चेरापूंजी भारत के उत्तरपूर्वी राज्य मेघालय का एक छोटा शहर है जो शिलौंग से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह स्थान दुनियाभर में सब से ज्यादा बारिश के लिए जाना जाता है. यहां के स्थानीय लोग इसे ‘सोहरा’ नाम से जानते हैं. यह बंगलादेश की सीमा के काफी करीब है, इसलिए यहां से बंगलादेश का नजारा भी देखा जा सकता है. वर्षाऋतु के बाद यहां दूरदूर से पर्यटक घूमने आते हैं. आप सोच रहे होंगे कि बारिश के अलावा यहां ऐसा क्या खास है कि पर्यटक यहां घूमने आते हैं. दरअसल, चेरापूंजी में बारिश के अलावा यहां की प्राकृतिक खूबसूरती झरने और गुफाएं पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.
शिलौंग से चेरापूंजी की ओर जाते समय रास्ते में हलकी चढ़ाई, दोनों ओर पहाड़, 2 पहाड़ों के बीच की घाटियां, अनन्नास के पेड़, सुंदर पत्तियों वाले पेड़ और किस्मकिस्म की वनस्पतियां पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं. चेरापूंजी से थोड़ा आगे बढ़ते ही 6 किलोमीटर की दूरी पर है मास्मई गुफा. यहां पर्यटक बिना किसी तैयारी व गाइड के भी आसानी से घूम सकते हैं. 150 मीटर लंबी इस गुफा को बाहर से देखने पर थोड़ी घबराहट जरूर होती है लेकिन जब आप इस के अंदर जाते हैं तब आप प्रकृति की वास्तविक खूबसूरती से रूबरू होते हैं. गुफा का अंदरूनी हिस्सा कई प्रकार के जीवजंतुओं और पौधों की प्रजातियों का घर है. गुफा के अंदर कई मोड़ और घुमावदार रास्ते हैं जो काफी रोमांचक अनुभव प्रदान करते हैं. गुफा के अंदर जब आप जाते हैं तो आप को बिलकुल भी गंदगी नहीं दिखेगी. गुफा के अंदर लाइट की उचित व्यवस्था है लेकिन फिर भी आप अपने साथ टौर्च अवश्य ले कर जाएं ताकि गुफा की अंदरूनी खूबसूरती को अच्छी तरह से देख सकें.
पानी के टपकते रहने की वजह से रास्ता थोड़ा फिसलन भरा है, इसलिए अंदर संभल कर चलें. इस के अंदर 4-5 रास्ते ऐसे भी हैं जो ऊंचाई पर हैं, जहां आप को चढ़ कर ही जाना होगा. यहां लंबे लोगों के साथ थोड़ी कठिनाई हो सकती है, उन्हें गुफा के अंदर कुछ जगहों पर झुक कर जाना पड़ सकता है. गुफा में अंदर घुसने से पहले आप को टिकट काउंटर से टिकट लेना पड़ेगा. यहां 10 साल तक के बच्चों के लिए प्रवेश निशुल्क है जबकि 10 से ऊपर के लोगों के लिए 20 रुपए का टिकट लेना अनिवार्य है. अगर आप कैमरा साथ ले कर अंदर जाना चाहते हैं तो आप को 25 रुपए का टिकट अलग से लेना पड़ेगा. यह गुफा सुबह 9 बजे खुल जाती है. यहां उन लोगों को ले कर जाने से बचें जिन के पैरों में, घुटने व पीठ में दर्द की शिकायत हो, क्योंकि उन्हें चढ़नेउतरने में दिक्कत होगी. यहां जब जाएं तो आरामदायक कपड़े पहनें जैसे ट्रैकपैंट या लोअर वगैरा और कभी भी यहां चप्पल या हाईहील पहन कर न जाएं, स्पौर्ट्स शूज पहनना ही आरामदायक रहेगा.
गुफा के बाहर कई छोटेछोटे होटल व चायकौफी की दुकानें हैं, जहां आप को खानेपीने की कई चीजें मिल जाएंगी. अगर आप के पास समय है तो चेरापूंजी से केवल 15 मिनट की दूरी पर है नोहकालिकाई झरना. उसे भी जरूर देखें. यह भारत का सब से ऊंचा झरना माना जाता है. यह 1,100 फुट से नीचे गिरता है. अगर आप को फोटोग्राफी का शौक है तो यह जगह आप के लिए ही है. जैसेजैसे आप इस झरने के करीब पहुंचते हैं, ऊंचाई से गिरते पानी की आवाज आप के कानों में गूंजने लगती है और पानी को गिरता देख उस में डुबकी लगाने का दिल करने लगता है. झरने के ठीक सामने व्यू पौइंट से झरने की खूबसूरती देखते ही बनती है. अगर आप झरने को और करीब से देखना चाहते हैं तो पत्थरों व पहाड़ों की सहायता से चढ़ कर आसपास के कई छोटे झरनों को पास से देख सकते हैं, भीगने का आनंद ले सकते हैं, पत्थरों पर चढ़ कर फोटो भी खिंचवा सकते हैं. लेकिन ध्यान रहे, यहां थोड़ी फिसलन होती है, इसलिए सैल्फी लेने की चाहत में अपनी सुरक्षा को अनदेखा न करें. बारिश के मौसम में यहां जाना थोड़ा जोखिमभरा होता है क्योंकि बारिश की वजह से बादलों के कारण झरना साफसाफ दिखाई नहीं देता. अगर आप दिसंबर से फरवरी के बीच में जाते हैं तो हो सकता है आप को झरने में पानी न दिखे, इसलिए यहां हमेशा बारिश के बाद सितंबर से नवंबर के महीने में जाएं.
इस समय इस की खूबसूरती देखते ही बनती है. कोहरे से निकलते बादलों की नम हवा ऐसा महसूस कराती है मानो आप आसमान में हैं. झरने से गिरता पानी और आसपास का दृश्य पूरी तरह से आप को रिलैक्स करने वाला होता है. यहां पहुंचना काफी आसान है. शिलौंग तथा चेरापूंजी के बीच सड़क परिवहन काफी अच्छा है. व्यक्तिगत वाहनों के साथसाथ सरकारी यातायात के साधन भी हमेशा उपलब्ध रहते हैं. यहां झरने के पास ही बांस से बने खिलौने बिकते हैं जो काफी अलग होते हैं. पर्यटक इसे खरीदे बिना आगे नहीं बढ़ते. यहां एक बाजार भी है जहां स्थानीय स्मृति चिह्नित वाली चीजें मिलती हैं. यहां घूमने जाएं तो दालचीनी जरूर खरीदें. आप ने हमेशा छोटेछोटे टुकड़ोंमें दालचीनी देखी होगी लेकिन यहां दालचीनी छड़ी के रूप में मिलती है.