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बताया गया 3 बजे आर्मी चीफ के साथ हमारी मुलाकात तय है. 3 बजे हम आर्मी चीफ के समक्ष बैठे थे. इस मीटिंग में डीजीएमओ, डायरैक्टर जनरल मिलटरी औपरेशन उपस्थित थे.

चीफ साहब ने सभी के चेहरों को गहरी नजरों से देखा. शायद वे हमारे सपाट चेहरों से कुछ भी अनुमान नहीं लगा पाए. फिर कहा, ‘‘आप सब जानते हैं, मैं ने आप सब को यहां क्यों बुलाया है. आज सारे अखबार, टीवी चैनल, सरकार, सरहद पार की सरकार उन सिरकटे 20 पाकिस्तानी जवानों की बातें कर रहे हैं जो रात की कार्यवाही में मारे गए हैं.

‘‘मैं जानता हूं, कोई इसे माने या न माने पर यह कार्य हमारे जवानों का ही है. पर, हम इसे कभी नहीं मानेंगे कि यह हम ने किया है. मैं उस रैजिमैंट के कमांडिंग अफसर और जवानों को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने यह कार्यवाही इतनी सफाई से की.

‘‘मैं उस बिग्रेड कमांडर साहब को भी बधाई देना चाहता हूं जिस ने इस बहादुरीपूर्ण कार्य के लिए आदेश दिया. हम पाकिस्तान को यह संदेश दे पाने में समर्थ हुए हैं कि आप अगर हमारे एक जवान का गला काटेंगे तो हम आप के 10 जवानों का गला काटेंगे. राजनीतिक स्तर पर सरकारें आपस में क्या करती हैं, हमें इस से कोई मतलब नहीं है. हम सरहदों पर उन्हीं के आदेशों का पालन करते हैं, करते रहेंगे अर्थात हमारी सेना एलओसी पार नहीं करेगी, लेकिन चुपचाप जवाबी हमला करती रहेगी, जैसे कल किया गया है.

‘‘आप सब को मेरा यही आदेश है यदि वे एक मारते हैं तो आप 10 मारेंगे,’’ जनरल साहब थोड़ी देर के लिए रुके, फिर कहा, ‘‘डीजीएमओ, मैं आप को खा जाऊंगा यदि इस कमरे की मीटिंग की कोई भी बात बाहर गई.’’

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