निर्देशक हबीब फैजल आम मुंबइया निर्देशकों से कुछ अलग सोच रखते हैं. अपना हुनर वे फिल्म ‘इश्कजादे’ और ‘दो दूनी चार’ में दिखा चुके हैं. ‘दावते इश्क’ में भी उन्होंने दहेज और दहेज प्रताड़ना कानून 498ए  के दुरुपयोग को दर्शाया है. फिल्म में एक पत्नी अपने पति पर दफा 498ए लगवा कर उस से 10 करोड़ रुपए नकद और एक फ्लैट देने की मांग करती है, साथ ही कहती है ‘लौंग लिव 498ए.’ निर्देशक हबीब फैजल ने अपनी इस फिल्म का तानाबाना दहेज समस्या पर जरूर बुना है. दहेज की वजह से जिस लड़की को बारबार रिजैक्ट किया जा रहा था, वह अपने पिता के साथ मिल कर दहेज लोभियों को लूटने का प्लान बनाती नजर आती है. निर्देशक ने कहानी को लव स्टोरी में तबदील कर दिया है.

‘दावते इश्क’ के इस दस्तरख्वान में दर्शकों को लखनऊ और हैदराबाद के लजीज पकवानों का जायका भी मिलेगा. फिल्म में मुगलई पकवानों को जिस अंदाज में दिखाया गया है उसे देख कर तो मुंह में पानी आ जाता है.

फिल्म की कहानी शुरू होती है हैदराबाद से. गुल्लू उर्फ गुलरेज कादरी (परिणीति चोपड़ा) अपने अब्बा कादरी साहब (अनुपम खेर) के साथ रहती है. गुल्लू एक शू कंपनी में सेल्समैन है और कादरी साहब कोर्ट में क्लर्क हैं. कादरी साहब को गुल्लू की शादी की चिंता है. हर बार गुल्लू की शादी की बात दहेज पर अटक जाती है. तंग आ कर गुल्लू अमीरजादों से झूठा निकाह कर उन्हें लूटने का प्लान बनाती है. काफी नानुकुर के बाद वह अपने अब्बा को भी इस प्लान में शामिल कर लेती है. दोनों लखनऊ पहुंच जाते हैं. उन का पहला शिकार बनता है तारिक हैदर (आदित्य राय) जो एक छोटामोटा रैस्तरां चला रहा होता है. वह उस से निकाह कर उसे 80 लाख रुपए की चपत लगा कर भाग जाती है. भाग कर बापबेटी हैदराबाद वापस लौटते हैं.

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