पिछली साल इसी माह में दिल्ली के प्रीत विहार मेट्रो स्टेशन के पास मेरी जैकेट से सैमसंग नोट 2 फोन को पौकेटमार गैंग ने उड़ा लिया. खैर, जो हुआ सो हुआ, लेकिन फोन चोरी होने के बाद 2 काम ऐसे हैं जो चाहें या न चाहें आपको करने ही पड़ते हैं. पहला है फोन चोरी होने की रिपोर्ट उस क्षेत्र के थाने में दर्ज कराना, जिस इलाके से वह उड़ाया गया है. और दूसरा है सिम बंद कराने के लिए टेलिकौम कम्पनियों के सेंटर्स पर टोकन लेकर लाइन लगाना. (यकीन मानिए ये दोनों की काम मोस्ट फ्रस्ट्रेटिंग होते हैं). ये दोनों काम करने के बाद ख्याल आता है कि अब वो फोन मिलेगा या नहीं. और उसमें सेव्ड डाटा कहीं गलत हाथ में न पड़ जाए. यहां पर दिमाग गैजेट गुरु बनने लगता है और फिर ध्यान जाता है उन एप्लीकेशंस पर जो अपने एडवर्टाइजिंग कैम्पेन्स में चिल्ला चिल्ला कर दावा करती हैं कि हम आपके चोरी और लापता हो चुके स्मार्टफोन को स्मार्टली ढूंढ लाएंगे. इसके लिए वे find my device, location tracker जैसे बड़े बड़े टेक्नीकल टर्म यूज करते हैं. वैसे ये हैं कितने कारगर, चलिए, पता करते हैं.

कहां है मेरा फोन ?

यह सोच कर कि इन एप्स के जरिये मुझे भी फोन और चोरों की लोकेशन पता चल जाएगी, मैंने भी Google Find My Device ऐप में अपना लौग इन कर लिया. आप अपनी मेल आईडी से उसे कंट्रोल कर सकते हैं. बता दूं कि Google Find My Device ऐप को पिछले साल मई में लौन्च किया गया था. सो मैंने डेस्कटाप में इस फीचर का लाभ उठाने के उद्देश्य से लौग इन किया. Google Find My Device में जाकर फोन ट्रैक करने के ऑप्शन पर पहुंचकर फोन जहां से चोरी हुआ, वहां की लास्ट लोकेशन देखा तो रेड डाट वही जगह दिखा रहा था जहां से यह चोरी हुआ था. थोड़ी सी आस बंधी. लगा कि अब जैसे जैसे फोन एक जगह से दूसरी जगह जाएगा, मुझे उसकी एग्जैक्ट लोकेशन का पता चल जाएगा.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...