कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

हिंदू कालेज में बीए पार्ट-1 का अपना पीरियड ले कर प्रोफैसर रमाकांत स्टाफरूम की ओर बढ़े. अगले 2 पीरियड उन के खाली थे. अधेड़ उम्र के प्रोफैसर रमाकांत कुछ परेशान और निराश थे. आज की युवा पीढ़ी ने उन्हें बहुत निराश किया था.

अमीर युवा पीढ़ी तो बिगड़ी हुई थी ही, मध्य और निम्नमध्य वर्ग की युवा पीढ़ी भी उन्हीं के नक़्शेकदमों पर चलने लगी है और बरबादी की ओर बढ़ रही है बिना अपनी सीमाओं को समझे, बिना जाने कि उन के मांबाप की क्या स्थितियां हैं, क्या हालात हैं, किन आर्थिक परेशानियों से गुजर कर वे उन को पढ़ा रहे हैं.

ऐसे ही मध्यवर्गीय परिवार के लड़के रामसहाय को कल रात सिटी कलब में देख कर वे दुखी और पीड़ित हो रहे थे. वहां वे किसी से मिलने गए थे. वह नशे में धुत था. प्रोफैसर रमाकांत से नजरें मिलीं, पहचान कर कहा, ‘सर, आप? आप भी नशा करने आए हैं?’ उस के ढीठपने से वे और पीड़ित हुए. मन के आक्रोश से उन के मन में आया कि वे उस के कस के थप्पड़ मारें पर उन्हें लगा, ऐसी स्थिति में ऐसा करना अच्छा न होगा. ऐसा कर के शायद वे अपनी ही फजीहत करवा लेते. आज के लड़के अपने प्रोफैसर को क्या समझते हैं.

लेकिन वे यह सोचे बिना नहीं रह सके कि मेरा पंजाब कहां जा रहा है? मेरा देश किस ओर जा रहा है? क्या बच्चे, क्या युवा, क्या बूढ़े सब नशे में डूबते जा रहे हैं. कई लड़कियों और औरतों को भी वहां उन्होंने नशा करते देखा था. हम कहां गलत हो रहे हैं, चाह कर भी उन के पास इन सवालों के उत्तर न थे.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...