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लेखिक-पद्मा अग्रवाल

उस ने एक बड़े रेस्ट्रां के सामने गाड़ी रोक दी थी. वहां एक वाचमैन ने तुरंत आ कर उस के हाथ से गाड़ी की चाबी ली और गाड़ी पार्क करने के लिए ले गया था. वहां पर विशेष एक कोने की टेबल पर सीधे पहुंच गया. शायद पहले से बुक कर रखा था.

एकबारगी फिर गार्गी का दिल धड़क उठा था. विशेष की आंखों में अपने प्रति प्यार वह स्पष्ट रूप से देख रही थी. उस का प्यारभरा आमंत्रण उस के मन में प्यार की कोंपलें खिला रहा था. परंतु मन ही मन  अपने कड़वे अतीत को ले कर डरी हुई थी. जब उसे उस के बारे में सबकुछ मालूम होगा तब भी क्या वह इसी तरह से उस के प्रति समर्पण भाव रखेगा? एक क्षण को उस का सर्वांग सिहर उठा था.

विशेष से अब तक गार्गी को प्यार हो गया था. उस के प्रति उस की दीवानगी बढ़ती जा रही थी. उस दिन उस ने मौल से उस को शौपिंग भी करवाई थी. लेकिन, बारबार पुरू उस की स्मृतियों के द्वार पर आ कर खड़ा हो जाता था.

सिलसिला चल निकला था. दोनों ही मिलने का बहाना ढूंढते थे. मैरीन ड्राइव, कभी जूहू बीच के किनारे बैठ कर समुद्र की आतीजाती लहरों को निहारते हुए प्यार की बातें करना बहुत पसंद था उन्हें. शाम गहरा गई थी. समुद्रतट पर दोनों देर तक टहलते रहे थे. आज उस ने रेड कलर का स्लीवलेस टॉप और जींस पहनी हुई थी. वह जानती थी कि यह ड्रेस उस के ऊपर बहुत फबती है और वह पहले ही वौशरूम में अपने मेकअप को टचअप कर के आई थी.

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