबोधि टैंपल के पास सुबह की सैर करने जाते हैं. उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि महाबोधि पर आतंकी हमला हो सकता है.

बिहार में पहली बार दस्तक दे कर आतंकवादियों ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं. आतंकी वारदातों को अंजाम देने के बाद आतंकवादी अब तक बिहार को छिपने के लिए सेफ जोन के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे.

7 जुलाई को तड़के सवेरे बिहार के गया जिले के बोधगया में स्थित 1500 साल पुराने महाबोधि टैंपल के भीतर और उस के आसपास 9 सीरियल ब्लास्ट हुए. ये ब्लास्ट 5 बज कर 40 मिनट से 5 बज कर 56 मिनट के बीच ही हुए.

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