सोसायटी में होली मिलन का कार्यक्रम चल रहा था. 20 साला रेवती अपनी मम्मी, पापा और भाई के साथ कार्यक्रम में थी. लोग एकदूसरे को गुझिया खिलाते और गले मिलते.

रेवती की नजर सामने से आते हुए तनेजा परिवार पर पड़ी. तनेजा उन के पड़ोसी भी हैं, पर जब से रेवती ने
होश संभाला है, तब से दोनों परिवारों के बीच मनमुटाव ही पाया है. पता नहीं, क्यों एक तनाव और खामोशी सी छाई रहती है दोनों परिवारों के बीच.

यही सब सोच कर उस का मन भी कसैला हो गया. शायद तनेजा परिवार के मन में यही चल रहा होगा, तभी तो उन लोगों ने सिन्हा अंकल को तो गुझिया खिलाई और गले भी मिले, पर रेवती और उस के मम्मीपापा को अनदेखा कर दिया और आगे बढ़ गए.

आज से पहले रेवती ने भी कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया था, पर आज जब अचानक से तनेजा अंकल, आंटी और उन का 24 साल का बेटा शेखर ठीक सामने आ कर भी नहीं बोले, तो उस के मन को बुरा जरूर लगा.

"अच्छा मम्मी, एक बात पूछूं…. बुरा तो नहीं मानोगी," रेवती उदास लहजे में बोली. “हां… हां, पूछ,” मम्मी ने कहा. “ये जो पड़ोस वाले तनेजा अंकल हैं न… हम लोगों से क्यों नहीं बोलते हैं ?”

मम्मी थोड़ी देर तक तो चुप रहीं, फिर मम्मी ने रेवती का जवाब देना शुरू किया, “बेटी, तेरे पापा को डौगी बहुत अच्छे लगते हैं. जब तू छोटी थी, तब वो एक जरमन शेफर्ड ब्रीड का डौगी ले कर आए थे. उस के बाल भूरे और काले से थे… कुछ धूपछांव लिए हुए… इसलिए कभी वह भूरा लगता तो कभी काला… उस की चमकीली आंखों में हम लोगों के लिए हमेशा
प्यार झलकता.

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