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‘हां सर, यह ठीक रहेगा. पर आप को उन के मांबाप से पहले रामसहाय से बात करनी चाहिए. अगर रामसहाय ही आप की बातों को समझ ले तो आप को उन के मांबाप के पास जाने की जरूरत नहीं रहेगी,’ प्रोफैसर नम्रता ने सलाह दी.

‘आप ठीक कहती हैं. मैं अभी बुला कर उस से बात करता हूं.’

‘हां, यही ठीक रहेगा. मैं चलती हूं. मेरा पीरियड है.’

मैं ने तुरंत चपरासी को बुलाया और फाइनल ईयर के रामसहाय को बुलाने के लिए कहा. थोड़ी देर बाद वह मेरे सामने खड़ा था. उस की आंखें और सिर दोनों ही झुके हुए थे. मुझे एहसास हुआ, कहीं अब भी उस के मन में पश्चात्ताप और शर्म है.

‘हूं रामसहाय, कैसे हो? रात का नशा उतर गया?’ मैं ने अपने चश्मे को उतार कर साफ किया और गहरी नजरों से उसे देखा. मुझे लगा, वह रात की घटना से शर्मिंदा है. ‘जी सर, सौरी सर.’ ‘ ‘एक बात बताओ, शराब के साथ सिगरेट भी चलती होगी?’

‘जी सर, कभीकभी.’

‘हूं, इस के पैसे कौन देता है? तुम या तुम्हारे वे अमीर दोस्त?’

‘जी, सभी बारीबारी देते हैं.’

‘कितने दोस्त हो तुम?’

‘सर, हम 4 दोस्त हैं.’

‘यानी, पैसों का हिसाबकिताब वे तुम से बराबर रखते हैं?’

‘जी सर.’

‘जानते हो, तुम्हारे उन दोस्तों के मांबाप क्या करते हैं?’

‘जी सर. एक की शुगर मिल है, एक की कपड़े की मिल और एक का शराब का ठेका है.’

‘यानी, कल को यदि वे न भी पढ़ें तो उन के जीवन में कोई दिक्कत नहीं होगी, काम और पैसे को ले कर? वे कभी भी अपने बापों के व्यवसाय में शामिल हो सकते हैं?’

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