मेघालय

जो कपल्स हनीमून जरा हट के मनाना चाहते हैं उन के लिए पूर्वोत्तर राज्य मेघालय का रुख करना बेहतर होगा. यहां का जनजातीय जीवन उन्हें सांस्कृतिक विविधता से भी रूबरू कराता है. मेघालय नाम से ही रूमानियत टपकती है. मेघालय यानी बादलों का घर. यहां की पहाडि़यों से न केवल आप बादलों को नजदीक से देख सकते हैं, बल्कि शिद्दत से महसूस भी कर सकते हैं.

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आदिवासी बाहुल्य राज्य मेघालय भारत का स्कौटलैंड भी कहा जाता है क्योंकि यहां की खूबसूरत वादियां, बादलों से ढके पहाड़, झरने और हरेभरे जंगल मिल कर जो नजारा पेश करते हैं वह रूमानियत को और बढ़ा देता है. मेघालय की राजधानी शिलौंग शहर अंगरेजों के शासनकाल में महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र हुआ करता था. शिलौंग में जो 3 जातियां प्रमुखता से पाई जाती हैं वे हैं खासी, जयंति और मारो. ये तीनों जातियां देश की सब से पुरानी जनजातियां हैं.

मेघालय मातृसत्तात्मक व्यवस्था को मान्यता देता राज्य है. वहां घरों के छोटेबड़े फैसले महिलाएं लेती हैं. आप यह जान कर हैरान हो सकते हैं कि मेघालय में शादी के बाद दूल्हा दुलहन के घर जा कर रहता है.

शिलौंग में दर्शनीय स्थलों की भरमार है. इन में से एक प्रमुख शिलौंग पीक है जो शहर से 10 किलोमीटर दूर है. इस पीक की ऊंचाई 1,965 मीटर है, जहां से पूरा शहर दिखाई देता है. रात के समय यह पीक काफी मनोरम दिखाई देती है.

स्वीट फौल शिलौंग का दूसरा प्रमुख दर्शनीय स्थल है जहां पर्यटक दिनभर इत्मीनान से पिकनिक मनाते हैं. यहां के झरनों से 200 फुट नीचे तक पानी गिरता है.

ऊपरी शिलौंग में स्थित हाथी झरना, दरअसल, कई झरनों का समूह है इन से गिरते पानी का दृश्य काफी मनोहारी लगता है. शहर के बीचोंबीच स्थित वार्ड्स लेक शिलौंग की पहचान मानी जाती है. इस झील में कपल्स बोटिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं. यहां के बोटैनिकल गार्डन में तरहतरह की रंगबिरंगी चिडि़या देख मन प्रसन्न हो उठता है.

चेरापूंजी का नाम हर कोई जानता है कि यहां सब से ज्यादा बारिश होती है. यह शिलौंग से 60 किलोमीटर दूर स्थित है जहां सुबह जा कर शाम तक वापस लौटा जा सकता है. चेरापूंजी का नया नाम सोहरा है. यहां से बंगलादेश की सीमा लगी हुई है. सोहरा का एक अन्य आकर्षण देश का सब से ऊंचा झरना नोहकलिकाई है. लगभग 1 हजार फुट ऊंचे इस झरने से गिरता पानी हरे रंग का दिखाई पड़ता है.

इन के अतिरिक्त लेडी हैदरी पार्क, उमियान झील, क्रेम माम्लुह, क्रेम फिलुन, मावसिराय और सीजू भी दर्शनीय स्थल हैं. गुफाओं में घूमने का रोमांच हर कहीं नहीं मिलता.

कब जाएं : मेघालय सालभर कभी भी जा सकते हैं लेकिन बारिश के मौसम में जाने का लुत्फ ही कुछ और है.

कैसे जाएं : हवाईमार्ग से 128 किलोमीटर दूर गुवाहाटी एयरपोर्ट पर उतर कर

40 किलोमीटर सड़क के रास्ते शिलौंग पहुंचा जा सकता है. रेलमार्ग से जाने पर भी गुवाहाटी ही उतरना पड़ता है. यहां से सड़क के रास्ते शिलौंग जाना पड़ता है.

कहां ठहरें : शिलौंग में ठहरने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं हैं. होटल पोलो टावर्स, सैंटर पौइंट, त्रिपुरा केस्टल और पैराडाइज क्रौम यहां के प्रमुख होटल हैं.

क्या खरीदें : मेघालय के बेंत के बने आइटम्स काफी मशहूर हैं जो स्थानीय बाजारों में मिलते हैं, खासतौर से चटाइयां और बास्केट्स काफी आकर्षक व टिकाऊ होती हैं.

गंगटोक

पूर्वोत्तर का सब से साफसुथरा और अनुशासित शहर है गंगटोक. सिक्किम की राजधानी गंगटोक की बेमिसाल खूबसूरती को कोई चुनौती नहीं दी जा सकती. पूर्वी हिमालय शृंखला की पहाडि़यों के ऊपर 1,477 मीटर की ऊंचाई पर बसे गंगटोक जा कर ऐसा लगता है मानो किसी बौद्धनगरी में आ गए हों. बौद्ध धर्म का प्रभाव यहां कदमकदम पर दिखता है.

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गंगटोक सालभर सैलानियों से भरा रहता है और कभीकभी तो इतनी भीड़ होती है कि यहां के होटलों में जगह ही नहीं मिलती. रानीपूल नदी के पश्चिम में स्थित इस खूबसूरत शहर से कंचनजंघा पर्वत की पूरी शृंखला दिखाई देती है.

बौद्ध मठों के अलावा यहां से 40 किलोमीटर दूर स्थित सोमगो झील पर्यटकों को सुधबुध खो देने की हद तक हैरान कर देती है. सोमगो झील चारों तरफ से बर्फीली पहाडि़यों से घिरी हुई है. 1 किलोमीटर लंबी और लगभग 15 मीटर गहरी इस झील में जाड़े में प्रवासी पक्षी आते हैं तो पर्यटकों को लगता है कि वे किसी दूसरी दुनिया में विचर रहे हैं.

शहर से 6 किलोमीटर दूर टाशीलिंग मूलतया एक बौद्ध मठ है जिस की विशेषता यह है कि इस के एक बरतन में रखा पानी 300 साल बाद भी सूखा नहीं है.

गंगटोक की साफसुथरी हवा में सांस लेने से ही शरीर में जान आ जाती है. हरीभरी पहाडि़यां, झूमते पेड़ और हरियाली के बीचोंबीच बैठ कर नए कपल्स खुद को काफी रिलैक्स और भावी जीवन के लिए यहां आ कर तैयार कर सकते हैं. इस शहर का मौसम सालभर सुहाना रहता है और शहर के मुख्य मार्ग एमजी रोड पर सैलानियों की भीड़ जब गंगटोक के सौंदर्य की चर्चा करती नजर आती है तो लगता है कि सही जगह आए हैं. राजकपूर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ में यहां के ही झरने दिखाए गए थे.

प्रकृतिप्रेमियों का स्वर्ग कहे जाने वाले गंगटोक के पूर्व में 10 किलोमीटर दूर नाथुला दर्रा 14,200 फुट की ऊंचाई पर है. टेढे़मेढे़ रास्तों से इस की धुंधभरी पहाडि़यों तक पहुंचना बेहद रोमांचक अनुभव होता है. चीन की सीमा को जोड़ते इस दर्रे के झरने और भी मोहक लगते हैं. नाथुला दर्रा सप्ताह में 4 दिन शनिवार, रविवार, बुधवार व गुरुवार को ही खुलता है. यहां जाने से पहले प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है.

बौद्ध मठों के इस शहर में खासी चहलपहल मुख्य एमजी मार्ग पर रहती है. खानेपीने के एक से बढ़ कर एक आइटम यहां मिलते हैं जिन का स्वाद भी अलग महसूस होता है. न्यू कपल्स को वक्त गुजारने के लिए शहर से 8 किलोमीटर दूर स्थित हिमालयन जूलौजिकल पार्क एक बेहतर जगह है जो 205 एकड़ में फैला हुआ है. इस पार्क में जंगली जानवर भी बहुतायत में हैं.

कब जाएं : गंगटोक सालभर जाया जा सकता है.

कैसे जाएं : हवाईमार्ग द्वारा सिलीगुड़ी स्थित बागडोगरा एयरपोर्ट पर उतर कर सड़क के रास्ते 124 किलोमीटर की यात्रा कर गंगटोक पहुंचा जा सकता है. रेल द्वारा न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पर उतर कर इतनी ही दूरी तय करना पड़ती है. यहां टैक्सियां उपलब्ध रहती हैं.

कहां ठहरें : गंगटोक में हर बजट के होटल मिल जाते हैं, हालांकि दूसरे शहरों के मुकाबले गंगटोक के होटल थोड़े महंगे हैं.

क्या खरीदें : यहां के भूटिया समुदाय द्वारा हाथ से बनाए गए ऊनी कपड़ों के अलावा स्थानीय लालबाजार में मिलते सिक्किमी मग यहां की पहचान हैं. तिब्बतियन कारपेट भी आकर्षक लगते हैं. अधिकांश पर्यटक गंगटोक के एकमात्र चाय बागान से और्गेनिक टी जरूर ले जाते हैं, जो दुनियाभर में मशहूर है.

भूटान

विदेश जा कर हनीमून मनाने की नवदंपतियों की इच्छा बहुत सस्ते में और आसानी से भूटान जा कर पूरी हो जाती है. देश की पूर्वोत्तर सीमा पर बसे भूटान देश की अपनी विशिष्टताएं हैं.  भूटानी लोग अपनी संस्कृति व मान्यताओं के साथसाथ अनुशासन का भी सख्ती से पालन करते हैं. बौद्ध धर्म के प्रभाव वाले भूटान में आधुनिकता अभी दाखिल होनी शुरू हुर्ह है.

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भूटान अद्भुत रूप से शांत देश है. यहां की जिंदगी की अपनी अलग रफ्तार है, जिस में शोरशराबे, रेलों, अव्यवस्थित बसावट व बेतरतीब बाजारों की कोई जगह नहीं है. भूटानी लोग हमेशा अपने परंपरागत परिधानों में नजर आते हैं. लगभग 10 लाख की आबादी वाले इस देश की आमदनी का बड़ा जरिया अब पर्यटन है.

पूरा भूटान पहाडि़यों, हरियाली, चाय बागानों, जंगलों, नदियों और झीलों से भरा पड़ा है. दुनिया के सब से छोटे देशों में शुमार भूटान तेजी से पर्यटकों की पसंद बन रहा है तो इस की वजह यहां की शांति के अलावा अब पर्यटकों से पहले सा परहेज न रहना भी है.

भूटान में दर्शनीय स्थलों की भरमार है हालांकि उन में से अधिकांश बौद्ध मठ ही हैं लेकिन कुदरती नजारों से नवाजे दर्शनीय स्थलों की भी यहां कमी नहीं जिन्हें अब तेजी से विकसित किया जा रहा है.

थिंपू वांगछू नदी के किनारे समुद्रतल से 2,400 मीटर की ऊंचाई पर बसा शहर है. थिंपू को 4 समानांतर सड़कें समेटे हुए हैं. इन्हीं सड़कों पर तमाम सरकारी इमारतें और होटल व रैस्टोरैंट हैं. बीचबीच में बागबगीचों की बसाहट है.

सिमटोक जोंग, मैमोरियल चोरटन, ताशीछोए जोंग चांग का लहाबांग, बुद्धा पौइंट और नेचर पार्क यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं. इस के अलावा द फौक हैरिटेज म्यूजियम और नैशनल टैक्सटाइल म्यूजियम में भूटान की रमणीय व शहरी दोनों संस्कृतियों की झलक देखने को मिल जाती है. क्राफ्ट बाजार में भूटानी हैंडीक्राफ्ट के सभी आइटम्स मिलते हैं. इस के अलावा राष्ट्रीय संग्रहालय और चिडि़याघर भी दर्शनीय हैं.

थिंपू से 77 किलोमीटर दूर बसे शहर पुनाखा में भी दर्शनीय स्थलों की भरमार है. पुनाखा के बाद पारो शहर जरूर जाना चाहिए, यहां भी दार्शनिक स्थल पर्यटकों को लुभाते हैं.

3-4 दिनों में पूरा भूटान घूमा जा सकता है. न्यू कपल्स के लिए भूटान बेहतरीन जगह है जहां रह कर हनीमून मनाना मानो प्रकृति और संस्कृति को साक्षी बनाना है.

कब जाएं : भूटान वर्षभर जाया जा सकता है.

कैसे जाएं : भूटान सड़कमार्ग व वायुमार्ग से भी जाया जा सकता है. अब कई नामी टूर ऐंड ट्रैवल्स एजेंसियां भूटान के लिए आकर्षक पैकेज देने लगी हैं.

ध्यान रखें : भारतीयों को भूटान जाने के लिए पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं होती है, लेकिन भूटान में दाखिले के लिए एक परमिट बनवाना पड़ता है जिस के लिए उन्हें 2 फोटो व पहचानपत्र, पासपोर्ट या राज्य वोटर आईडी पास रखना चाहिए. पूरे भूटान में भारतीय मुद्रा स्वीकार्य है.

कहां ठहरें : भूटान में ठहरने के लिए हर बजट के होटल उपलब्ध हैं. तीन और पांचसितारा होटल का किराया  3 से ले कर 5 हजार रुपया प्रतिदिन पड़ता है. अच्छे लक्जरी होटल 2 हजार रुपए प्रतिदिन की दर पर भी मिल जाते हैं.

क्या खरीदें : भूटान के कारीगरों द्वारा बनाए गए स्मृतिचिह्न पर्यटक बड़े शौक से खरीदते हैं. इस के अलावा हैंडीक्राफ्ट के आइटम्स भी स्थानीय बाजारों में मिल जाते हैं. भूटान की लेमन ग्रास टी सभी खरीदते हैं.

VIDEO : करीना कपूर मेकअप लुक फ्रॉम की एंड का मूवी

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