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दरअसल, हर्षदा दिल्ली की जिस कंपनी में नौकरी कर रही है, वह कंपनी एक साल के लिए उसे कंपनी के हैडक्वार्टर पेरिस भेजा जा रहा है. वैसे, हर्षदा का वहां उतना जाने का मन नहीं था. मगर अखिल ही कहने लगा कि इतना अच्छा मौका उसे अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहिए. और हो सकता है कि कल को उसे कंपनी के हैडक्वार्टर पेरिस में ही शिफ्ट कर दिया जाए, तो कितना अच्छा होगा न.

अखिल ने हर्षदा से यह भी कहा कि अगर तुम वहां चली गई, तो फिर वह भी वहां जाने की कोशिश करेगा. और फिर दोनों वहां अपनी नई दुनिया बसाएंगे.

“ये लो... अरे भाई, मैं तो मजाक कर रहा था और तुम हो कि हिंदी फिल्मों की हीरोइन की तरह आंसू टपकाने लगी,” अखिल ने माहौल को हलका करने की कोशिश की, “अच्छा, वो दिन याद है तुम्हें, जब हम पहली बार डेट पर गए थे? कितनी देर तक तो हम एकदूसरे से कुछ बोल ही नहीं पाए थे, है न? फिर मैं ने ही बात शुरू की थी.”

अखिल की बात पर हर्षदा हंसते हुए बोली, ‘‘हां, याद है उसे. और यह भी कि कैसे अखिल ने उसे देखने के चक्कर में अपना कोल्डड्रिंक्स अपने ही कपड़ों पर गिरा लिया था.’’

“हां, तुम कितना हंसी थी उस पर. और मैं तुम्हारी हंसी देख अपने कपड़े पर लगे कोल्डड्रिंक्स साफ करना भी भूल गया, जिस का दाग आज भी मेरे कपड़ों पर लगा है.“

“जानती हो हर्षु,” अखिल हर्षदा को प्यार से हर्षु बुलाता था, कहने लगा, “मैं ने जब तुम्हें पहली बार अपने एक दोस्त की पार्टी में देखा था, तो तुम पर ऐसा फिदा हुआ कि तुम पर से मेरी नजर ही नहीं हट रही थी. हलके पीले रंग की ड्रैस में तुम वहां सब से अलग दिख रही थी.

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