मानव तस्करी एवं बाल व बंधुआ मजदूरी विषय पर दिल्ली में आयोजित सम्मेलन में देशभर से आए कई लोगों ने भाग लिया जो इस दिशा में काम कर रहे हैं. सम्मेलन में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी से बात करने का मौका मिला. उन्होंने सरकार की नीतियों, बालशोषण, मानव तस्करी जैसे संवेदनशील मुद्दों के साथसाथ आज के समाज पर भी खुल कर बातचीत की.

हमारा समाज बहुत संवेदनहीन होता जा रहा है. इस की मुख्य वजह क्या है?

मैं यह नहीं मानता कि समाज संवेदनहीन हो रहा है. मैं कहूंगा कि समाज की संवेदनाएं सीमित हो रही हैं. यह स्वार्थ की वजह से है, समाज में स्वार्थ की भावना बढ़ रही है. हम अपने भाईबहनों और अपने बच्चों के लिए बड़े संवेदनशील हैं लेकिन हमारी वह संवेदना हमारे पड़ोसी के बच्चे के लिए नहीं है. समाज के अन्य बच्चों के लिए नहीं है. जो बच्चे सड़क पर अपनी जिंदगी बिता रहे हैं उन के लिए नहीं है. मुझे लगता है कि इस के पीछे दोतीन चीजें हैं. एक तो समाज में बहुत ज्यादा लालच बढ़ता जा रहा है क्योंकि इतनी चीजें बिक रही हैं बाजार में. इतनी सुविधाएं हैं. विलासिता की सामग्री, मौजमस्ती के तरीके. ऐसे में लोगों को लगता है कि पैसे होंगे तभी ये चीजें उन के पास होंगी. लोग यह भी समझने लगे हैं कि पैसा कमाया जा सकता है केवल अपने लिए सोच कर और अपने समय का, बस अपने लिए इस्तेमाल कर के. इसलिए समाज में लालच बढ़ रहा है. दूसरा कारण यह है कि समाज में स्वार्थ बढ़ रहा है. हम बहुत ज्यादा स्वार्थी होते जा रहे हैं. हमें लगने लगा है कि अपने छोटे से दायरे में रह कर हम ज्यादा खुश रह सकते हैं. तीसरी वजह है, भविष्य को ले कर असुरक्षा का भाव. यह भी लोगों में बढ़ता जा रहा है. लोगों को लग रहा है कि पता नहीं, कल क्या होगा? इसलिए अभी कमा लो. अभी जो करना है, कर लो. इस प्रकार असुरक्षा का डर भी इंसान को बहुत स्वार्थी बनाता है. इन सभी चीजों का जो तालमेल है उस में इजाफा कर रहा है हमारा विज्ञापन उद्योग. मीडिया की भी भूमिका है. सोशल मीडिया की भी बहुत बड़ी भूमिका है.

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