सुमन ने करीम से कहा, “अरे देखो तो रिसेप्शन के सामने वाले सोफे पर चेटियार साहब बैठे हुए हैं क्या?’’ करीम की नजदीक की नजर कमजोर थी और उस का चश्मा बाइफोकल नहीं था, इसलिए उस ने चश्मा निकाल कर सोफे की तरफ ध्यान से देखने के बाद कहा, ‘‘हां यार, चेटियार सर ही हैं, लेकिन उन के चेहरे पर न तो घमंड दिख रहा है और न ही पुरानी ठसक, बल्कि हार और उदासी साफसाफ दिखाई दे रही है.”
सुमन और करीम दोनों चेटियार सर के साथ लंबे समय तक काम कर चुके थे. इसलिए, दोनों उन के चेहरे के हर भाव को पढ़ सकते थे. सुमन भी करीम की बातों से सहमत लग रहा था.

करीम ने सुमन से कहा, “क्या मिला जाए, चेटियार सर से.” सुमन ने कहा, “एकदम नहीं, ऐसे मक्कार, धूर्त, चालबाज और कमीने आदमी से मिलने के लिए कह रहे हो, जो बातबात पर हमें गालियां देता था, हर वक्त नीचा दिखाने की कोशिश करता था, तुम्हें तो याद ही होगा, हम ने इन की वजह से विभाग बदलवाने की कितनी कोशिश की थी, लेकिन अपने उद्देश्य को पाने में हम सफल नहीं हो सके थे.सभी ने हमें सांत्वना दी थी, लेकिन किसी ने मदद नहीं की, सभी चेटियार सर से डरते थे.”

एक सांस में पूरा वाक्य बोलने के कारण सुमन का गला सूख गया, तो उस ने थूक से गले को तर करने के बाद पुनः कहा, “चेटियार सर के सामने से अभीअभी गुजरने वाले कई लोगों को मैं जानता हूं, जिन्होंने उन के साथ काम किया था, लेकिन उन के कमीनेपन की वजह से वे उन की अनदेखी कर रहे हैं.”

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