आने वाले समय में ओला और उबर जैसी ऐप-बेस्ड टैक्सी सर्विस महंगी हो सकती हैं. केंद्र सरकार ने ऐसी सर्विस के लिए एक पॉलिसी ड्राफ्ट तैयार किया है जिसमें न्यूनतम किराए पर 2-3 गुना सर्ज प्राइसिंग को मंजूरी दी गई है. हालांकि इस ड्राफ्ट में केंद्र ने ऐप बेस्ड टैक्सी सर्विस का न्यूनतम और अधिकतम किराया निर्धारित करने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया है. राज्य सरकारें टैक्सी सर्विस को शहर से बाहर चलाए जाने की अनुमति भी दे सकती हैं.

सूत्रों के मुताबिक, राज्यों के परिवहन विभाग, परिवहन मंत्रालय, नीति आयोग और इलैक्ट्रॉनिक व आईटी विभाग के बीच मंगलवार को हुई एक मीटिंग में इस बात पर सहमति बनी है कि इस नीति से यात्रियों को टैक्सी की उपलब्धता बढ़ाने में मदद मिलेगी. एक अधिकारी ने बताया, 'सर्ज प्राइसिंग पर सहमति देने से टैक्सी सर्विस कॉम्पिटिशन में कम से कम किराया रखने की कोशिश करेंगी. सभी ने माना कि मनमाने किराए से बचाने के लिए लोगों को कुछ ज्यादा किराया देना पड़ेगा इसलिए इसे सीमित किया जाना जरूरी है.'

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इस नीति का मुख्य ध्यान टैक्सी की उपलब्धता को बढ़ाना है. हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट के ऑर्डर को देखते हुए इस पॉलिसी ड्राफ्ट को अगले महीने पहले कोर्ट के समक्ष मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा. सरकार का ऐसा मानना है कि ऐप बेस्ड टैक्सी सर्विस से लोगों को परिवहन की बेहतर सुविधा मिली है और इसके जरिए गाड़ियों की बढ़ती संख्या को सीमित किया जा सकता है. इसीलिए सड़क और परिवहन मंत्रालय ने टैक्सी के रजिस्ट्रेशन को आसान बनाए जाने का समर्थन किया है. हालांकि, ट्रैक्सी सर्विस राज्य सरकारों के नियमों को मानने के लिए बाध्य होंगी.

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