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कुछ देर बाद सुंदर ने एक गहरी सांस ली. उस के चेहरे पर पसीना आ गया था. मैं जल्दी से जा कर एक गिलास पानी ले आई और उस का हाथ अपने हाथ से दबा कर दबाते हुए मैं ने उसे आश्वास्त किया.

"अब तक जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाओ सुंदर… तुम यहां पूरी तरह सुरक्षित हो और तुम ने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर ही इस बीमारी पर काबू पाया है, वरना तुम्हारी जो परिस्थिति थी, ऐसे में मुझे तो विश्वास नहीं था कि इतनी जल्दी सबकुछ ठीक हो सकेगा."

"यह मेरी इच्छाशक्ति से भी ज्यादा तुम्हारी सेवा और मेहनत का फल है नीता. मुझे माफ कर दो कि मैं ने तुम्हारे साथ बहुत बुरा सुलूक किया."

"ऐसा कुछ भी नहीं है. लेकिन हां, तुम जब मुझे मिले थे, तो तुम्हारे पास सिर्फ तुम्हारे अस्पताल के रिपोर्ट का पैकेट ही था. कपड़ों का कोई बैग मुझे नहीं दिखा."

"मुझे तो कुछ भी याद नहीं नीता… क्या पता शायद मेरी परिस्थिति का फायदा उठा कर किसी ने वह बैग चुरा लिया हो."

"हां, यह भी हो सकता है. खैर, कोई बात नहीं. अब तो तुम काफी हद तक ठीक हो चुके हो. बस, तुम्हारा यह पैरों का घाव ठीक हो जाए, फिर मैं खुद तुम्हें तुम्हारे घर पहुंचा आऊंगी. लेकिन, तुम वहां रह कर करोगे क्या?"

"देखता हूं… कुछ ना कुछ तो कर ही लूंगा. कुछ नहीं तो आसपास में ही कोई छोटामोटा काम देख लूंगा."

"अरे, ऐसा क्यों कह रहे हो तुम? तुम ने अच्छीखासी पढ़ाई की है और इतना बड़ा बिजनैस चलाने का तुम्हारा अनुभव भी है. तुम्हें तो बहुत ही अच्छा काम मिल जाएगा," मेरी बात सुन कर सुंदर हंसने लगा.

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