Romantic Story In Hindi : जेनिफर फ्रांस की थी लेकिन भारतीय संस्कृति से प्रभावित हो यहीं की हो कर रह गई. रिश्तों की समझ थी उसे तभी तो केतन की दिल की भावनाएं अच्छी तरह से समझ गई थी.
‘‘आराम से मां, ला यह बैग मुझे दे दे. पता नहीं क्या है इस में, सीने से चिपकाए रहती है हमेशा. कहीं नहीं जाने वाला तेरा यह बैग,’’ कहते हुए केतन ने अपनी मां के हाथ से वह बैग ले लिया.
एक हाथ में सामान और दूसरे हाथ में मां की उंगली थाम रखी थी केतन ने. मां से तेज नहीं चला जाता, इसलिए वह भी धीरेधीरे उन के कदम से कदम मिलाते हुए चल रहा था.
उस को ऐसे चलता देख मां अचानक केतन के बचपन में खो गई. जब केतन चलना सीख रहा था तो वह भी तो उस के कदम से कदम मिलाती थी. कभी उस पर झुंझलाई नहीं, हमेशा सब्र रखा. आज शायद उसी का नतीजा है जो केतन भी बिना झुंझलाए उस के कदम से कदम मिला रहा है. मां की आंखें एकदम से भर आईं.
ट्रेन स्टेशन पर पहले से खड़ी थी. अपने कोच के सामने केतन अपना नाम और सीट देखने लगा. इतने में उन का सामान ले कर कुली ट्रेन के डब्बे में चढ़ चुका था. केतन ने मां को कुछ देर वहीं खड़े रहने को कहा और वह कुली के साथ अपनी सीट पर सामान व्यवस्थित करवा कर फटाफट मां के पास पहुंचा. उस ने दोनों हाथ से मां को ट्रेन में पकड़ कर चढ़ाया और दोनों सीट पर आ कर बैठ गए.
औफिस के काम से उस को पचमढ़ी जाना था. 10 दिनों का ट्रिप था. मां को अकेला छोड़ कर जाने का मन नहीं था, फिर जगह भी अच्छी थी तो केतन ने सोचा कि मां को भी अच्छा लगेगा. हालांकि इस उम्र में उन से ज्यादा तो घूमा नहीं जाएगा पर हवापानी बदलने से तबीयत अच्छी हो जाएगी, सोच कर वह मां को भी अपने साथ ले आया. दोनों अपनी सीट पर बैठे ही थे, तभी ट्रेन ने सायरन दे दिया और धीरेधीरे ट्रेन ने स्टेशन छोड़ दिया.
‘‘मां, आराम से. पैर ऊपर रख कर बैठ जा. सफर लंबा है, लटकाने से पैर सूज जाएंगे,’’ कहते हुए केतन ने मां के पैरों को ऊपर उठाने में मदद की. ट्रेन तब तक अपनी गति पकड़ चुकी थी. उन के डब्बे में अभी ज्यादा भीड़ नहीं थी, बस, उन की बगल वाली सीट पर एक पतिपत्नी का जोड़ा बैठा था, शायद अगले स्टेशन से और सवारी चढ़ जाएं.
‘‘मां ठंड तो नहीं लग रही, खिड़की बंद करूं?’’ केतन ने पूछा.
‘‘नहीं बेटा, हवा आने दे, अच्छी लग रही है.’’
और उस ठंडी हवा में मां को झपकी लग गई. केतन खिड़की के सहारे सिर टिका कर बैठ गया.
पंचमढ़ी बहुत ही सुंदर, मध्य प्रदेश का दिल हो जैसे, 5 पहाडि़यों के बीच बसा है, इसलिए नाम पचमड़ी पड़ा. केतन अचानक पंचमढ़ी की पुरानी यादों में खो गया. इस से पहले वह अपनी पत्नी के साथ शादी के बाद आया था. किरण का तो मन ही नहीं था यहां आने का. उसे तो आउट औफ इंडिया जाना था पर केतन की जिद के आगे उस की नहीं चली.
प्रकृति ने जैसे अपनी छटा बिखेर रखी है यहां. केतन कितना खुश था यहां आ कर. कितनी देखने की जगहें थीं- पांडव केव, धूपगढ़ जोकि सतपुड़ा की सब से ऊंची चोटी पर है, यहां से अस्त होते सूरज का जो दृश्य होता है वह बहुत ही विहंगम होता है. सतपुड़ा के जंगल भी बहुत ही मनोरम थे. खयालों में ही केतन की आंखों के आगे वे खूबसूरत दृश्य एक के बाद एक आते गए.
याद है उसे जब जंगल सफारी पर जाने से पहले केतन ने किरण का मूड अच्छा करने को बोला था, ‘जानेमन, इतनी अच्छी जगह पर अपना मूड खराब मत करो, यहां तो बस हम रोमांस करेंगे.’ यह कह कर केतन ने किरण को अपनी बांहों में ले लिया लेकिन किरण उस की बांहों से अपने को छुड़ाती हुई गुस्से में बोली थी, ‘यहां पर रोमांस तुम्हें सूझ सकता है, मुझे नहीं. अरे, अगर पैसों की बात थी तो मुझे से एक बार बोलते, मैं पापा को बोल देती, वे टिकट करा देते. अरे, कम से कम ऐसी जगह तो नहीं आना पड़ता.’
यह सुनते ही केतन का अच्छाखासा मूड बिगड़ गया. उस के बाद यहां की खूबसूरती भी उस का खराब मूड ठीक न कर सकी.
वह अपने खयालों में ही था कि मां की आंख खुल गई. उस ने अपने बैग में से खाना निकाल कर प्लेट में लगा कर केतन को दिया, ‘‘ले बेटा, खाना खा ले.’’
केतन और मां खाना खाने लगे. दोनों ने खाना खत्म किया तो मां बोली, ‘‘अब तू भी सो जा बेटा, थक गया होगा. मैं भी लेट जाती हूं.’’
केतन ने मां को अच्छे से चादर उढ़ा कर लिटा दिया और खुद ऊपर की बर्थ पर चला गया. वह अपनी चादर बिछा कर लेट गया. ट्रेन अपनी गति से बढ़ती जा रही थी. केतन की आंखों से नींद अभी कोसों दूर थी. वह फिर पुरानी यादों में चला गया.
किरण शुरू से उस से रिश्ता जोड़ नहीं पाई. बातबात में अपने घर, अपने पापा के पैसों के ताने देती. सासुमां से कभी तमीज से न बोलती. काम में, घर में तो उस का कभी मन लगा ही नहीं. रोज केतन से बाहर जाने की जिद करती. केतन और उस की मां ने उस के साथ समझता करने की बहुत कोशिश की पर वह तो समझता करने को तैयार ही न थी. आखिर, सालभर में दोनों अलग हो गए.
केतन की मां ने कितनी विनती की, गिड़गिड़ाई लेकिन किरण ने किसी की एक न सुनी. आज इस बात को 4 साल हो गए. इस बीच उस की मां बोलबोल कर थक गई दूसरी शादी के लिए पर केतन दोबारा चोट खाने को तैयार न था.
सोचतेसोचते उस की आंख लग गई. अचानक आवाजों से उस की आंख खुल गई. सुबह हो चुकी थी. लगता है कोई स्टेशन आया था, चाय वाले आवाज लगा रहे थे. केतन बर्थ से नीचे उतर कर आया. मां पहले ही उठ चुकी थी.
‘‘अरे मां, उठ गई, चाय पियोगी न,’’ कहते हुए केतन ने खिड़की में से एक चाय वाले को आवाज लगाई और 2 चाय ले ली.
‘‘कितनी देर और है बेटा?’’
‘‘बस मां, अब अगला स्टेशन अपना ही है, कुछ खाओगी?’’
‘‘नहीं बेटा, अब तो होटल में चल कर फ्रैश हो कर ही कुछ खाएंगे.’’
अगले स्टेशन पर केतन अपनी मां के साथ ट्रेन से उतर गया. कैब पहले ही बुक करा दी थी जो उन को लेने स्टेशन आ गई. कैब में सामान रख कर दोनों बैठ गए.
‘‘बेटा, जगह तो बहुत ही सुंदर है, कितनी अच्छी और शांत है यह.’’
‘‘हां मां, बहुत अच्छी जगह है यह.’’
आखिरकार दोनों रिजौर्ट आ गए. ‘‘मां, यहां पर तुम को किसी चीज की कमी महसूस नहीं होगी. अकेले भी मन लग जाएगा, इसलिए मैं ने यह रिजौर्ट रहने के लिए चुना.’’
कहता हुआ केतन रिसैप्शन की ओर बढ़ गया. सारी औपचारिकता पूरी करने के बाद उन को कमरे की चाबी मिल गई. केतन मां के साथ कमरे की ओर बढ़ गया. उन का सामान उन के रूम में लड़का ले कर आ रहा था.
बहुत बड़ा गार्डन, इंडोर गेम्स, स्विमिंग पूल, लाउंज हर तरह की सुविधा से युक्त था रिजौर्ट. रूम में आ व फ्रैश हो कर नाश्ता करने के बाद केतन बोला, ‘‘मां, मुझे जाना होगा, आप आराम कर लो. काम से फ्री हो कर घूमने चलेंगे. आप का मन हो तो बाहर रिजौर्ट में घूमने चली जाना, कोई डर की बात नहीं है.’’
केतन को काम में 3-4 घंटे लग गए. जब वापस आया तो देखा, मां लाउंज में बैठी थी. उस के पास एक लड़की बैठी थी. उस की उम्र 25-26 साल थी. वह विदेशी लग रही थी पर मां को तो इंग्लिश आती नहीं. वह उस के पास कैसे बैठी है, असमंजस में वह मां के पास आया. उस ने मां को प्रश्नसूचक नजरों से देखा.
मां उस के मन की बात समझ गई, ‘‘बेटा, इस का नाम जेनिफर है. यह फ्रांस की रहने वाली है. सालभर पहले भारत घूमने आई थी. भारतीय संस्कृति से इतनी प्रभावित हुई कि यहीं बसने का निश्चय कर लिया. अब एक एनजीओ में काम करती है.’’
केतन ने हैलो करना चाहा तो उस ने हाथ जोड़ कर नमस्ते किया. केतन को ऐसी आशा न थी. उस ने सकपका कर नमस्ते में हाथ जोड़ लिए. फिर उस ने उन दोनों से विदा ली. मां से बातों में पता चला कि केतन के जाने के बाद वह थोड़ा घूमने बाहर आ गई. सोफे पर अकेली बैठी थी. प्यास लगने पर पानी लेने के लिए उठी तो एकदम से उठा नहीं गया. उस लड़की ने आ कर मां की मदद की. पानी ला कर दिया. शुरू में तो मां झिझकी लेकिन ताज्जुब हुआ जब वह हिंदी में बोली. पता नहीं क्यों बेटा, उस से मिल कर लगा जैसे पिछले जन्म का कोई रिश्ता हो.’’
मां को देख कर केतन को ऐसा लगा जैसे उस से मिल कर मां बहुत खुश थी. उस के बाद केतन मां को आसपास की जगह घुमाने ले गया. रात को कमरे में आ कर दोनों सो गए. सुबह केतन फिर काम से चला गया. उस दिन भी जेनिफर और मां की खूब बात हुई.
मां ने बताया, ‘‘जेनिफर गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती है. उस ने अपनी जमापूंजी का एक हिस्सा उन के कल्याण के लिए लगा दिया. यहां रिजौर्ट में भी सब उस के हंसमुख, मिलनसार और विनम्र स्वभाव से बहुत प्रभावित हैं. सच बेटा, उस बच्ची ने तो मेरा दिल जीत लिया. तुम्हारा धन्यवाद जो मैं यहां आई और उस से मुलाकात हुई.’’
अब मां ने झिझकते हुए केतन से पूछा, ‘‘बेटा, तू तो दिनभर चला जाता है, मैं जेनिफर के साथ आसपास घूम आऊं?’’
‘‘अरे मां, ऐसे कैसे एक अजनबी पर विश्वास कर लें?’’
‘‘बेटा, वह बहुत अच्छी है. इतने कम समय में एक अपनापन सा लगने लगा है.’’
‘‘नहीं मां, मेरा मन नहीं मानता. वैसे भी, कल मुझे कुछ खास काम नहीं. हम दोनों घूमने चलेंगे.’’
अगले दिन दोनों तैयार हो कर घूमने चल पड़े. वे एक मंदिर पहुंचे. वहां पर उन्हें जेनिफर दिखी. मां ने दूर से ही उस को आवाज लगाई. वह भी मां को देख कर बहुत खुश हुई. तीनों दर्शन के लिए अंदर चल दिए. केतन ने देखा, जेनिफर ने चुन्नी से सिर ढक लिया और दोनों हाथ जोड़ कर आंखें बंद कर लीं. मां काफी देर तक पूजा करती रही.
केतन बाहर आ गया. जेनिफर भी बाहर आ गई. दोनों काफी देर तक बात करते रहे. बातों में पता चला कि वह पचमढ़ी घूमने आई है. सालभर पहले भारत आई तो भारतीय संस्कृति से बहुत प्रभावित हुई. इसलिए यहीं बस गई. अब एक एनजीओ में काम करती है. फ्रांस में भी वह सामाजिक कामों से जुड़ी थी. उस के मांबाप भी उस के इस निर्णय से खुश हैं. दोनों काफी देर तक बात करते रहे. मां सही कह रही थी, बहुत ही अच्छी हिंदी पर पकड़ है उस की.
पूरे दिन जेनिफर उन दोनों के साथ ही थी. अगले दिन केतन सुबह से ही काम पर निकल गया. 7-8 दिन यों ही निकल गए.
एक दिन केतन और मां खाना खा रहे थे, तभी मां बोली, ‘‘बेटा, एक बात बोलूं?’’
‘‘बोल न, मां.’’
‘‘तू जेनिफर से शादी कर ले.’’
केतन खाना खातेखाते रुक गया. उस को मां से ऐसी बात की आशा न थी. ‘‘यह क्या कह रही हो, मां. जानते ही कितना हैं मां हम उस को. न अपना देश, न अपना धर्म, खानपान, रहनसहन सबकुछ तो बिलकुल अलग है. और वो, वो क्यों तैयार होगी? आप ने ऐसा सोच भी कैसे लिया?’’
‘‘बेटा, तेरी मां हूं, ऐसे ही धूप में बाल सफेद नहीं किए. मैं ने उस से सब बात कर ली है. तू तो चला जाता था, मैं और वह पूरे दिन साथ रहते थे. उस को तेरे बारे में सब बता दिया. उस के मन की भी ले ली. वह तैयार है. सच बताऊं, उस की बातों से लगा जैसे वह तुझ से प्रभावित है और किस धर्म की, किस जानपहचान की बात कर रहा है, किरण से तेरा रिश्ता तो देखभाल कर किया था पर क्या हश्र हुआ?’’
यह कह कर मां चुप हो गई. केतन को कुछ समझ नहीं आया. वह रातभर सो न पाया. काफी सोचने के बाद सुबह उस ने मां से कहा, ‘‘मां, एक दफा मैं खुद जेनिफर से बात करना चाहता हूं. उस के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचूंगा. एक दफा चोट खा चुका, अब हिम्मत नहीं फिर से धोखा खाने की.’’
यह सब बोलते हुए केतन की आवाज भर्रा गई जिसे देख मां का कलेजा मुंह को आ गया. जब मां ने जेनिफर को केतन के मन की शंका बताई तो जेनिफर केतन के साथ जाने को तैयार हो गई. केतन जेनिफर के साथ पैदल ही निकल गया. वैसे भी, पचमड़ी जैसी सुंदर और शांत जगह और सुहाने मौसम में टहलने का अलग ही मजा है. टहलते हुए वे दोनों एक कैफे में आ गए. वहां केतन ने जेनिफर से पूछ कौफी और स्टार्टर्स का और्डर दे दिया. केतन ने पूछा कि अगर उसे कुछ नौनवेज मंगवाना हो तो बताए लेकिन जेनिफर ने बताया कि भारत में आ वह शुद्ध शाकाहारी बन गई.
केतन ने बातों में ज्यादा घुमायाफिराया नहीं, सीधे मुद्दे पर आता हुआ बोला, ‘‘जेनिफर, कल मां ने बताया कि उन्होंने तुम से हमारे बारे में बात की. प्लीज, मां की बात का बुरा मत मानना. बहुत भोली है मेरी मां. अपने बेटे यानी मुझ से बहुत प्यार करती है. बस, इसलिए…’’ केतन बोलते हुए थोड़ा रुक गया.
जेनिफर बोली, ‘‘अरे नहीं केतन, ऐसी कोई बात नहीं. सच कहूं जब मुझे मालूम चला तुम्हारी पहली शादी के टूटने का, तो सच में बहुत दुख हुआ. सच कहूं आश्चर्य भी हुआ क्योंकि जहां तक मैं ने सुना था, भारत में शादी सात जन्मों का साथ होता है पर जब मां ने किरण के व्यवहार के बारे में विस्तार से बताया तब लगा शायद तुम दोनों एकदूसरे के लिए बने ही नहीं थे.’’
केतन ध्यान से जेनिफर को सुन रहा था. जेनिफर एक गहरी सांस ले बोली, ‘‘समझती हूं केतन, सिर्फ रिश्ता नहीं टूटता, इंसान भी बहुत हद तक टूट जाता है और जो रिश्ता तोड़ना चाहता है, दर्द उसे नहीं होता; जो निभाना चाहता है, टूटता तो वह है.’’
केतन को आश्चर्य हुआ विदेशों में जहां रिश्ता टूटना कोई बड़ी बात नहीं, वहीं जेनिफर के ऐसे खयाल. तब तक कौफी का और्डर आ गया था, दोनों कौफी पीने लगे.
केतन बोला, ‘‘जेनिफर, बड़ी मुश्किल से वह सब भुला आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा हूं. सच कहूं, अब हिम्मत नहीं फिर से दोबारा वह सब सहन करने की. फिर मैं तो संभल जाऊं पर मां, वह तो टूट ही जाएगी.’’
जेनिफर कौफी खत्म करती हुए बोली, ‘‘जानती हूं, केतन. मां से बात हुई, वह भी तुम्हारे लिए बहुत दुखी हैं. यकीन मानो, मुझ पर विश्वास करो, मेरी तरफ से तुम्हें कोई शिकायत नहीं मिलेगी. भारत की संस्कृति से इसलिए भी प्रभावित हूं कि यहां शादी का मतलब सात जन्मों का साथ होता है. मैं ने अपने आसपास हमेशा देखा जहां लोग शादी को गंभीरता से लेते ही नहीं. सच कहूं, इसलिए शादी से विश्वास उठ गया था पर इस देश में अभी ऐसे हालात नहीं हैं. यहां शादी का मतलब सिर्फ 2 लोगों का जुड़ना नहीं, 2 परिवार जुड़ते हैं.’’
केतन टिश्यू से मुंह पोंछते हुए बोला, ‘‘पर जेनिफर, हमारा धर्म, भाषा, देश सब अलग हैं. यह भावनाओं में लिया निर्णय नहीं, पूरी जिंदगी का सवाल है.’’
जेनिफर बोली, ‘‘केतन, इस देश में आ मैं ने हमेशा के लिए यहीं बसने का निर्णय ले लिया था. फिर तुम जैसा जीवनसाथी मिल जाए तो यह तो जैसे ऊपर वाले ने मुझे एक मौका दिया अपने निर्णय को एक कदम आगे ले जाने का. मेरी तरफ से हां है और यह कोई भावनाओं में लिया निर्णय नहीं, बहुत सोचसमझ कर लिया निर्णय है. मैं तो अपने मातापिता से भी बात कर चुकी हूं. अब आगे तुम्हारी मरजी.’’
केतन ने कुछ सोचा, फिर उस ने जेनिफर के हाथ पर अपना हाथ रख कहा, ‘‘जेनिफर, मुझे अपनी जिंदगी में शामिल करोगी, हमेशा के लिए.’’
जेनिफर की आंखों में आंसू थे. बिल का भुगतान कर दोनों रिजौर्ट की तरफ बढ़ गए. इधर मां बेचैनी से टहल रही थी. उन दोनों को देख मां का दिल धड़कने लगा, क्या निर्णय होगा. जेनिफर और केतन ने बिना कुछ कहे एकसाथ मां के पैर छुए.
मां असमंजस में खड़ी थी तो केतन बोला, ‘‘मां, अपने बेटे और होने वाली बहू को आशीर्वाद नहीं दोगी.’’ मां ने अपने कंपकंपाते हाथों से दोनों को आशीर्वाद दिया.
सच, जिन खूबसूरत वादियों से केतन कभी कड़वी यादें ले कर निकला था, अब यहां से एक नया रिश्ता शुरू हो रहा है.
उस ने देखा, मां और जेनिफर एकदूसरे से बातें करने में व्यस्त हैं, दोनों बहुत ही खुश भी लग रहे हैं. काफी समय बाद मां को इतना खुश देख केतन के चेहरे पर भी मुसकान आ गई. Romantic Story In Hindi