आखिरकार मुमताज ने एक दिन अपनी सास से अपने मन की बात कह ही दी, ‘‘अम्मी... जब से मैं शादी कर के आई हूं, तब से ये रोज रात में कहीं निकल जाते हैं और सुबह को ही घर लौटते हैं... और मु?ो हाथ भी नहीं लगाते... मैं शादी से पहले जैसी थी, वैसी ही आज भी हूं.’’
‘‘अच्छा... थोड़ा मूडी तो है मेरा बेटा... और फिर कामधंधे का भी तनाव रहता है उस पर. ऐसे में एक बीवी की जिम्मेदारी होती है कि वह घर के साथसाथ अपने शौहर को भी संभाले. अगर शौहर उस पर किसी वजह से ध्यान नहीं दे रहा है, तो अपनी अदाओं से उसे रि?ाए और शौहर की मरजी के हिसाब से चल कर उसे खुश रखे.’’
अब्दुल की अम्मी बातोंबातों में मुमताज को रास्ता दिखा गई थीं.
आज शाम को जब अब्दुल घर आया, तो मुमताज ने होंठों पर गहरे रंग की लिपस्टिक लगाई हुई थी और मैरून रंग का लिबास पहना हुआ था.
मुमताज को देखते ही अब्दुल को भी यह अहसास हो गया था कि आज वह कुछ अलग लग रही है, इसलिए जब अब्दुल बाथरूम से नहा कर निकला तो उस ने मुमताज को अपनी बांहों में भर लिया और होंठों से अपने इश्क की छाप उस के जिस्म पर लगाने लगा.
मुमताज का कुंआरा जिस्म धधक उठा था और आंखें मदहोशी से मुंदने लगीं. दोनों के जिस्म एकदूसरे में समाने को बेताब थे.
अब्दुल ने मुमताज के ऊपरी कपड़े भी हटा दिए. शर्म से मुमताज ने अपने हाथों से कैंची बना कर अपने गोरे उभारों को ढक लिया, पर इस कोशिश में वह नाकाम रही, क्योंकि उस के हाथों को अब्दुल ने खोल दिया था और अब हुस्न का ज्वालामुखी अब्दुल के सामने था.