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‘सर, मैं उस को बीच में नहीं लाना चाहता. यह मेरा निजी मामला है,’ रामसहाय आहत होने लगा.

‘यह अब तुम्हारा निजी मामला नहीं रहा. तुम्हारे मांबाप इस के बारे जानते है. तुम्हारे दोस्त इस के बारे जानते हैं. तुम ने उस के लिए घर छोड़ दिया. सारा कालेज जानता है तुम उस के लिए बंक मारते हो और जुर्माना भरते हो. मैं तुम्हारी आंखें खोलना चाहता हूं कि तुम्हें लोग किस प्रकार यूज कर रहे हैं. किस प्रकार बेवकूफ बनाया जा रहा है तुम्हें. किस प्रकार झूठे सपने दिखाए जा रहे हैं. किस प्रकार बरबाद किया जा रहा है,’ प्रो. रमाकांत थोड़े भावुक होने लगे थे.

‘सर, वह लड़की सैकंड ईयर की पायल है. वह भी अपने मांबाप की बिगड़ी औलाद है. अमीर मांबाप की बिगडै़ल लड़की. शराब पीती है और पिलाती भी है,’ अंदर आते प्रो. नम्रता ने कहा. रमाकांत ने चपरासी को बुलाया और पायल को बुलाने के लिए कहा.

‘सर, उसे न बुलाया जाए. बहुत बदतमीज लड़की है. वह एक मिनट में आप की बेइज्जती कर देगी,’ प्रो. नम्रता ने चेताना चाहा.

‘कोई बात नहीं, मैं अगर बेइज्जत हो कर भी इस बच्चे की आंखें खोल पाया, इस को जीवन के यथार्थ से और लोगों की धोखेबाजियों से रूबरू करवा पाया और इस को इस के मांबाप को लौटा पाया तो यह एक शिक्षक की जीत होगी. इस से औरों को प्रेरणा मिलेगी,’ प्रो. रमाकांत की आंखें चमक उठीं.

‘हैलो प्रोफैसर, मुझे किस लिए बुलाया गया है?’ पायल ने प्रोफैसर को प्रोफैसर साहब कहना भी गवारा न समझा उस ने.

‘कैसी हो पायल?’ प्रो. साहब ने सवाल किया.

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