मलय भाषा में कुआलालंपुर का अर्थ है कीचड़भरी नदियों का संगम (कुआला=संगम, लंपुर=कीचड़), क्योंकि यह नगर क्लांग तथा गंबक नामक 2 कीचड़भरी नदियों के संगम पर बसा है. बधाई हो मलयेशिया निवासियों को, जिन्होंने उस कीचड़ में भी कुआलालंपुर रूपी कमल उगा दिया है. नगर के बाहरी भागों में ही नहीं, बल्कि पूरे मलयेशिया में ताड़ के पेड़ों व अन्य हरेभरे वृक्षों की शान देखते ही बनती है. कुआलालंपुर का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा नगर के मध्य भाग से लगभग 50 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है. उत्तम तथा चौड़े राजपथों (ऐक्सप्रैस-वेज) के फलस्वरूप तूफानी गति से दौड़ती टैक्सियां यह विशाल दूरी केवल 30-35 मिनटों में ही पूरी कर लेती हैं. रास्ते के दोनों तरफ लगे ताड़ के घने जंगल मन मोह लेते हैं. इस तरह कुआलालंपुर को वास्तव में कीचड़ भरी नदियों का संगम न कह कर खूबसूरती और हरियाली का संगम कहना उचित होगा. उल्लेखनीय है कि मलयेशिया तथा कुआलालंपुर की सारी समृद्धि व प्रगति पिछले 40-50 वर्ष में ही हुई है.
मलयेशिया की राजधानी कुआलालंपुर अपने संक्षिप्त नाम ‘केएल’ के नाम से प्रचलित है जिसे सभी स्थानीय निवासी तथा विदेशी पर्यटक जानते हैं. दक्षिणपूर्व एशिया का व्यस्त नगर होने के साथसाथ ‘केएल’ एक खूबसूरत नगर भी है तथा इस की सुंदरता नएनए शौपिंग मौल्स, गगनचुंबी भवनों, फ्लाईओवरों तथा राजपथों आदि के बन जाने के कारण बढ़ती ही जा रही है. कुआलालंपुर का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अति आधुनिक तथा विशाल है जहां लगभग 40 अंतर्राष्ट्रीय तथा स्थानीय हवाई कंपनियों की सेवाएं संचालित होती हैं. हमारे देश के दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, बेंगलुरु से कुआलालंपुर के लिए उड़ान सेवाएं उपलब्ध हैं. इस हवाई अड्डे के अंदर अनेक दुकानें हैं जिन का उपयोग वे पर्यटक भी कर सकते हैं जो कुआलालंपुर में रुकते नहीं हैं, केवल गुजरते हैं अर्थात ट्रांजिट करते हैं. कुआलालंपुर पहुंचने के बाद भारतीय समय के अनुसार घड़ी को ढाई घंटे आगे करना पड़ता है.
तीन संस्कृतियों का देश
वास्तव में मलयेशिया 3 प्रमुख संस्कृतियों, मलय (57 प्रतिशत), चीनी (33 प्रतिशत) तथा भारतीय (10 प्रतिशत) का संगम है. कुआलालंपुर में अनेक भारतीय मूल के निवासी नजर आ जाएंगे. इन में से अधिकतर लोग ऐसे हैं जिन के पूर्वज अंगरेजों के जमाने में रबर बागानों में काम करने के प्रयोजन से लाए गए थे तथा पिछली कई पीढि़यों से यहां पर बसे हुए हैं. इन में तमिलभाषियों की बहुलता है. इसी कारण मलयेशिया में अनेक स्थानों पर तमिल भाषा बोली व समझी जाती है. यहां पर तमिल भाषा के अनेक समाचारपत्र भी प्रकाशित होते हैं तथा तमिल भाषा को देश की एक सरकारी भाषा का भी दरजा प्रदान किया गया है. मलयेशिया में सिख संप्रदाय के भी कई लोग हैं, जिन में से अधिकतर पुलिस या दूसरे रक्षा संगठनों में नियुक्त हैं. उन के पगड़ी बांधने की शैली भारतीय सिखों की शैली से थोड़ी अलग सी है, इसलिए वे भारतीय सिखों से कुछ भिन्न दिखते हैं.
मलयेशिया एक मुसलिम राष्ट्र है, किंतु यहां पर हिंदू, बौद्ध, ताओ (चीनी) तथा ईसाई धर्मों को भी पर्याप्त सम्मान दिया जाता है. दीवाली तथा क्रिसमस यहां के प्रमुख त्योहार हैं जिन पर यहां सार्वजनिक अवकाश रहता है.
दर्शनीय स्थल
कुआलालंपुर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में सर्वप्रथम गगनचुंबी जुड़वां इमारत पेट्रोनास टावर्स तथा मेनारा कुआलालंपुर का नाम आता है. पेट्रोनास टावर्स 88 मंजिली तथा 452 मीटर ऊंची जुड़वां इमारतें हैं. वर्ष 1999 में निर्मित ये टावर्स कुआलालंपुर के अति आधुनिक व्यावसायिक क्षेत्र केएल सिटी सैंटर में स्थित हैं. विचित्र बात तो यह है कि यद्यपि पेट्रोनास टावर्स की जुड़वां इमारतें बिलकुल एकजैसी दिखती हैं परंतु उन का निर्माण भिन्नभिन्न कंपनियों द्वारा किया गया है. 170 मीटर की ऊंचाई पर इन इमारतों को एक हवाई पुल द्वारा जोड़ा गया है. कुआलालंपुर की दूसरी भव्य इमारत 421 मीटर ऊंची ‘मेनारा कुआलालंपुर’ है जिस का निर्माण 1995 में हुआ था. इस मीनार का निर्माण वस्तुत: दूरसंचार के प्रयोजन से किया गया था किंतु इसे पर्यटकों के लिए भी खोल दिया गया है. मेनारा में 276 मीटर की ऊंचाई पर दर्शकों के लिए खानपान की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जहां से वे नगर के विहंगम दृश्यों का आनंद ले सकते हैं. ‘मेनारा कुआलालंपुर’ में पर्यटकों का मेला सा लगा रहता है.
कुआलालंपुर का एक अन्य आकर्षण नगर के उत्तर में स्थित ‘बातू गुफाएं’ हैं. प्राकृतिक रूप से चूनापत्थरों से निर्मित ये गुफाएं वास्तव में हिंदुओं के पूजा स्थल हैं, जिन में मूर्तियों का निर्माण 1878 में किया गया था. गुफाओं तक पहुंचने के लिए 272 सीढि़यों की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. जहां पर सुब्रमण्यम की प्रतिमा स्थापित है. कुआलालंपुर का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल ‘लेक गार्डन’ है जिस के अंतर्गत पक्षी पार्क, तितली पार्क, औरकिड पार्क तथा हिबिस्कस पार्क (गुड़हल पार्क) आते हैं. यहां पर यह बताया जा सकता है कि हिबिस्कस अर्थात गुड़हल मलयेशिया का राष्ट्रीय फूल है, इस के विकास व सुधार पर यहां बहुत ध्यान दिया जाता है. नैशनल लाइब्रेरी यहां का प्रसिद्ध पुस्तकालय है जिस की नीली रंग वाली छत वास्तुकला का एक उत्तम नमूना है. इस के अलावा कुआलालंपुर में सुंदर तथा पुरानी वास्तुकला से युक्त अनेक भवन बने हैं जैसे यहां का पुराना रेलवे स्टेशन, सुलतान अब्दुल समद भवन इत्यादि. अन्य पर्यटन आकर्षणों में नैशनल मसजिद, पुत्रा मसजिद, नैशनल म्यूजियम आदि भी देखने योग्य हैं. कुआलालंपुर को प्राचीनता तथा आधुनिकता का संगम माना जाता है.
कुआलालंपुर में ठंडक अधिक नहीं होती है, इसलिए हलके सूती वस्त्रों से काम चल जाता है. किंतु यहां बारिश बहुत होती है. हां, यदि कुआलालंपुर से आगे किसी पर्वतीय स्थान जैसे जैंटिंग हाईलैंड्स जाना हो तो वहां पर हलके गरम वस्त्रों की आवश्यकता पड़ सकती है.
खानपान
खानपान की दृष्टि से कुआलालंपुर में मलय तथा चीनी व्यंजनों की बहुलता है. इस के अलावा वहां अनेक भारतीय व्यंजन (अधिकतर मांसाहारी) भी उपलब्ध हैं. उदाहरण के लिए चिकन पुलाव, नान, परांठे, तंदूरी चिकन, कोरमा, मछली आदि के नाम गिनाए जा सकते हैं. दक्षिण भारतीय शाकाहारी व्यंजनों में इडली, दोसा, बड़ा, सांभर, चावल आदि भी खूब मिलते हैं. सत्य यहां का प्रसिद्ध लोकप्रिय मलय व्यंजन है, जो काफी कुछ भारतीय कबाब जैसा होता है. कुआलालंपुर एक मध्यवर्गीय होटल 100 से 200 रिंगित (1 मलयेशियाई रिंगित यानी 18 भारतीय रुपए) तथा उच्च वर्गीय होटल 250 से 350 रिंगित या अधिक में उपलब्ध हैं. छोटे होटलों का खाना 20-35 रिंगित (लगभग 350 से 700 भारतीय रुपए) तथा बड़े होटलों का भोजन 40-55 रिंगित (लगभग 800 से 1200 भारतीय रुपए) में मिल जाता है.
जैंटिंग हाईलैंड्स
कुआलालंपुर जाने के बाद यदि जैंटिंग हाईलैंड्स न देखा जाए तो कुआलालंपुर की यात्रा अधूरी मानी जाएगी. यह स्थान कुआलालंपुर से वहां के तीव्र वाहनों द्वारा लगभग 1 घंटे में पहुंचा जा सकता है. सागर तल से 2 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित जैंटिंग हाईलैंड्स एक पर्वतीय स्थल है. जहां का तापमान 15 से 30 डिगरी सैल्सियस तक रहता है. यहां पर ठंडी हवा तथा खूबसूरत फिजाएं पर्यटकों का मन मोह लेती हैं. यह एक सुप्रसिद्ध मनोरंजन का केंद्र है जिसे दक्षिणपूर्व एशिया का ‘लास वेगास’ भी कहा जाता है. जैंटिंग हाईलैंड्स में अनेक विशाल तथा भव्य होटल, थीम पार्क, शौपिंग मौल्स तथा कई कैसिनो (जुआघर) स्थित हैं. इस स्थान पर पहुंचने के बाद पर्यटक अपनी सारी चिंताओं व थकावट से मुक्ति पा लेता है.
मौसम
यहां साल भर एक जैसा मौसम रहता है. इसलिए आप यहां कभी भी जा सकते हैं. वैसे जब भारत में कड़ाके की ठंड या फिर बहुत अधिक गरमी पड़ रही हो तो मलयेशिया का रुख कर सकते हैं. यहां का तापमान 21 डिगरी से 32 डिगरी तक रहता है.
खरीदारी का अड्डा
कुआलालंपुर खरीदारी के लिए भी मशहूर है. यहां इतने अधिक शौपिंग मौल्स तथा फुटकर दुकानें उपलब्ध हैं कि पर्यटक खरीदारी करतेकरते थक जाएगा किंतु दुकानें खत्म होने का नाम नहीं लेती हैं. शौपिंग के लिए मशहूर क्षेत्रों में तुंकू अब्दुल रहमान स्ट्रीट, जालान बुकित बिंतांग, जालान सुलतान इसमाइल, जालान इम्बी अग्रणी हैं. भारतीय पर्यटकों के लिए एक आकर्षक स्थान मसजिद इंडिया है जहां उचित मूल्यों पर अनेक प्रकार के लुभावने सामान जैसे रेडीमेड कपड़े, खिलौने, सूटकेस, इलैक्ट्रौनिक चीजें इत्यादि मिल जाती हैं. इस के अलावा यहां का चाइना टाउन भी खरीदारी के दीवानों का खास स्थान है. चाइना टाउन के पेटलिंग स्ट्रीट के स्टाल तो सामान से भरे पड़े रहते हैं, जहां हीरेजवाहरात से ले कर चीनी सुगंधियों तक सबकुछ मिल जाता है. यहां पर रात के समय तो दुकानदारी और भी रंग पकड़ लेती है जब ग्राहक फुरसत के वक्त पहुंच कर खरीदारी का आनंद लेते हैं.
कुआलालंपुर में खरीदारी के लिए लोकप्रिय स्थल वहां के रात्रि बाजार (पसार मलम) हैं जो शाम के समय खुले मैदान में लगते हैं तथा देर रात तक चलते हैं. वहां पर भांतिभांति की उपयोग की वस्तुएं सस्ती तो मिलती ही हैं साथ ही मोलभाव भी खूब होता है. कुआलालंपुर का सैंट्रल मार्केट हस्तशिल्प तथा हस्तकला के लिए जाना जाता है. वह कुछकुछ दिल्ली के ‘दिल्ली हाट’ जैसा लगता है.
जरूरी बातें
वैसे तो कहीं भी जाने के लिए उस देश के तौरतरीकों का ध्यान रखना ही चाहिए. मलयेशिया एक मुसलिम देश है. इसलिए अगर किसी महिला से हाथ मिलाना हो तो आप पहल न करें, उन्हें पहल करने दें. अगर आप पहल करेंगे तो यह ठीक नहीं समझा जाता है. इस के अलावा किसी के घर जा रहे हैं तो जूते या चप्पल उतार कर जाएं. कोई ऐसी बात न करें जिस से बात बिगड़े.
कैसे पहुंचें
कुआलालंपुर के लिए दिल्ली, चेन्नई आदि शहरों से कई एअरलाइंस उड़ानें भरती हैं. अगर आप का प्लान पड़ोसी देशों थाईलैंड, इंडोनेशिया या फिर सिंगापुर होते हुए मलयेशिया जाने का है तो वहां से रेल या सड़क मार्ग से मलयेशिया जाया जा सकता है.
कहां ठहरें
कुआलालंपुर में घूमनेफिरने के बेहतरीन अड्डों के साथ रहने के होटल भी हर बजट में उपलब्ध हैं. अगर शुरुआती बजट से शुरू करें तो केएलसीसी का सिटी पार्क होटल 40 से 50 रिंगित में उपलब्ध है. स्टैंडर्ड बजट में चाइनाटाउन का होटल चाइनटाउन 2 पर्यटकों को खासा भाता है. यहां का किराया 60 रिंगित प्रतिदिन के हिसाब से लगता है. अगर सुपीरियर श्रेणी के होटल्स में ठहरना हो तो ग्रांड पैसिफिक होटल (चाउ फिट स्थित), द फाइव ऐनीमेंट होटल (के एल सेंटल) और शाह आलम स्थित अलामी गार्डन होटल बेहतर विकल्प हैं. यहां का किराया औसतन 700 से 100 रिंगित के बीच रहता है. वहीं फर्स्ट क्लास श्रेणी व डीलक्स श्रेणी में डी बुटीक, विवाटेल, 5 नोमाड सुकापा और सेरी पैसिफिक हैं जिन के लिए प्रतिदिन के हिसाब से 150 से 500 रिंगित तक खर्च करना पड़ता है.