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‘‘यस सर. पर सर, गुत्थमगुत्था की लड़ाई में कैजुअलिटी की कोई गारंटी नहीं होती. हां, यह गारंटी अवश्य है कैजुअलिटी वहां नहीं छूटेगी.’’

‘‘ओके फाइन, गो अहैड. गिव मी रिपोर्ट आफ्टर कंपलीशन. बेस्ट औफ लक कर्नल.’’

‘‘थैक्स सर.’’ कर्नल साहब थैंक्स कह कर उन के कमरे से बाहर आ गए. और उसी रात राजपूताना राइफल को अवसर मिला. दुश्मन की ओर से गोली आई और कर्नल अमरीक सिंह के जवानों ने तुरंत कार्यवाही की. दूसरे रोज कर्नल साहब ने अपने कमांडर को रिपोर्ट दी, ‘‘सर, टास्क कंपलीटिड. नो कैजुअलिटी. सर, दुश्मन के कम से कम 20 जवानों के सिर उसी प्रकार काट दिए गए थे जिस प्रकार उन्होंने हमारे 2 जवानों के काटे थे. हां, हम उन के सिरों को अपने साथ ले कर नहीं आए जैसे उन्होंने किया था. हम लड़ाई में भी अमानवीयता की हद पार नहीं करते.’’

‘‘गुड जौब कर्नल, भारतीय सेना और पाकिस्तान की सेना में यही अंतर है कि हम दुश्मनी भी मानवता के साथ निभाते हैं. इस का रिऐक्शन हमें बहुत जल्दी सुनने को मिलेगा, न केवल राजनीतिक स्तर पर, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी. शायद कुछ आर्मी कमांडर भी यह कह कर इस का विरोध करें कि पाकिस्तान और हम में क्या अंतर है. पर चिंता मत करो, हमें यह मानना ही नहीं है कि यह हम ने किया है. जैसे पाकिस्तान नहीं मानता. उन्हीं की बात हम उन के मुंह पर मारेंगे कि यह आप के अंदर की लड़ाई है. आप के किसी टैररिस्ट ग्रुप का काम है, हमारा नहीं. ध्यान रहे, हमें इसी बात पर कायम रहना है.’’

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