सपनों के शहर मुंबई यानी मायानगरी के बारे में यह कहावत प्रचलित है कि बड़े से ले कर छोटे कामकाज करने वाले सभी लोग यहां अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए दूरदूर से आते हैं और नाकामयाबी के बाद भी वे यह शहर छोड़ नहीं पाते. इस की माया में वे ऐसे बंध जाते हैं कि सफलता की उम्मीद लगाए सालोंसाल काट लेते हैं. भौगोलिक दृष्टिकोण से महाराष्ट्र का मुंबई लावा द्वारा निर्मित 7 छोटेछोटे द्वीपों को जोड़ कर बनाया गया शहर है. एक ओर समुद्री किनारा तो दूसरी ओर सहयाद्रि की पर्वत शृंखला इस की शोभा को बढ़ाते हैं. प्राकृतिक रूप से कटेफटे समुद्री किनारे होने की वजह से यह स्थान बंदरगाह के लिए बहुत उपयुक्त है.
यह देश की आर्थिकनगरी होने के साथसाथ फिल्म उद्योग का प्रमुख केंद्र है. यह देश और विदेश के हर शहर से किसी न किसी रूप में जुड़ा हुआ है. अरब सागर से सटे होने की वजह से यहां की जलवायु माइल्ड है, न तो अधिक गरमी, न ही अधिक सर्दी. यही वजह है कि सैलानी यहां किसी भी मौसम में आ सकते हैं. शहर में घूमने के लिए टूरिस्ट बसें, आटो और लोकल ट्रेन काफी लाभदायक हैं. परिवहन यहां अधिक महंगा नहीं. यहां आने पर खास जगहों को देखना न भूलें. मुंबई घूमने दुनियाभर से पर्यटक आते हैं और इस औद्योगिक नगरी में जम कर मौजमस्ती करते हैं. प्रमुख तौर पर यहां गेटवे औफ इंडिया सब से पौपुलर जगह है जहां सैलानी सब से पहले आना पसंद करते हैं. 1911 में किंग जौर्ज के भारत में स्वागत के लिए इस का निर्माण कराया गया था. कोलाबा में अपोलो बंदरगाह के सिरे पर मुंबई बंदरगाह के किनारे यह विजयद्वार पीले बैसाल्ट पत्थरों से निर्मित है. इसे देख कर आप को दिल्ली के इंडिया गेट की याद बरबस आ जाएगी. यहां से एलिफैंटा द्वीप के लिए मोटर बोट चलती हैं. गेटवे औफ इंडिया के अलावा फ्लोरा फाउंटेन भी एक बार विचरण करने लायक जगह है. इस का निर्माण 1869 में सर बार्टले फरेरे के सम्मान में किया गया. यह फाउंटेन उस क्षेत्र में है, जहां महाराष्ट्र राज्य के लिए शहीद होने वालों की याद में स्मारक बनाया गया है.