‘‘ओए पप्पू, क्लास की पिकनिक पर चल रहे हो?’’

‘‘जी, मास्टरजी. मेरा नाम तो अभिषेक है. आप बारबार भूल जाते हैं?’’

‘‘भूलता नहीं हूं, पप्पू. तू मुझे बिलकुल पप्पू लगता है.’’ सारी क्लास हंसने लगी. 8वीं क्लास के इस पीरियड में ये रोज चलने वाली बातें थीं. सब को रट सी गई थीं.

‘‘पता है न, पिकनिक की तैयारी कैसी होनी चाहिए?’’

‘‘जी, मास्टरजी. पिछले साल भी तो गए थे.’’

‘‘वाह, पप्पू तो हर साल पिकनिक पर जाता है.’’

अभिषेक का चेहरा गुस्से से लाल हो गया. पर मास्टरजी का क्या बिगाड़ लेता. उसे समझ न आता कि ये इतिहास पढ़ाने वाले सोमेश सर उस से इतना चिढ़ते क्यों हैं. अभिषेक क्लास का होशियार स्टूडैंट है, कभी फर्स्ट आता है, कभी सैकंड. पर सोमेशजी आते ही उसे घूरते हैं, उस की जाति का घुमाफिरा कर अपमान भी कर देते हैं. कम से कम किसी टीचर को अपनी क्लास में इस बात से दूर रहना चाहिए. उन की नजर में सब बच्चों को बराबर होना चाहिए. पर जब से स्कूल के माली विनोद ने अपने बेटे अभिषेक का एडमिशन इस स्कूल में करवाया है, सोमेशजी ने उस की नाक में दम कर रखा है.

आजकल तो वे अभिषेक को खुल कर पनौती भी कहने लगे हैं, अभिषेक चुप रहता है. अपने मातापिता की बात का आदर करते हुए चुपचाप पढ़ाई पर वह ध्यान दे रहा है. यह एक छोटे से शहर जौनपुर का हिंदी मीडियम बौयज स्कूल है. अब कल पिकनिक पर बच्चों को बनारस ले जाया जा रहा है. बच्चे मंदिर, घाट देखेंगे, सारनाथ जाएंगे. स्पोर्ट टीचर अनिल सर सब व्यवस्था देख रहे हैं, उन की हैल्प कर रहे हैं, सोमेश सर.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...