इंजीनियर की नौकरी छोड़ कर संकेत कुमार जैविक खाद बनाने और उस के प्रति किसानों को जागरूक करने की मुहिम चला रहे हैं. उन की सलाह पर सैकड़ों किसान जैविक खाद का इस्तेमाल करने लगे हैं. रासायनिक खादों से खेत और खेती को होने वाले नुकसान और जैविक खाद के फायदे बताने के लिए वे किसानों के बीच लगातार गोष्ठी, बैठक और जागरूकता शिविरों का आयोजन करते रहते हैं. बिहार के समस्तीपुर जिले के मुस्तफापुर पंचायत के रहने वाले युवा संकेत कुमार ‘ग्रीन वसुधा’ संगठन और जैविक प्रसार केंद्र बना कर किसानों के बीच जैविक खाद का प्रचारप्रसार कर रहे हैं.

संकेत बताते हैं कि इंजीनियर की नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने भारत सरकार के ‘सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय’ से ट्रेनिंग ली और उस के बाद जैविक खाद को बनाने और किसानों को जैविक खाद के फायदे बताने की मुहिम में लग गए. तालाबों और नदियों में बेकार पड़ी जलकुंभियों, इनसानों की सेहत के लिए घातक सिद्ध हो रही गाजर घास (पार्थेनियम), दुधारू मवेशियों के गोबर, पेड़ों के पत्तों, खरपतवारों आदि से जैविक खाद बना रहे संकेत कहते हैं कि जैविक खाद आज समूची दुनिया के लिए जरूरी हो गई है. रासायनिक खादों से मिट्टी की उर्वरा शक्ति जहां लगातार कम होती जा रही है, वहीं कैमिकल खादों से उपजाए गई फसलें इनसानों की सेहत के लिए भी नुकसानदेह साबित हो चुकी हैं. इसी वजह से जैविक उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है.

जैविक खाद के साथसाथ गाय के मूत्र, धतूरा, नीम, वर्मीवाश आदि से वे जैविक कीटनाशक भी बना रहे हैं. जैविक खाद और कीटनाशक बनाने के साथ ही वे किसानों को ये चीजें बनाने की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं. 6 एकड़ में फैले जैविक प्रसार केंद्र में वे केला, अनार, अमरूद, पपीता, जामुन, बेल, अंगूर आदि फलों के अलावा कई तरह के फूलों व सब्जियों की जैविक खेती कर रहे हैं.

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