तकनीक के युग में भारत भी आगे बढ़ रहा है स्पीड भले ही धीमी हो. देश में बुलेट ट्रेन चलाने के लिए जापान की मदद ली जा रही है लेकिन बुलेट ट्रेन जैसी टी-18  रेलगाड़ी बनाने में भारत ने सफलता हासिल कर ली है. यह सेमी हाई स्पीड ट्रेन है जो पूरी तरह देश में ही बनाई गई है. इस के साथ ही भारतीय रेल एक नए चरण में प्रवेश कर गई है.

टी-18 यानी ट्रेन-18 देश की पहली ऐसी ट्रेन है जिस में अलग से इंजन नहीं लगा है. इस के कई कोच ऐसे हैं जो सेल्फ़पौवर्ड हैं. शताब्दी ट्रेन को रिप्लेस करने वाली इस ट्रेन-18 का ट्रायल जारी है. यूरोपियन ट्रेनों को टक्कर देने वाली इस ट्रेन में ऐसी खासियतें हैं कि ट्रेन शताब्दी का सफर पूरी तरह बदल कर रख देगी. मौजूदा शताब्दी ट्रेनों की तुलना में यह ट्रेन सफ़र के लिए 15 फीसदी तक कम समय लेगी.

ऐरोडायनामिक स्टाइल में बनी इस ट्रेन का अगला हिस्सा कुछ कुछ बुलेट ट्रेन जैसा लगता है. इस में कोई भारी भरकम इंजन नहीं है बल्कि ड्राइवर कैब है. ड्राइवर कैब से जुड़े डब्बे को मिला कर इस में कुल 16 कोच हैं. इस के डब्बों में औटोमैटिक स्लाइडिंग डोर लगे हैं जो ट्रेन की स्पीड जीरो होने पर खुदबखुद खुल जाएंगे मेट्रो ट्रेन की तरह. सेमी हाई स्पीड यह ट्रेन 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी. यह ट्रेन वाईफाई से लैस होगी.

देश के एक दक्षिणी राज्य तमिलनाडु की राजधानी चन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में 100 करोड़ रुपए की लागत से तैयार भारत में विकसित यह पहली इंजनरहित ट्रेन है. मेट्रो की तरह इस ट्रेन के दोनों तरफ ड्राईवर केबिन हैं. इस से ट्रेन को दिशा बदलने के झंझट से मुक्ति मिलेगी. यह तकनीक ट्रेन को मोड़ने और वापस लौटाने में लगने वाले समय की भी बचत करेगी.

यह भारतीय रेलवे की पहली विश्वस्तरीय ट्रेन है. इसे बनाने में जो लागत आई है वह ट्रेन आयात करने में आने वाली कीमत से आधी है. 2019-20 तक ऐसी 5 ट्रेनों का निर्माण कर लिया जाएगा. एक ट्रेन में 16 कोच होंगे, जिन में 12 कोच एसी सामान्य चेयरकार होंगे और 2 कोच एग्जीक्यूटिव क्लास के होंगे.

सामान्य चेयरकार में 78 सीटें होंगी, जबकि एग्जीक्यूटिव क्लास में 52 सीटें होंगी. देश में पहली बार इस तरह की ट्रेन का निर्माण किया गया है. इस के बनाने में तकरीबन 18 महीने का समय लगा.

ट्रेन को इस तरह तैयार किया गया है कि यात्रीगण ड्राईवर के केबिन के अन्दर देख सकते हैं. ट्रेन में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. इस ट्रेन सेट में कई फीचर जोड़े गए हैं, जिन में वाईफाई, एलईडी लाइट, पैसेंजर इन्फौर्मेशन सिस्टम आदि भी शामिल हैं.

इस ट्रेन के निर्माण को भारतीय रेल की अब तक की सब से बड़ी कामयाबी कहा जा रहा है.  इस तरह की ट्रेन अब तक दूसरे देशों से मंगवानी पड़ रही थी.  इस ट्रेन को टी-18 नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इसे 2018 में तैयार किया गया है.

ये हैं खूबियां

–      अधिकतम स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटे.

–      आटोमेटिक डोर और स्लाइडिंग फुटस्टेप.

–      मेट्रो की तरह दरवाजे अपनेआप खुलेंगे और बंद होंगे. इस के साथ ही प्लेटफार्म पर आने के बाद फुटस्टेप भी बाहर आ जाएगा ताकि प्लेटफार्म और ट्रेन के बीच गैप न रहे.

–      सभी कोच इंटरकनेक्टेड हैं.

–      झटके को कम करने के लिए सेमी परमानेंट कप्लर डिजाईन किए गए हैं.

–      यह ट्रेन मेक इन इंडिया के तहत चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्टरी में बनाई गई है.

–      ट्रेन में औनबोर्ड वाईफाई, इंफोटेनमेंट, जीपीएस पैसेंजर इनफार्मेशन, एलईडी लाइटिंग, टच बेस्ड रीडिंग लाइट, व्हीलचेयर, सेंसर टेप की सुविधा होगी.

पूरी तरह चेयर क्लास वाली इस ट्रेन में मनोरंजन के लिए इंफोटेनमेंट डिवाईस भी लगी होंगी.  ड्राइवर चेयर समेत इस में 1,128 सिटिंग कैपेसिटी होगी. साथ ही, इसके टौयलेट हवाई जहाज़ की तरह बायो वैक्यूम होंगे. कुल मिलाकर इस ट्रेन को विकसित देशों में चलने वाली ट्रेन के स्तर का बनाया गया है.

गौरतलब है कि सरकार ने सब से पहले 2014 के रेल बजट में देश के 9 रूटों पर सेमी हाई स्पीड ट्रेनें चलाने का एलान किया था. इन में दिल्ली-आगरा, दिल्ली-चंडीगढ़, दिल्ली-कानपुर, नागपुर-लासपुर, मैसूर-बेंगलुरु-चेन्नई, मुंबई-गोवा, मुंबई-अहमदाबाद, चेन्नई-हैदराबाद तथा नागपुर-सिकंदराबाद रूट शामिल थे.

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