वैसे तो नवविवाहित जोड़े विवाह के बाद अपनी अलग दुनिया में मग्न होते हैं लेकिन इस के बावजूद दोनों को एकदूसरे को जानने, समझने का पूरा मौका मिलना चाहिए. इस के लिए जरूरी है हनीमून पर जाना. यों तो हनीमून डैस्टिनेशन के लिए कई जगहें हैं लेकिन हनीमून ट्रिप यादगार बन सकता है जब सही जगह और समय का चुनाव किया जाए. तो चलिए हम बताते हैं आप को कुछ खूबसूरत हनीमून डैस्टिनेशंस :

जम्मू

हनीमून प्लान करते वक्त जिस जगह का नाम जेहन में सब से पहले आता है वह जम्मूकश्मीर है. 90 के दशक तक की हिंदी फिल्मों का रोमांस जम्मूकश्मीर का मुहताज हुआ करता था. कभी फिल्मी सितारों से गुलजार रहने वाले जम्मूकश्मीर को क्यों धरती के स्वर्ग के खिताब से नवाजा गया है, यह वहीं जा कर महसूस किया जा सकता है.

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जम्मूकश्मीर राज्य की शीतकालीन राजधानी जम्मू है. सालभर यहां देशीविदेशी पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती है, जिन में बड़ी तादाद नवविवाहित जोड़ों की रहती है. यह मिथक अब टूट चुका है कि जम्मू गरमी में ही जाना चाहिए, अब तो कड़कड़ाती सर्दी में भी सैलानी जम्मू की सैर करने लगे हैं.

जम्मू शहर देश के दूसरे शहरों जैसा ही है जिस में सभी वर्गों के लोग रहते हैं और धर्मस्थलों की यहां भी भरमार है. लेकिन जब पर्यटक जम्मू शहर से बाहर निकलते हैं तो मानो खुद को एक नई दुनिया में पाते हैं. तवी नदी के किनारे बसे जम्मू के बाहर का प्राकृतिक सौंदर्य, खूबसूरत वादियां, ऊंचीऊंची पहाडि़यां और घाटियों के बीच से बहती झीलें बरबस ही मूड को रोमांटिक बना देती हैं. फूलों से सजी पगडंडियां देख लगता है कि फिल्मी परदे से निकल कर सामने आ खड़ी हुई हैं जिन के इर्दगिर्द की खामोशी प्यार की भाषा बोलती नजर आती है.

तवी नदी के किनारे एक पहाड़ी पर स्थित अमर महल म्यूजियम जम्मू के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है. कभी महल रहे इस म्यूजियम में शाही परिवार के चित्र व अन्य स्मृतिचिह्न संग्रहीत हैं. पहाड़ी चित्रकला से भी दर्शक यहां परिचित होते हैं और पुस्तकालय में रखी दुर्लभ पुस्तकें भी उन का ध्यान अपनी तरफ खींचती हैं.

डोगरा आर्ट गैलरी जम्मू का दूसरा दर्शनीय स्थल है. पहाड़ी कला और चित्रकला से संबंधित सामग्री इस आर्ट गैलरी में संग्रहीत है. बसोहली शैली के आभूषण भी अपनी अलग डिजाइनों के कारण पर्यटकों को भाते हैं.

शहर से 4 किलोमीटर दूर स्थित तवी नदी के किनारे की पहाड़ी पर स्थित बाहू किला जम्मू का सब से पुराना किला है. लगभग 3 हजार साल पहले राजा बाहुलोचन द्वारा बनवाए गए इस किले के नीचे बने बगीचे में प्रेमी युगल एकदूसरे की बांहों में बाहें डाले रोमांस करते नजर आते हैं. यहां से पूरा जम्मू शहर दिखता है.

हनीमून मनाने आए कपल्स की पहली पसंद जम्मू की झीलें हुआ करती हैं. जम्मू से 65 किलोमीटर दूर स्थित मानसर झील एक रोमांटिक जगह है. यहां नौकायन की भी सुविधा है.

मानसर झील पर सुबह आ कर पूरा दिन गुजारा जा सकता है. यदि रात को रुकना चाहें तो यहां हट्स भी हैं और पर्यटन विभाग का बंगला भी है जिस की बुकिंग पहले करा लेना सुविधाजनक रहता है. मानसर झील के नजदीक ही सुरिनसर झील है जिस की प्राकृतिक दृश्यावली भी कम नहीं है.

कब जाएं : यों तो जम्मू साल में कभी भी जाया जा सकता है, लेकिन बरसात में यहां असुविधा होती है, इसलिए इस दौरान जम्मू नहीं जाना चाहिए.

कैसे जाएं : हवाईमार्ग द्वारा जम्मू जाया जा सकता है. प्रमुख एयरलाइंस की उड़ानें यहां के लिए उपलब्ध हैं. रेलमार्ग से जम्मू देश के सभी प्रमुख शहरों से सीधे जुड़ा है. सड़कमार्ग से दिल्ली व अमृतसर से जाया जा सकता है.

कहां ठहरें : जम्मू में ठहरने के लिए हर तरह के होटल उपलब्ध हैं.

क्या खरीदें : जम्मू के बाजार आकर्षक हैं जहां से ड्राइफ्रूट और ऊनी कपड़े खरीदे जा सकते हैं. अधिकांश पर्यटक जम्मू का राजमा, बासमती चावल, चैरी, अखरोट और बादाम जरूर खरीदते हैं.

श्रीनगर

जिस शहर की वजह से जम्मूकश्मीर दुनियाभर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है वह शहर श्रीनगर है, जो जम्मू से 300 किलोमीटर दूर है. जम्मू से श्रीनगर अगर सड़क से जाएं तो समझ आता है कि प्रकृति किस तरह यहां मेहरबान रही है. ठंडी हवा, चारों तरफ बिछी हरियाली और खूबसूरत वादियों को देख कर लगता है कि काश, यहीं बस जाएं.

श्रीनगर को देख कर ही मुगल बादशाहों ने इसे जन्नत कहा था और इसे बनाने व सजानेसंवारने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी. मुगल शैली के बागबगीचों की तो यहां भरमार है. ऐतिहासिक महत्त्व वाले श्रीनगर में सभी जातियों और संस्कृतियों के लोग रहते हैं जिन की अपनी एक अलग कदकाठी, खूबसूरती और बातचीत का खास लहजा है.

हर दौर के कपल्स का हमेशा से ही एक सपना रहा है कि हनीमून श्रीनगर में मनाएंगे तो इस की वजह भी है. रोमांस के लिए जिस माहौल या आदर्श परिस्थितियों की जरूरत होती है वे श्रीनगर में सहज उपलब्ध हैं. यह कहना गलत नहीं है कि कश्मीर और श्रीनगर हर मौसम में अपना रंग बदलते हैं. फूलों से लदी पगडंडियां दुनिया में अगर कहीं दिखती हैं तो वह श्रीनगर है.

श्रीनगर में दर्शनीय स्थलों की भरमार है. झीलें और बागबगीचे यहां की जान और शान हैं जिन को देखने के लिए पर्यटक दौड़े चले आते हैं. समुद्रतल से 1,730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्रीनगर हर दौर में प्रकृतिप्रेमियों को लुभाता रहा है.

न्यू कपल्स को सब से ज्यादा यहां की झीलें लुभाती हैं. इन में से प्रसिद्ध डल झील शहर के बीचोंबीच स्थित है. अब इस झील का दायरा 28 वर्ग किलोमीटर से घट कर 12 किलोमीटर में सिमट कर रह गया है. पर इस का प्राकृतिक दृश्यावली पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. डल झील पर कई द्वीप बने हुए हैं. न्यू कपल्स को सब से ज्यादा लुभाती हैं वहां की हाउसबोट जिन में जिंदगी का खास वक्त गुजारने का मजा ही कुछ और है. शिकारे पर बैठ कर झील की सैर करते पर्यटक अपनी सुधबुध खो बैठते हैं.

इस झील का ही एक हिस्सा नगीन झील के नाम से प्रसिद्ध है. इस झील की तुलना उंगली में हीरे की अंगूठी की तरह भी की जाती है. शहर से 8 किलोमीटर दूर इस झील की खूबसूरती बेजोड़ है जिस में अंगूठी के आकार के पेड़ों की भरमार है. नीले पानी वाली नगीन झील में तैराकी और वाटर स्कीइंग की सुविधा भी उपलब्ध है.

श्रीनगर कितना भी घूम लें, जी नहीं भरता. खूबसूरत बगीचों में बैठे और बतियाते कब वक्त गुजर जाता है, इस का पता ही नहीं चलता, यही यहां की विशेषता है कि पर्यटक अपनी तमाम परेशानियां और चिंताएं खुदबखुद भूल जाते हैं.

कब जाएं : श्रीनगर सालभर कभी भी जाया जा सकता है लेकिन ठंड के मौसम में यहां का तापमान शून्य से 2 डिगरी नीचे तक चला जाता है. श्रीनगर आते वक्त गरम कपड़े जरूर साथ लाने चाहिए.

कैसे जाएं : हवाईमार्ग से दिल्ली, चंडीगढ़, अमृतसर, मुंबई से सीधी उड़ानों द्वारा आयाजाया जा सकता है. रेलमार्ग से आने के लिए जम्मू उतर कर सड़क के रास्ते आना उचित रहता है.

कहां ठहरें : श्रीनगर में ठहरने के लिए हर बजट के होटल हैं. न्यू कपल्स आमतौर पर हाउसबोट्स में ठहरना पसंद करते हैं. जम्मूकश्मीर नगर निगम के कौटेज व बंगलों में भी ठहरा जा सकता है.

क्या खरीदें : कश्मीर के शौल सभी पर्यटक खरीदते हैं. इस के अलावा दूसरे ऊनी कपड़ों की भी खरीदारी श्रीनगर में की जा सकती है. यहां की सिल्क की साडि़यां भी प्रसिद्ध हैं. लकड़ी के आइटम भी खरीदे जा सकते हैं.

गुलमर्ग

खूबसूरती के जो नजारे जम्मू से शुरू होते हैं और श्रीनगर में नजर आते हैं वे वहां से 52 किलोमीटर और दूर आ कर गुलमर्ग में पूरे शबाब पर दिखते हैं. गुलमर्ग ऐसी जगह है जिस की तुलना किसी दूसरी जगह से नहीं की जा सकती. जो कपल्स अपने हनीमून को यादगार बनाना चाहते हैं उन के लिए गुलमर्ग वाकई आदर्श पर्यटन स्थल है. समुद्रतट से 2,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गुलमर्ग एकदम शांत जगह है.

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गुलमर्ग को 1927 के आसपास अंगरेजों ने बसाया था. यहां देश का सब से बड़़ा गोल्फ कोर्स है. अपने शाब्दिकअर्थ फूलों की वादी को चरितार्थ करते इस स्थल की बेशुमार खूबियां हैं. हरी घास मानो यहां बिछी ही रहती है और बर्फ से ढकी पहाडि़यां इस का अतिरिक्त आकर्षण हैं. बारामूला जिले की शान गुलमर्ग ढलान वाले मैदानों के लिए भी जाना जाता है.

सैकड़ों हिंदी फिल्मों की शूटिंग यहां हुई है. फिल्मकार हमेशा इस खूबसूरत जगह को कैमरे में कैद करने को बेताब रहे हैं. फिल्म ‘आप की कसम’ का मशहूर गाना ‘जयजय शिवशंकर कांटा लगे न कंकर…’ राजेश खन्ना और मुमताज पर गुलमर्ग में ही फिल्माया गया था. यहां सेब के बगीचे देखना एक अलग अनुभव है. गुलमर्ग की केसर भी दुनियाभर में मशहूर है. इस ठंडी जगह में जब सर्दी में बर्फबारी होती है तो नजारा वाकई देखने लायक होता है.

बर्फ के खेलों का आनंद लेते सैलानियों को देख कर लगता है कि जिंदगी अगर कहीं है तो बस यही है. स्कीइंग का लुत्फ उठाते न्यू कपल्स यहां हनीमून का सही मानो में आनंद लेते हैं.

गुलमर्ग बेहद साफसुथरा और व्यवस्थित कसबा है. कदमकदम पर फूल, ढलान और हरियाली पर्यटकों को जिंदगीभर याद रहते हैं. सड़क किनारे बनी दुकानों और होटलों पर अकसर भीड़ लगी दिखती है. रोपवे, जिसे स्थानीय भाषा में गंडोला कहा जाता है, से चारों तरफ का मनमोहक नजारा देख जम्मूकश्मीर देखना सार्थक हो जाता है.

खिलनमर्ग गुलमर्ग की फूलों की खूबसूरत घाटी है, जहां बैठ जाएं तो उठने का मन नहीं करता. चीड़ और देवदार के वनों से घिरी अलपायर झील भी रोमांटिक जगह है. निंगलीनगाह गुलमर्ग का प्रसिद्ध पिकनिक स्थल है. अलपायर झील पर घूमने का अलग ही आनंद है. इस झील का पानी जून के मध्य तक बर्फ की शक्ल में जमा रहता है.

गुलमर्ग जाने के लिए सभी मौसम उपयुक्त हैं. नवंबर से ले कर अप्रैल तक यहां खूब बर्फबारी होती है, जिस का लुत्फ उठाने खासतौर से पर्यटक यहां आते हैं. आने के लिए पहले जम्मू, फिर श्रीनगर हो कर रास्ता तय करना पड़ता है. गुलमर्ग में ठहरने के लिए अच्छे होटल उपलब्ध हैं. जब भी गुलमर्ग आएं, गरम कपड़े जरूर साथ रखें और पर्यटन विभाग से मौसम की जानकारी ले कर ही आएं.

सोनमर्ग

रोमांस के लुत्फ के साथसाथ अगर रोमांच का भी शौक पूरा करना हो तो उस के लिए सोनमर्ग से बेहतर जगह शायद ही कोई और हो. श्रीनगर से 70 किलोमीटर दूर स्थित सोनमर्ग, नाम के मुताबिक, सोने का मैदान ही लगता है. फरवरीमार्च में इस जगह की खूबसूरती शबाब पर होती है. ट्रैकिंग के लिए लोकप्रिय सोनमर्ग में बर्फ जब गिरती है तो पूरी वादी सफेद नजर आती है. समुद्रतल से इस की ऊंचाई 2,740 मीटर है.

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सोनमर्ग में झीलें भी हैं, पर्वत और दर्रे भी हैं. गटसर, कृष्णसर और गंगाबल झीलें इस के सौंदर्य में चारचांद लगाती हैं. सोनमर्ग से 15 किलोमीटर दूर स्थित गटसर झील बर्फ के पहाड़ों और अल्पाइन फूलों से घिरी हुई है. यह दृश्य देख कर पर्यटक जैसे दूसरी दुनिया में पहुंच जाते हैं. नए जोड़ों को यह जगह बहुत भाती और लुभाती है. कृष्णसर झील समुद्रतट से 3,801 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जिस में दर्रे से हो कर पहुंचा जाता है. यहां पर्यटक मछली पकड़ने का शौक पूरा करते देखे जा सकते हैं. सत्सर झील तक सोनमर्ग से पैदल जाया जा सकता है जो यहां एक और आकर्षण पर्यटकों के लिए है.

सोनमर्ग का एक और आकर्षण निलागर्द है जोकि एक पहाड़ी नदी है. इस नदी का पानी लाल रंग का है.

सोनमर्ग भी अब सालभर जाया जा सकता है. नवंबर से अप्रैल के बीच यहां खूब बर्फबारी होती है जिस का लुत्फ उठाने के लिए खासतौर से पर्यटक आते हैं. आने के लिए श्रीनगर हो कर ही सड़कमार्ग से आना पड़ता है. ठहरने के लिए यहां भी अच्छे होटल मौजूद हैं.

पहलगाम

अनंतनाग जिले का यह कसबा मूलतया एक हिल स्टेशन है जो श्रीनगर से 93 किलोमीटर दूर है. पहलगाम की खूबसूरती किसी सुबूत की मुहताज नहीं. यहां की प्राकृतिक सुंदरता का चित्रण कई फिल्मों में किया गया है. कई फिल्मी हस्तियां छुट्टियां मनाने पहलगाम ही आया करती हैं.

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न्यू कपल्स के लिए पहलगाम अब हनीमून मनाने की पसंदीदा जगह बनती जा रही है. जम्मूकश्मीर के सब से खूबसूरत नगरों में शुमार पहलगाम में भी पहाडि़यों और झीलों की भरमार है. केसर की पैदावार के लिए मशहूर इस जगह में कहीं भी चले जाएं, एक खूबसूरत एहसास होता है.

हौर्स राइडिंग, स्कीइंग, ट्रेकिंग और गोल्फ के लिए मशहूर पहलगाम में बर्फबारी के दिनों में नजारा अद्भुत होता है. स्थानीय लोग काफी सीधे हैं और वे पर्यटकों का स्वागत करने को हर वक्त तैयार रहते हैं. समुद्रतल से 2,120 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस जगह पर ठहरने व खानेपीने की खासी सहूलियतें हैं.

सुबह उठ कर कहीं भी चल पड़ें, एक अद्भुत दृश्य पर्यटकों को हैरान करने को हर जगह मौजूद रहता है. घाटियां, हरियाली, फूल और झीलें यहां भी इफरात से हैं. आमतौर पर पर्यटक यहां खगार की सवारी से भ्रमण करना उपयुक्त समझते हैं. एकांत में शांति से कुछ दिन गुजारने के लिए पहलगाम से बेहतर जगह कोई है ही नहीं.

पर्यटक यहां ऊनी कपड़े और केसर खूब खरीदते हैं. पहलगाम में मोलभाव कर ही सामान खरीदना चाहिए. पहलगाम के लोगों की आमदनी का बड़ा जरिया पर्यटक ही हैं, लिहाजा, स्थानीय लोग अनापशनाप भाव बताते हैं. यहां जाने से पहले मौसम का हाल जरूर जान लेना चाहिए.

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