19 साल का दिलीप शहर में पढ़ाई करने आया था ताकि अपने मांबाप के सपनों को साकार कर सके. कहने को तो यह शहर बहुत बड़ा था, हजारों मकान थे पर दिलीप को रहने के लिए एक छत तक भी न मिल सकी.
एक कुंआरे लड़के को कौन किराएदार रखने का जोखिम उठाता? दरदर भटकने के बाद आखिरकार उसेbbhtgf कर गया. एक लायक बेटे की तरह वह मिसेज कल्पना की सेवा कर रहा था. एक दिन वह अस्पताल से घर लौट रहा था कि बारिश शुरू हो गई. बारिश तेज होती जा रही थी. दिलीप जल्दी से जल्दी घर पहुंचना चाहता था ताकि किताबें भीगने से बच जाएं.
जैसे ही वह घर पहुंचा तो दरवाजा खुला देख चौंक गया. वह घर के भीतर दाखिल हुआ तो आंगन का नजारा देख कर अपनी सुधबुध भूल गया. मिताली लहंगाब्लाउज पहने बरसात के पानी में नहा रही थी. भीगे कपड़ों में उस का सौंदर्य और भी गजब ढा रहा था. यही वजह थी कि दिलीप एकटक मिताली को निहारता रह गया. इतने करीब से जब दिलीप ने मिताली के आकर्षक बदन को भीगते हुए देखा तो जैसे उस की धमनियों में बह रहा रक्त उबाल खाने लगा हो.
‘‘तुम... तुम कब आए?’’ दिलीप को सामने पा कर मिताली चौंकते हुए बोली. उस ने कोई जवाब नहीं दिया. एकटक वह अपनी लाललाल आंखों से मिताली की भीगी देह का अमृत पी रहा था. मिताली की नजरें दिलीप की शोले जैसी दहकती आंखों से मिलीं तो उस के बदन में भी झुरझुरी होने लगी.
लज्जावश उस का गोराचिट्टा चेहरा गुलाबी पड़ता गया. न जाने ऐसा क्या हुआ कि मिताली अपनी जगह खड़ी न रह सकी. दौड़ कर वह दिलीप के चौड़े सीने से जा लगी. दिलीप खुद पर काबू नहीं रख पाया और उस ने बलिष्ठ बांहों के घेरे में मिताली को कस कर जकड़ लिया और अपने तपते होंठ उस के लरजते होंठों पर रख दिए. मिताली ने कोई प्रतिकार नहीं किया.