केंद्र सरकार ने किसी भी नागरिक के कंप्यूटर और इलेक्ट्रोनिक गजैट्स की जासूसी करने का आदेश जारी कर दिया है. इस से आप की प्राइवेसी पर खतरा हो गया है. 20 दिसंबर को गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर देश की 10 प्रमुख सुरक्षा एजेंसियों को देश में मौजूद किसी भी कंप्यूटर की निगरानी का अधिकार दे दिया है.

सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 की धारा 69 सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को किसी कंप्यूटर सिस्टम द्वारा निर्मित, नियोजित, प्राप्त या भंडारित किसी भी प्रकार की सूचना के इंटरसेप्शन, मौनिटरिंग और डिक्रिप्शन के लिए प्राधिकृत करता है.

सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 69 किसी भी कंप्यूटर के जरिए किसी सूचना पर नजर रखने या उन्हें देखने के लिए निर्देश जारी करने की शक्तियों से जुड़ी है. सूचना प्रौद्योगिकी नियमावली 2009 के नियम 4 में यह प्रावधान है कि सक्षम अधिकारी किसी सरकारी एजेंसी को किसी कंप्यूटर संसाधन में सृजित, पारेषित, प्राप्त अथवा संरक्षित सूचना को अधिनियम की धारा 69 की उपधारा [1] में उल्लेखित उद्देश्यों के लिए खंगालने, निगरानी करने अथवा जांच करने के लिए अधिकृत कर सकता है.

इस से पहले भी इस तरह के आदेश पारित हो चुके हैं. करीब 100 साल से पहले बने भारतीय टेलीग्राफ कानून के प्रावधानों के तहत फोन काल्स की टेपिंग और उन के विश्लेषण के लिए खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को अधिकृत करने या मंजूरी देने का अधिकार  पहले से ही प्राप्त है.

यह कानून पिछली सरकारों के समय से चलता रहा है. जब कभी भी राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल आया, सरकार इस कानून के तहत कुछ एजेंसियों को निगरानी का अधिकार सौंपती रही है. कहने को सरकार ने यह आदेश राष्ट्रीय सुरक्षा के मकसद से किया है लेकिन इस से एक महत्वपूर्ण सवाल आम लोगों की निजता के अधिकार से जुड़ा है.

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