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रात बहुत हो चुकी थी. सब लोग जा कर सो गए. लेकिन अथर्व अपने बैड पर जाग रहा था कि इस सचाई को सब के सामने किस तरह लाया जाए, क्योंकि वह जानता था कि उन दोनों ने पूर्ण निष्ठा से एकदूसरे से शादी की है और अनुराधा इस मामले में पूर्णतया निर्दोष है.

सुबह होते ही उस ने अपने मातापिता को अपने रूम में बुलाया और कहा, ‘‘मैं आप को एक सचाई बताना चाहता हूं. मुझे विश्वास है कि आप सचाई जानने के बाद हमें माफ करेंगे.

‘‘बाबूजी, हमारी शादी पक्की होने की खुशी में मेरे मित्रों ने मुझ से पार्टी मांगी और मैं ने उन्हें सहर्ष पार्टी दी थी. पार्टी में मजे लेने के हिसाब से किसी मित्र ने मेरे और अनुराधा के शरबत में कोई नशीला पदार्थ मिला दिया. पार्र्टी खत्म होने के बाद सब मित्र अपनेअपने घर चले गए. इस के बाद हम दोनों को नशे की खुमारी चढ़ने लगी और इसी नशे में हम दोनों अपना आपा खो बैठे और उस समय जो नहीं करना था, वह कर बैठे. इस घटना के करीब 3 माह बाद ही हमारी शादी हुई. मुझे आप को यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि आप दोनों दादादादी बनने वाले हैं. लेकिन आप से एक विनती है कि अभी इस खुशी को आप अपने तक ही सीमित रखें. जब वक्त आएगा, तब यह बात हम सब को बताएंगे.’’

गांव के भोलेभाले मातापिता ने उस की इस बात को खुशीखुशी मान लिया. उस के मातापिता के जाने के बाद अनुराधा बोली, ‘‘आखिर, तुम मेरे लिए कितनी बार झूठ बोलोगे?’’

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