एक नर्स होने के नाते यह सब देखना मेरे लिए कोई नई बात नहीं थी. मगर, सुंदर के लिए मैं ने ऐसा जीवन कभी नहीं चाहा था, इसलिए दिल में रहरह कर एक टीस उभर रही थी. अगर सुंदर को कुछ हो गया तो…?
"नहींनहीं, मैं अपने सुंदर को कुछ नहीं होने दूंगी," मैं ने अपनी भावनाओं को नियंत्रित किया और एक हफ्ते की छुट्टी ले ली. एक हफ्ते में मैं ने सब से पहले सुंदर का हुलिया बदला और उसे योग और प्राणायाम करने की आदत डाली.
ना जाने क्यों सुंदर मेरी हर बात बिना किसी विरोध के मान लेता था. यही बात उस के इलाज में भी सकारात्मकता ला रही थी और वह जल्दी ही सामान्य हो रहा था. मुझे बस एक डर था कि डाक्टर ने कहा था कि उस के पैरों को काटना पड़ेगा. मगर उस से पहले उस का स्वस्थ होना और मधुमेह का नियंत्रित होना बेहद जरूरी था. डिमेंशिया के इलाज के लिए भी मैं ने एक मनोचिकित्सक से संपर्क कर रखा था. जिस दिन पहली काउंसलिंग हुई थी, उस दिन वह बेहद घबराया हुआ था. मनोचिकित्सक ने भी मुझे आश्वासन दिया कि वह पूरी तरह से ठीक हो जाएगा. एक दिन जब मैं किचन में काम कर रही थी, तभी मुझे सुंदर की आवाज सुनाई दी.
" नीता…" अपना नाम सुंदर के मुंह से सुन कर मुझे आश्चर्यमिश्रित खुशी का एहसास हुआ.
"तुम्हें सब याद आ गया सुंदर…" मैं ने उस का चेहरा दोनों हाथों से पकड़ कर झकझोरते हुए कहा.
"हां नीता, मैं तो तुम्हें कुछ दिन पहले ही पहचान गया था, मगर मेरी बीमारी और मेरा कमजोर आत्मविश्वास मेरा साथ नहीं दे रहा था."