Romantic Story : नंदिनी घर में घुसी ही थी कि आरव दौड़ता हुआ आया और गोदी में चढ़ने की जिद करने लगा. नंदिनी ने शेखर को आवाज लगाई, "शेखर यार, जरा आरव को पकड़ लो."
शेखर भुनभुनाते हुआ आया और आरव को ऐसे गुस्से से पकड़ा कि वो बुक्का फाड़ कर रोने लगा.
नंदिनी मायूसी से बोली, "अरे, थोड़ा आराम से..." तभी काशवी नंदिनी के पास भागती हुई आई, पर अपनी मम्मी का गुस्सा देख कर एकाएक ठिठक गई.
नंदिनी जल्दी से हाथमुंह धोने बाथरूम में घुस गई. अक्तूबर में भी उमस का बुरा हाल था. बाथरूम का बुरा हाल था. गंदे कपड़ों का ढेर एक तरफ पड़ा तो दूसरी तरफ बालों के गुच्छे जमा हो रखे थे.
जब आधे घंटे में नंदिनी नहाधो कर बाहर निकली, तो शेखर काफी हद तक संयमित हो चुका था.
आरव काशवी के साथ खेल रहा था. शेखर ने नंदिनी को चाय और मैगी की प्लेट पकड़ा दी.
नंदिनी ने कहा भी, "अरे मैं बना देती, तुम ने क्यों बनाई?"
शेखर मायूसी से बोला, "कितना करोगी तुम...? अगर नौकरी ना जाती, तो तुम्हें ऐसे बच्चों को घर में छोड़ कर नौकरी करने जाने देता."
नंदिनी शेखर के बालों पर हाथ फेरते हुए बोली, "ये दिन भी निकल जाएंगे..."
तभी नंदिनी ने मशीन लगाई और शेखर ने सारे गंदे कपड़ो का ढेर उस में डाल दिया.
नंदिनी ने झाड़ू लगानी शुरू करी तो शेखर ने डस्टिंग.
तभी आरव ने पोट्टी कर दी और नंदिनी झाड़ू रख कर बाथरूम की ओर भागी.
आज 16 अक्तूबर हैं, 30 अक्तूबर में उन की विवाह की वर्षगांठ है. 2 साल पहले जब कोरोना का राक्षस नहीं था, तो वो लोग काशवी को मम्मीपापा के पास छोड़ कर महाबलीपुरम गए थे. पिछले 2 साल से तो अचानक से पूरी दुनिया ही उलटपुलट हो गई थी.
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