रूस ने गूगल को खुलेआम चेताया है कि अगर उसने कुछ वेबसाइट्स को ब्लौक नहीं किया तो वह अपने देश से गूगल को हमेशा के लिए ही बैन कर देगा. रूस ने एक कानून के तहत कुछ वेबसाइट्स को सर्च से प्रतिबंधित विषयवस्तु हटाने की योजना बनाई थी. इनमें से कुछ में जातीय घृणा का प्रचार करता कंटेंट है तो कुछ वेबसाइट्स रूस को शुद्ध राजनीतिक कारणों पसंद नहीं हैं. मसलन यूक्रेन की न्यूज वेबसाइट. अब जब ये वेबसाइट अब भी गूगल पर सर्च हो रही हैं तो रूस को वार्निंग देनी पड़ी. इससे पहले रूस ने सुरक्षा के नाम पर LinkedIn और Telegram जैसे ऐप्स को बंद कर दिया है. लेकिन गूगल को रूसी कानूनों के अनुरूप रहने के लिए कुछ रियायतें दी गई हैं. चीन में भी गूगल बैन तो नहीं लेकिन वहां के लोकल सर्च इंजन से रिप्लेस्ड है.

कितनी कारगर है बैन-बाजी

लेकिन सवाल यह है कि क्या बैन लगा देने से बात बन जाती है? बिलकुल नहीं. दरअसल तकनीकी दुनिया में हर कोड को डीकोड करने का प्रोग्राम पहले ही बना लिया जाता है. आप किसी खास वेब लिंक या साइट को ब्लौक करते हैं तो उन्हें क्रैक करने के लिए turbo vpn जैसे तोड़ आ जाते हैं जो हर ब्लौक साइट को पल भर में अन्ब्लौक कर देते हैं.

अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब जिओ ने 800 से ज्यादा पोर्न वेबसाइट्स ब्लौक कर दी थीं. इस पर कई यूजर्स जिओ के खिलाफ शिकायती तंज मारते दिखे. सोशल मीडिया पर मीम्स भी बने लेकिन बैन नहीं हटा. मालूम हो कि यह बैन तब लगा था जब डिपार्टमेंट औफ टेलीकौम ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद सभी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को ये निर्देश दिया है कि वे पोर्नोग्राफिक कंटेंट वाले 827 वेबसाइट्स को ब्लौक कर दें. 28 सितंबर को आए इस आदेश के बाद ऐसा नहीं कि इंटरनेट या जिओ जैसे इंटरनेट प्रोवाइडर के सर्च इंजन से पोर्न गायब हो गया जबकि अभी भी लाखों पोर्न साइट जिओ से ही सर्फ़ की जा रही हैं.

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