लेखिका- मेहा गुप्ता
उन्होंने उस नन्ही परी का नाम आर्या रखा . वह बिलकुल अपने पिता की शक्ल लिए थी . गोरा चिट्टा रंग , सुनहरे बाल और भोले चेहरे के बीच भूरी चमकीली आँखें . अब अनामिका की ज़िंदगी आर्या तक ही सिमट कर रह गई थी .
इधर कई दिनों से अनामिका ,आर्यन में बदलाव सा महसूस कर रही थी . अब वह जब तब आवेश में आकर उसे गोद में उठाने की , बाँहों में भरने की या बात बात पर उसे चूमने की चेष्टा नहीं करता था . हाँ वह आर्या से बहुत प्यार करता था . पर उसके प्रेम में पिता वाला बड़प्पन , दुलार या चिंता नहीं थी बल्कि एक बेफ़िक्री और आकर्षण था जो एक बच्चे को अपने प्रिय खिलौने के प्रति होता है . वह समझ गई थी उसे अपनी ज़िम्मेदारियों को समझने के लिए थोड़ा वक़्त देने की ज़रूरत है . अब आर्या एक महीने की हो गई थी . उस दिन वो पिंक नैट की फ़्रॉक में थी .
"वाउ ! माई स्वीट प्रीटी डॉल .. लेट्स टेक अ सेल्फ़ी "
" ग्रेट आइडिया ! वैसे भी हमारी एक भी फ़ैमिली पिक नहीं है ." उस फ़ोटो को अनामिका ने अपने मोबाइल पर प्रोफ़ायल पिक की तरह सेट कर दिया और फिर आर्यन के फ़ोन को लेकर उस पर भी सेट करने लगी . इतने में स्क्रीन पर एक मैसेज पॉप अप हुआ . अनामिका ने उस मैसेज को खोला जिस पर लिखा था " मिसिंग यू ".
अनामिका ने फ़ोन आर्यन की तरफ़ बढ़ा दिया . उसकी मासूम आँखों में प्रश्न थे .
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